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Photograph: (the sootr)
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर होने के बाद कई बड़े बदलाव होने की उम्मीद जताई जा रही है। माना जा रहा है कि समझौते के बाद राजस्थान के रत्न एवं आभूषण उद्योग को निर्यात के क्षेत्र में बड़ी बढ़त मिल सकती है। समझौते के तहत कीमती और सस्ते आभूषणों पर लगने वाले सभी टैरिफ समाप्त कर दिए गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर द्वारा लंदन में गुरुवार को हस्ताक्षरित इस समझौते के तहत भारत के 99 फीसदी निर्यातों को यूके में शुल्क-मुक्त पहुंच प्राप्त होगी, जिससे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बल मिलेगा। दावा किया जा रहा है कि राजस्थान के रत्न एवं आभूषण उत्पादकों को अब यूके में शून्य टैरिफ दर पर निर्यात करने की सुविधा मिलेगी। मुक्त व्यापार समझौता तभी लाभ दे सकेगा, जब इस पर गंभीरता से काम किया जाएगा।
2 से 4 प्रतिशत तक का सीमा शुल्क बचेगा
अभी भारत से कीमती धातुओं के आभूषणों के निर्यात पर 2 से 4 प्रतिशत तक का सीमा शुल्क लगता है, जबकि सस्ती धातुओं के आभूषणों पर यह शुल्क 4 प्रतिशत है। एफटीए के प्रभावी होते ही ये सभी शुल्क शून्य हो जाएंगे। इस समझौते से मोती, कीमती एवं अर्द्ध-कीमती पत्थर, कीमती धातुएं, कृत्रिम आभूषण आदि पर मौजूदा टैरिफ समाप्त हो गया है। हालांकि यह राह इतनी आसान नहीं होगी, जितना दावा किया जा रहा है।
बदल जाएगा टेक्सटाइल और परिधान क्षेत्र
यूके के बाजार में जीरो ड्यूटी पहुंच से राजस्थान का वस्त्र उद्योग भी लाभान्वित होगा, क्योंकि पहले यहां पर 12 प्रतिशत तक आयात शुल्क लगता था। इस बदलाव से 4500-7000 करोड़ रुपए के निर्यात की संभावनाएं बढ़ेंगी। विशेष रूप से परिधान और होम टेक्सटाइल्स क्षेत्र में भारत के पड़ोसी देशों से राजस्थान बेहतर ढंग से प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। हालांकि इसके लिए सरकारी स्तर पर आने वाली अड़चनों को दूर करना होगा।
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हस्तशिल्प के लिए बढ़ेंगी संभावनाएं
वहीं मकराना और किशनगढ़ के विश्व प्रसिद्ध स्टोन एवं मार्बल उद्योग, राज्य की सीमेंट निर्माण इकाइयों एवं राजस्थानी पारंपरिक फर्नीचर और बेडिंग निर्माण इकाइयों को भी इस एफटीए से लाभ मिलेगा। इसके साथ ही पारंपरिक पेंटिंग्स, पॉटरी और धातु शिल्प सहित हस्तशिल्प क्षेत्र के लिए भी संभावनाओं के द्वार खुलेंगे। यूके के लग्जरी मार्केट और दक्षिण एशियाई प्रवासी समुदाय की ओर से बढ़ती मांग इसमें सहायक होगी। इस पर भी सरकार को खास ध्यान देने की जरूरत होगी।
निर्माण क्षमता को बढ़ाना होगा
एफटीए समझौते से प्रदेश की इंजीनियरिंग गुड्स को भी कम टैरिफ का लाभ मिलेगा और यूके के बाजार में बेहतर पहुंच मिलने की संभावना है। स्थानीय वैल्यू एडिशन नियमों के साथ ऑटो पार्ट्स के निर्यात को भी बढ़ावा मिल सकता है। होंडा का टपूकड़ा संयंत्र इस क्षेत्र में राज्य की निर्माण क्षमता को दर्शाता है, जहां से इंजन पार्ट्स और क्रैंकशाफ्ट जैसे उत्पादों का निर्यात यूके और अन्य देशों में किया जा रहा है। इस क्षेत्र पर भी सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी।
राइजिंग राजस्थान पार्टनरशिप कॉन्क्लेव अहम
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में राज्य सरकार राइजिंग राजस्थान पार्टनरशिप कॉन्क्लेव-2025 का दिसंबर में आयोजन करने जा रही है। यह कॉन्क्लेव भारत और यूके सहित अन्य देशों के बीच व्यापारिक साझेदारियों को मजबूती प्रदान करने में सहायक हो सकता है, बशर्ते कि इस पर गंभीरता से काम किया जाए। भारत-यूके एफटीए भारत सहित राजस्थान की आर्थिक नीति में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है, लेकिन इस पर सरकार को गंभीरता से काम करना होगा।
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