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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के अनूपगढ़ के गांव 35 एपीडी के पास घग्घर नदी के बांध में अचानक 50 फीट चौड़ा कटाव हो गया, जिसके बाद बांध से पानी फैल गया और इसके कारण भारी तबाही मची। नदी के बंधों के टूटने से 1200 बीघा जमीन में उगाई गई नरमा और धान की फसलें जलमग्न हो गईं।
पिछले 36 घंटों में रिसाव और बांध के टूटने से हजारों बीघा भूमि पर पानी भर चुका है। बांध के टूटे हिस्से में करीब 5 से 6 फीट तक पानी भर गया है, जिससे इलाके में स्थितियां और भी विकट हो गईं।
किसानों की हालत और बढ़ता नुकसान
किसान धनराज और गुलजार सिंह ने बताया कि बांध के टूटने से उनकी फसल बचाने की समस्या और भी गंभीर हो गई है। पानी का दबाव इतना अधिक है कि न तो ट्रैक्टर, ना ही अन्य कृषि उपकरण वहां तक पहुंच पा रहे हैं। किसान अपनी ओर से प्रयास कर रहे हैं, लेकिन बढ़ते पानी के बहाव ने हर घंटे उनका नुकसान बढ़ा दिया है। कई सौ बीघा खेत प्रतिदिन पानी में डूब रहे हैं, जिससे किसानों का जीवन संकट में है।
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लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन कर रहे
घग्घर नदी के कटाव से आसपास की ढाणियां भी पानी में घिर गई हैं। लोग अपने घरेलू सामान और पशुधन को लेकर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पानी का बहाव और बढ़ा या किसी अन्य बांध में टूट-फूट हुई, तो स्थिति और भी खराब हो सकती है।
इससे पहले जिला कलेक्टर डॉ. मंजू ने प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया था और किसानों को आश्वासन दिया था कि प्रशासन नुकसान को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा, लेकिन शनिवार सुबह बांध टूटने से किसानों को बड़ा नुकसान हुआ।
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किसानों ने सहायता की मांग की
किसान कश्मीर कंबोज ने बताया कि एक दिन पहले ही कलेक्टर को बांध की कमजोर स्थिति के बारे में सूचित किया गया था, लेकिन प्रशासन ने तत्काल कदम नहीं उठाए। अगर बांध को मजबूत करने के लिए समय रहते संसाधन जुटाए जाते तो यह बड़ी तबाही टल सकती थी।
अब नुकसान का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। नदी का बहाव कुछ कम हुआ है, लेकिन बांध की स्थिति बेहद खराब है। किसानों ने प्रशासन से तुरंत जेसीबी, मिट्टी के कट्टे और अन्य संसाधन मुहैया कराने की मांग की है ताकि कटाव को रोका जा सके और नुकसान को कम किया जा सके।
पानी के दबाव से नाकाम हुए प्रयास
स्थानीय किसानों ने बताया कि वे कई दिनों से खेतों में पहरा दे रहे थे और खुद मिट्टी डालकर बंधों को बचाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन नदी का पानी इतना तेज था कि उनके सारे प्रयास विफल हो गए। इसके परिणामस्वरूप, किसानों की फसलें डूब गईं और उनका भारी नुकसान हुआ।