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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान की राजनीति में अलग पहचान बनाने वाले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिर्राज प्रसाद तिवारी का 105 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन से न केवल राजस्थान, बल्कि देशभर में शोक की लहर दौड़ गई। उनके योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शोक व्यक्त किया। तिवारी का जीवन एक प्रेरणा था, जिन्होंने वकालत से राजनीति तक अपनी यात्रा तय की और समाज सेवा में अपने जीवन को समर्पित किया। तिवारी का राजनीतिक सफर लम्बा और प्रभावशाली रहा। 1950 से 1953 तक वे जिला कांग्रेस कमेटी, भरतपुर के मंत्री रहे। वर्ष 1972 में वे कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में बयाना विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए और पांचवीं विधानसभा में पहुंचे। इसके बाद 1985 में उन्होंने भरतपुर विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की और आठवीं विधानसभा के सदस्य बने।
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पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री गिरिराज प्रसाद तिवाड़ी जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।
— Bhajanlal Sharma (@BhajanlalBjp) October 3, 2025
ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें व शोकाकुल परिवारजनों को यह अपार दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे।
गिर्राज प्रसाद तिवारी का प्रारंभिक जीवन और वकालत
गिर्राज प्रसाद तिवारी का जन्म 20 दिसंबर 1920 को भरतपुर जिले के बयाना के पास बिड्यारी गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद वकालत में अपना करियर शुरू किया। वकालत के क्षेत्र में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई और इसके साथ ही समाज में कुछ अच्छा करने की इच्छा जागृत हुई। तिवारी ने अपनी वकालत के दौरान कई सामाजिक मुद्दों पर काम किया और लोगों की मदद करने की कोशिश की। लेकिन समय के साथ उनके मन में समाज सेवा करने की प्रेरणा अधिक प्रबल हुई, जिससे उन्होंने राजनीति में कदम रखा। गिर्राज प्रसाद तिवारी का निधन लोगों में शोक का कारण बन गया है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्री गिर्राज प्रसाद तिवारी जी के निधन का समाचार बेहद दुखद है। तिवारी जी ने 105 वर्ष की उम्र तक शानदार जीवन जिया। इस आयु में भी उनकी जिंदादिली एवं याददाश्त देखकर हम सभी प्रफुल्लित होते थे। तिवारी जी संयमित जीवन की एक मिसाल थे। मेरे प्रति तिवारी जी का विशेष… pic.twitter.com/Y66Fh0LKCQ
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 3, 2025
राजनीति में प्रवेश और जनसेवा का संकल्प
वकालत के बाद गिर्राज प्रसाद तिवारी ने राजनीति में कदम रखा और स्थानीय स्तर (Local Level) पर जनसेवा का कार्य किया। वे प्रधान और जिला प्रमुख के पद पर रहे। इन पदों पर रहते हुए उन्होंने हमेशा जनता की भलाई के लिए काम किया। उनकी नेतृत्व क्षमता, संगठन कौशल और निष्कलंक इमेज ने उन्हें राजनीति में मजबूत स्थान दिलाया।
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राजस्थान विधानसभा में दो बार विधायक चुने गए
गिर्राज प्रसाद तिवारी का राजनीति में सबसे अहम समय तब था, जब उन्होंने राजस्थान विधानसभा के दो बार चुनाव जीते और विधायक के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उन्होंने विधानसभा में हमेशा जनता के मुद्दों को मजबूती से उठाया। तिवारी जी की विशेषता यह थी कि वे राजनीति में हमेशा निष्पक्षता और संयम के साथ काम करते थे, जिससे उन्हें सभी पार्टियों के नेताओं का सम्मान प्राप्त था।
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विधानसभा अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका
1985 से 1990 तक गिर्राज प्रसाद तिवारी राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष (Speaker of Rajasthan Legislative Assembly) रहे। इस दौरान उन्होंने सदन की गरिमा बनाए रखने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका नेतृत्व न केवल उनके दल के लिए, बल्कि समग्र विधानसभा के लिए प्रेरणादायक था। उनके कार्यकाल में, विधानसभा में विवादों को सुलझाने और सदन की कार्यवाही को पारदर्शी और प्रभावी बनाए रखने के लिए कई नीतियाँ लागू की गईं। उनकी भूमिका सदन की गरिमा और परंपराओं को बनाए रखने में महत्वपूर्ण रही।
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तिवारी का राजनीतिक और सामाजिक योगदान
गिर्राज प्रसाद तिवारी ने अपनी राजनीति में हमेशा समाज के सभी वर्गों के हितों की रक्षा की। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि उनके चुनाव क्षेत्रों में विकास कार्यों की गति तेज हो और लोगों को बुनियादी सुविधाएं मिल सकें। उनके प्रयासों से कई क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ। उन्होंने स्थानीय मुद्दों के अलावा, राष्ट्रीय और राज्य के मुद्दों को भी अपनी प्राथमिकता बनाई। उनके योगदान को न केवल राजनीतिक हलकों में, बल्कि आम जनता में भी सराहा गया।
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पैतृक गांव में किया जाएगा अंतिम संस्कार
गिर्राज प्रसाद तिवारी का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बिड्यारी, बयाना (Bidyari, Bayana) में किया जाएगा। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा उनके अंतिम संस्कार में शामिल होंगे और इसके लिए स्थानीय प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। तिवारी जी के अंतिम संस्कार में परिवार, समर्थक, और स्थानीय लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उपस्थित होंगे। राजनीतिक और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी तिवारी को श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे।
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