राजस्थान में राजनीतिक रसूख बढ़ा रहे बिजली चोरी, बेढम-खींवसर-पायलट-शेखावत-मेघवाल के गढ़ में जम्पर की भरमार

राजस्थान के 10 जिलों में 20 विधानसभा क्षेत्र और 40 सबडिवीजन बिजली चोरी के केंद्र बने हुए हैं। राजनीतिक हस्तक्षेप और अवैध ट्रांसफार्मरों के कारण चोरी बढ़ी है।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (TheSootr)

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राजस्थान में बिजली चोरी की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। हालात यह हैं कि राज्य के करीब 10 जिलों के 20 विधानसभा क्षेत्रों के लगभग 40 सबडिवीजन अब बिजली चोरी के गढ़ बन गए हैं। प्रदेश के बड़े नेताओं कैबिनेट मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर, राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट व अन्य के क्षेत्रों में बड़ी मात्रा में बिजली चोरी हो रही है। यहां पर अवैध ट्रांसफार्मर और लाइनें लगाकर धड़ल्ले से बिजली की चोरी की जा रही है। कई स्थानों पर, खेतों की सिंचाई के लिए अवैध रूप से सिंगल फेज ट्रांसफार्मर लगाए जाते हैं, और इसके लिए कोई कनेक्शन भी नहीं लिया जाता। राज्य सरकार और बिजली कंपनियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।

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राजनीतिक हस्तक्षेप बिजली चोरी का बड़ा कारण!

राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में हो रही बिजली चोरी के पीछे कई कारण हैं। इन कारणों में सबसे प्रमुख कारण राजनीतिक हस्तक्षेप (Political Interference) है। कई बार देखा गया है कि राजनीतिक दबाव के कारण, बिजली कंपनियां और अधिकारी चोरी के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते। यह समस्या राज्य की बिजली व्यवस्था को प्रभावित कर रही है और इससे राजस्व में भारी नुकसान हो रहा है। कई जगहों पर, जब बिजली चोरी पकड़ी जाती है, तो लोग अपने विधायक या सांसद के पास जाते हैं और दबाव बनाते हैं कि उनकी ओर से कार्रवाई न की जाए।

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बिजली चोरी के प्रभावित क्षेत्र

राजस्थान के कई विधानसभा क्षेत्रों में बिजली चोरी के मामले अधिक हैं। इनमें चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर का क्षेत्र, गृह राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेढम का क्षेत्र, भा.ज.पा. विधायक शैलेंद्र दिगंबर सिंह का क्षेत्र और कई अन्य विधानसभा क्षेत्रों में बिजली चोरी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।

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प्रमुख विधानसभा क्षेत्रों में बिजली चोरी

  • लोहावट और खींवसर विधानसभा क्षेत्रों में 35% से ज्यादा बिजली चोरी।

  • नगर और कामां विधानसभा क्षेत्रों में 38% चोरी।

  • डीग में 40% तक बिजली चोरी हो रही है।

  • नागौर लोकसभा क्षेत्र में 22% चोरी, जो एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है।

इसके अलावा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के क्षेत्र टोंक में भी 33% बिजली चोरी हो रही है, जबकि भैराराम सियोल के क्षेत्र ओसियां और मथानिया में यह आंकड़ा 34% तक पहुंच गया है।

विशेष क्षेत्रीय आंकड़े

राजस्थान में ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां बिजली चोरी के मामले बेहद चिंताजनक हैं:

  • केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के क्षेत्र जोधपुर ग्रामीण क्षेत्र में 34.89% बिजली चोरी।

  • केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के क्षेत्र बीकानेर ग्रामीण में 31.78% चोरी।

  • भरतपुर और करौली-धौलपुर के क्षेत्र में भी इस प्रकार की चोरी के मामले सामने आए हैं।

राजस्थान में चोरी रोकने के प्रयास

राजस्थान में बिजली चोरी की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए राजस्थान सरकार ने कई कदम उठाए हैं। बिजली निगम ने कुछ क्षेत्रों में ऑपरेशन ततैया (Operation Tathai) चलाकर चोरी पकड़ी, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण इन प्रयासों को भी रुकावटें आती हैं। विजिलेंस चेकिंग (Vigilance Checking) के दौरान कई बार जनप्रतिनिधियों द्वारा विरोध किए जाने की खबरें भी आई हैं। इन हालात में, अधिकारियों और इंजीनियरों को दबाव में काम करना पड़ता है, जिससे चोरी के मामलों की जांच और पकड़ में कमी आ रही है।

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बिजली चोरी में प्रमुख जिले

  1. डीग – 36.83% चोरी।

  2. जोधपुर ग्रामीण – 34.89% चोरी।

  3. फलोदी – 33.93% चोरी।

  4. बीकानेर जिला – 31.78% चोरी।

  5. धौलपुर – 26.50% चोरी।

  6. नागौर – 22.55% चोरी।

  7. करौली – 22.58% चोरी।

  8. कोटपूतली – 21.68% चोरी।

  9. झालावाड़ – 16.29% चोरी।

बिजली चोरी में प्रमुख सबडिवीजन

राजस्थान के कुछ सबडिवीजन, जहां बिजली चोरी के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं, निम्नलिखित हैं:

  • बारां – 35.74% चोरी।

  • खोरामुला – 38.88% चोरी।

  • कुम्हेर – 41.66% चोरी।

  • कामां – 38.27% चोरी।

  • डीग – 42.79% चोरी।

  • बसेड़ी – 36.63% चोरी।

  • झालावाड़ – 41.78% चोरी।

  • बहरोड़ – 34.69% चोरी।

  • टोंक – 35.62% चोरी।

बिजली चोरी से 8 महीनों में 1700 करोड़ रुपए की हानि

इस वित्तीय वर्ष के पिछले 8 महीनों में राजस्थान में 445 करोड़ यूनिट बिजली का लॉस हुआ है। राजस्थान में कुल 4385 करोड़ यूनिट बिजली सिस्टम से ली गई, लेकिन केवल 3940 करोड़ यूनिट का ही बिलिंग हुआ, जिससे करीब 1700 करोड़ रुपए की हानि हुई।

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राजस्थान में बिजली चोरी का प्रभाव

बिजली चोरी का असर राज्य के राजस्व पर भी पड़ता है। हर साल, औसतन 2200 करोड़ रुपए का बिजली का राजस्व सरकार को प्राप्त नहीं हो पाता। बिजली चोरी के कारण राज्य में ऊर्जा संकट भी गहरा सकता है, क्योंकि यह अतिरिक्त लोड पावर सिस्टम पर डालता है। इससे केवल राज्य के लिए वित्तीय हानि नहीं होती, बल्कि इसके कारण बिजली आपूर्ति में भी व्यवधान उत्पन्न होता है। इसका सीधा असर आम जनता और उद्योगों पर पड़ता है, जो अव्यवस्थित बिजली आपूर्ति से प्रभावित होते हैं।

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बिजली चोरी पर काबू पाना: क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

राजस्थान में बिजली चोरी पर काबू पाने के लिए सरकारी विभाग कुछ ठोस कदम उठा रहे हैं:

  1. ट्रांसफार्मर और लाइनों का अनुवीक्षण: अवैध ट्रांसफार्मरों और लाइनों की जांच बढ़ाई जा रही है।

  2. ऑपरेशन ततैया: बिजली चोरी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।

  3. जागरूकता अभियान: जनता में बिजली चोरी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए अभियानों का आयोजन किया जा रहा है।

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FAQ

1. राजस्थान में बिजली चोरी के प्रमुख क्षेत्र कौन से हैं?
राजस्थान के प्रमुख क्षेत्रों में डीग, जोधपुर ग्रामीण, फलोदी, और बीकानेर में सबसे ज्यादा बिजली चोरी हो रही है।
2. राजस्थान में बिजली चोरी से कितनी हानि हुई है?
इस वित्तीय वर्ष के पिछले 8 महीनों में राजस्थान में 445 करोड़ यूनिट बिजली की हानि हुई है, जो लगभग 1700 करोड़ रुपए की लागत है।
3. बिजली चोरी रोकने के लिए राजस्थान सरकार क्या कदम उठा रही है?
राज्य सरकार अवैध ट्रांसफार्मरों और लाइनों की जांच बढ़ा रही है, साथ ही ऑपरेशन ततैया और जागरूकता अभियानों के जरिए चोरी को रोकने का प्रयास कर रही है।
4. बिजली चोरी से राज्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
बिजली चोरी से राज्य को हर साल औसतन 2200 करोड़ रुपए का राजस्व नुकसान होता है, और यह बिजली आपूर्ति पर भी असर डालता है।
5. राजस्थान में कौन से क्षेत्रों में सबसे ज्यादा बिजली चोरी हो रही है?
राजस्थान के डीग, जोधपुर ग्रामीण, और फलोदी में सबसे ज्यादा बिजली चोरी हो रही है, जिनमें चोरी का प्रतिशत 30% से ऊपर है।

सचिन पायलट गजेन्द्र सिंह खींवसर गजेन्द्र सिंह शेखावत जवाहर सिंह बेढम राजस्थान में बिजली चोरी बिजली चोरी
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