भारत में कुल प्रति व्यक्ति आय में पिछले दशक में 57.5 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में 72,805 रुपए से बढ़कर 2024-25 में 1,14,710 रुपए प्रति व्यक्ति हो गई है। हालांकि यह वृद्धि सभी राज्यों में समान नहीं रही है। कर्नाटक, गोवा और तेलंगाना जैसे राज्यों में प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि सबसे अधिक रही, जबकि राजस्थान, उत्तराखंड, पंजाब और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में यह वृद्धि धीमी रही है।
राजस्थान की स्थिति में भारी असमानता
एनएसडीपी के आधार पर राजस्थान की आय 2024-25 में प्रति व्यक्ति 96,638 रुपए रही, जो अन्य राज्यों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। मध्यप्रदेश, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय रही है। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश में यह 70,434 रुपए है, जबकि छत्तीसगढ़ में 93,162 रुपए है। इस तरह छत्तीसगढ़ की कमाई मध्यप्रदेश से 32 प्रतिशत अधिक है।
कर्नाटक, तेलंगाना और ओडिशा की सफलता
कर्नाटक (93.6%), तेलंगाना (85.3%) और ओडिशा (96.7%) जैसे राज्यों ने पिछले दशक में अपनी प्रति व्यक्ति आय लगभग दोगुनी कर दी है। कर्नाटक की आय में वृद्धि औद्योगिकीकरण, स्टार्टअप संस्कृति और सरकारी पहलों का परिणाम है। इन राज्यों ने आर्थिक विकास के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे और आर्थिक नीतियों को अपनाया है, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ।
इस तरह रहा राज्यों का प्रदर्शन
2024-25 में सर्वाधिक आय वाले राज्यों में कर्नाटक की आय 2,04,605 रुपए, तमिलनाडु की आय 1,96,908 रुपए, हरियाणा की आय 1,94,285 रुपए, तेलंगाना की आय 1,87,912 रुपए और महाराष्ट्र की आय 1,76,608 रुपए रही। वहीं राजस्थान की आय 96,638 रुपए, छत्तीसगढ़ की आय 93,162 रुपए, मेघालय की आय 77,412 रुपए, मध्यप्रदेश की आय 70,434 रुपए और मणिपुर की आय 65,471 रुपए रही। कर्नाटक की आय सबसे ज्यादा और बिहार की पिछले वर्ष के आधार पर सबसे कम आय रही।
राज्य की आर्थिक स्थिति का सही आकलन
एनएसडीपी (नेट स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) राज्य के भीतर एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का शुद्ध मूल्य होता है। यह राज्य की आर्थिक समृद्धि का एक प्रमुख संकेतक है। इसे प्रति व्यक्ति आय की गणना के लिए उपयोग किया जाता है। एनएसडीपी से राज्य की आर्थिक स्थिति को सही तरीके से समझा जा सकता है।
लोकसभा में वित्त मंत्रालय के एक जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि राज्यों में प्रति व्यक्ति आय में असमान वृद्धि के कारणों में आर्थिक संरचना, औद्योगिकीकरण, शासन प्रणाली और सामाजिक बुनियादी ढांचे के अंतर को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसके कारण कुछ राज्यों में आर्थिक समृद्धि की गति तेज रही, जबकि अन्य राज्यों में धीमी रही।
सामाजिक और आर्थिक सुधार की आवश्यकता
चौधरी का कहना है कि सरकार का मुख्य उद्देश्य समावेशी विकास पर जोर देना है, ताकि हर राज्य में आर्थिक समानता लाई जा सके। इसके लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के माध्यम से राज्य के आर्थिक ढांचे में सुधार किया जा रहा है। इन पहलों का उद्देश्य हर राज्य में नागरिकों की आय को बढ़ाना और आर्थिक समृद्धि को समान रूप से वितरित करना है।
FAQ
1. भारत में प्रति व्यक्ति आय में कितनी वृद्धि हुई है?
भारत में प्रति व्यक्ति आय में 57.5 फीसदी की वृद्धि हुई है, जो 2014-15 में 72,805 रुपए से बढ़कर 2024-25 में 1,14,710 रुपए हो गई है।
2. कर्नाटक में प्रति व्यक्ति आय क्यों अधिक है?
कर्नाटक में बेंगलूरु जैसे शहरों में स्टार्टअप संस्कृति और औद्योगिकीकरण के कारण प्रति व्यक्ति आय अधिक रही है। कर्नाटक में पिछले वित्त वर्ष में लोगों की औसत कमाई ₹2 लाख के पार जा चुकी थी।
3. एनएसडीपी क्या है और इसका क्या महत्व है?
एनएसडीपी (नेट स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) राज्य के भीतर एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का शुद्ध मूल्य होता है और यह राज्य की आर्थिक स्थिति का एक प्रमुख संकेतक है।