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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में 665 सरकारी कॉलेजों में अभी भी 72 हजार से अधिक सीटें खाली पड़ी हुई हैं। ये खाली सीटें यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या छात्रों का सरकारी कॉलेजों से मोह भंग हो गया है।
राज्य के कॉलेज शिक्षा विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राज्य में कुल 2,68,000 सीटों में से 1,95,937 सीटों पर छात्रों ने एडमिशन लिया है, जबकि 1,54,000 छात्रों ने मेरिट लिस्ट में नाम आने के बावजूद भी एडमिशन नहीं लिया।
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क्या है खाली सीटों की मुख्य वजह?
इस समस्या का एक मुख्य कारण सरकारी कॉलेजों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी को माना जा सकता है। सरकारी कॉलेजों में सुविधाओं की कमी और असंतुष्ट छात्रों का बढ़ता हुआ रुझान अन्य विकल्पों की ओर जा रहा है। इसके अलावा, विद्यार्थियों के बीच निजी संस्थानों में अधिक आकर्षण और बेहतर सुविधाओं का असर भी देखने को मिला है।
क्या किया जा रहा है रिक्त सीटों को भरने के लिए?
कॉलेज शिक्षा आयुक्त डॉ. ओपी बैरवा ने बताया कि सरकारी कॉलेजों की 2,68,000 सीटों के लिए 4 लाख से ज्यादा एप्लीकेशंस प्राप्त हुई थीं। इसके बावजूद, 1,54,000 विद्यार्थी जिन्होंने मेरिट लिस्ट में नाम आने के बावजूद फीस जमा नहीं करवाई, वे डिफॉल्टर हो गए हैं। अब रिक्त सीटों को भरने के लिए तीसरी और चौथी मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद ऑफलाइन प्रवेश प्रक्रिया अपनाई जाएगी, ताकि बची हुई सीटों को भरने के लिए मेरिट के आधार पर छात्रों को एडमिशन मिल सके।
सीट ट्रांसफर की योजना
खाली सीटों को भरने के लिए एक नए फॉर्मूले पर भी विचार किया जा रहा है। इसके तहत ऐसे कॉलेजों से सीटों का ट्रांसफर किया जा सकता है, जहां छात्रों का आवेदन अधिक था, लेकिन सीटें पहले ही भर चुकी हैं। इसके अलावा, अन्य कॉलेजों में जहां सीटें खाली हैं, वहां से सीट ट्रांसफर की जा सकती हैं, ताकि हर कॉलेज में छात्रों को प्रवेश मिल सके।
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आगे की रणनीति
इस कदम का उद्देश्य उन कॉलेजों में भी छात्रों को प्रवेश देना है, जहां छात्रों की संख्या कम है और सीटें खाली पड़ी हैं। इसके साथ ही जिन कॉलेजों में छात्रों की डिमांड अधिक है, वहां अगले शैक्षणिक सत्र में प्रवेश देने की योजना बनाई जा रही है। इस नीति से ज्यादा से ज्यादा छात्रों को राज्य के सरकारी कॉलेजों में प्रवेश मिलेगा और इन कॉलेजों की लोकप्रियता में भी वृद्धि होगी। अब सवाल यह है कि क्या रिक्त सीटें भरी जा सकेंगी?
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