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राजस्थान में दिल की बीमारी से होने वाली मौतों में भारी वृद्धि देखी जा रही है। कोविड महामारी के बाद से दिल की बीमारी और हार्ट अटैक के मामलों में चिंताजनक वृद्धि हुई है।
2022 में राजस्थान में दिल की बीमारी से 24.4% मौतें हुईं, जो राष्ट्रीय स्तर पर 40.8% पहुंच जाती है। यह स्थिति राज्य में बढ़ती हृदय रोगों के प्रति जागरूकता की आवश्यकता को और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बनाती है।
कोविड के बाद दिल की बीमारी से मौतों में वृद्धि
कोविड महामारी के बाद दिल की बीमारी से मौतों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। एमसीसीडी (मेडिकल सर्टिफाइड मृत्यु प्रमाणपत्र) की 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में 19,656 लोगों की मौत दिल की बीमारी से हुई, जिसमें 12,416 पुरुष और 7,240 महिलाएं शामिल थीं। यह आंकड़ा 2013 में दिल के रोगों से हुई मौतों से काफी अधिक है, जहां यह प्रतिशत केवल 18.5% था।
किस तरह की समस्याएं आ रही हैं सामने
कोविड के बाद हृदय संबंधित समस्याएं और बढ़ गईं हैं। थ्रोम्बोसिस (खून का थक्का) और मायोकॉर्डियम इन्फ्लेमेशन (हृदय की सूजन) जैसी समस्याएं बढ़ी हैं। इसके अलावा, कोविड के बाद युवाओं में भी अचानक हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। कोविड के बाद 35-40 साल के उम्र के लोगों में दिल की समस्याएं बढ़ी हैं, खासकर उन लोगों में जिनके परिवार में पहले से हृदय रोग है या जो धूम्रपान करते हैं या डायबिटिक हैं।
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युवाओं और बच्चों में हार्ट अटैक
राजस्थान में दिल की बीमारी से बढ़ती मौतें चिंता की बात है। सिर्फ बुजुर्ग नहीं, बल्कि अब बच्चों और युवाओं में भी दिल की समस्याएं बढ़ने लगी हैं। हाल ही में जालौर के बागोडा उपखंड क्षेत्र के एक निजी विद्यालय में 9वीं कक्षा की छात्रा निरमा कुमारी की अचानक हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके अलावा, सीकर की 9 साल की पार्थी कुमावत, कोटपूतली के 13 साल के जॉनी और जयपुर के मेडिकल छात्र जलद शर्मा जैसे कई उदाहरण सामने आ रहे हैं, जहां खेलते-खेलते या सामान्य गतिविधियों के दौरान अचानक मौत हो रही है।
हार्ट अटैक के लक्षण और बचाव
हार्ट अटैक का पूर्वानुमान लगाना बेहद मुश्किल है, लेकिन इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिनमें सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, और थकान शामिल हैं। कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. संजीव गुप्ता का कहना है कि दिल की बीमारी से बचने का कोई सर्वमान्य तरीका नहीं है, लेकिन नियंत्रित खानपान, नियमित व्यायाम, योग और वॉक करने से इसका खतरा कम किया जा सकता है। यदि परिवार में पहले से हृदय रोगी हैं, या यदि कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है, डायबिटिक है या उसे कोलेस्ट्रॉल की समस्या है, तो उसे 35-40 साल की उम्र के बाद नियमित रूप से दिल की जांच करानी चाहिए।
कोविड के बाद बढ़े दिल के रोग
कोविड महामारी के बाद दिल के रोगों में वृद्धि के कई कारण हैं। कोविड के दौरान शरीर में हुए विभिन्न बदलावों ने हृदय संबंधित समस्याओं को और अधिक गंभीर बना दिया है। डॉ. संजीव गुप्ता के अनुसार, कोविड के बाद दिल की बीमारी से मरने वालों की तादाद बढ़ी है। इस वृद्धि के पीछे फैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग और डायबिटीज भी कारण हैं।
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क्यों जरूरी है नियमित जांच
कोविड के बाद दिल की बीमारी से मौतें बढ़ीं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के बाद दिल की समस्याओं से बचने के लिए व्यक्ति को अपनी जीवनशैली में सुधार लाना जरूरी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार और मानसिक तनाव से बचाव करना दिल की सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, 35-40 साल की उम्र के बाद दिल की नियमित जांच कराना चाहिए, खासकर उन लोगों को जिनके परिवार में हृदय रोग का इतिहास है।