/sootr/media/media_files/2025/08/31/ghumantu-2025-08-31-18-45-15.jpg)
Photograph: (the sootr)
राजस्थान में घुमंतू समुदाय के लोगों ने रविवार को अलवर में अपने अधिकारों को लेकर सजग रहने और उन्हें प्राप्त करने के लिए संघर्ष का रास्ता अपनाने का संकल्प लिया। यह संकल्प उनकी तरफ से मनाए गए विमुक्त दिवस पर लिया गया। दिनभर चले मंथन में घुमंतू समुदाय के लोगों ने कहा कि उन्हें देश में कानून बनने से अपराधी होने के कलंक से मुक्ति मिल गई, लेकिन उन्हें अभी बहुत सामाजिक स्तर पर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ब्रिटिश शासन के दौरान देश की 1000 से भी अधिक जनजातियों के ऊपर अपराधी होने का कलंक लगाने वाले कानून को जब भारत सरकार ने 1952 में आज ही के दिन नया कानून लाकर समाप्त तो किया, लेकिन 6 दशक बाद भी समाज में इन समुदायों की स्वीकृति और समझ न के बराबर ही है। केंद्र सरकार द्वारा इस कानून को समाप्त करने के दिन को ये जनजातियां विमुक्त दिवस के रूप में मनाती हैं। इन समुदायों के लिए यह दिवस एक दूसरी आजादी के रूप में मनाया जाता है।
सीएम यादव का आदेश- घुमंतू समुदाय के OBC सर्टिफिकेट नहीं होंगे निरस्त
समस्याओं पर खुलकर बोले
अलवर में इन समुदायों के पांच गांवों गाजूका, सुकल, मेडीबास, सपेरा बास और बरदू बंजारा बस्ती से 60 से भी अधिक लोग विमुक्त दिवस मनाने इकट्ठा हुए। इनमें सपेरा, बंजारे, नट और राजनट समुदाय के लोग थे। उन्होंने एक-एक कर अपनी परिस्थिति और विभिन्न समस्याओं पर बात की। गौरतलब है कि अपराधी होने के कलंक से आधिकारिक मुक्ति के छह दशक बाद भी ये मुख्यधारा के समाज से पिछड़ी अवस्था में जी रहे हैं। कहीं आज भी सड़क के अभाव से लोग जूझ रहे हैं, कहीं युवाओं को पढ़-लिख कर भी नौकरी नहीं, और कहीं तो आज तक अपने लिए भूमि का टुकड़ा भी नहीं। ऐसी कई समस्याओं पर इन गांवों के निवासियों ने खुलकर बात की।
भोपाल में अगले 3 दिन दिखेगी विमुक्त एवं घुमंतू संस्कृति की झलक, लगाई गई प्रर्दशनी
समझ में आया कि समाज के हैं हिस्सेदार
इन बातों से ये साफ होता है कि कैसे आज भी समाज के पिछड़े लोग मूलभूत अधिकारों से ही जिंदगी भर वंचित रह जाते हैं। कार्यक्रम में यह देखकर खुशी हुई कि स्कूल जाते बच्चे भी इन विषयों पर जागरुकता पूर्ण ढंग से बात कर रहे थे। ये साफ दिखने लगा है कि अब इन समुदायों में ये समझ है कि वे समाज के बराबर के हिस्सेदार हैं और किसी भी प्रकार दूसरों से छोटे नहीं। ये छोटी लगने वाली बात अपने आप में एक नए दौर की शुरुआत है, जैसा पश्चिमी मुल्कों में काले समाज ने पिछली सदी में कर दिखाया था।
विधानसभा चुनाव के पहले घुमंतू जातियों को वोटर बनाएगी सरकार
अधिकारों को लेकर सशक्त हुए घुमंतू
दिल्ली स्थित संगठन वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया द्वारा आयोजित इस सभा में मौजूद पूर्व सहायक श्रम आयुक्त बीएल वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद मालिक, समाज सुधारक रामचरण राग और वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया के संस्थापक शरद शर्मा ने कहा कि इन लोगों में इस बात से हौसला बढ़ा है कि उनके अधिकारों और मुद्दों को भी अब गंभीरता से लिया जा रहा है। यह संस्था पांच साल से घुमंतू समुदायों के सशक्तीकरण का काम कर रही है।
विमुक्त आवाज पत्रिका का भी विमोचन
वर्ल्ड कॉमिक्स इंडिया के संस्थापक शरद शर्मा ने बताया कि अब घुमंतु समुदाय के लोग समझते हैं कि सड़क, स्कूल, पानी, बिजली, जमीन इत्यादि जैसे बुनियादी हकों का अभाव तो केवल ऊपरी लक्षण हैं। इसका ठोस इलाज खुद की पहचान, संस्कृति और इच्छाशक्ति को साझा करके एक साथ होकर लड़ना ही है। इस मौके पर घुमंतू समुदाय के मुद्दों पर तैयार विमुक्त आवाज नामक पत्रिका का भी विमोचन किया गया।
FAQ
- thesootr links
- मध्यप्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- राजस्थान की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक
- जॉब्स और एजुकेशन की खबरें पढ़ने के लिए क्लिक करें
- निशुल्क वैवाहिक विज्ञापन और क्लासिफाइड देखने के लिए क्लिक करें
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩👦👨👩👧👧