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Photograph: (the sootr)
राजस्थान और पंजाब के करीब दो करोड़ लोग जहरीला पानी पी रहे हैं। इसकी वजह पंजाब और राजस्थान से सटे जिलों में इंदिरा गांधी नहर में फैक्ट्रियों का खतरनाक अपशिष्ट व सीवरेज का पानी लगातार डाला जा रहा है। इस पर न तो कोई अंकुश लगाया जा रहा है और ना ही इसे रोकने की कोई योजना बनाई गई है।
वहीं पानी को साफ करने के लिए कोई ट्रीटमेंट प्लांट नहीं बनाया गया है और ना ही पानी में हैवी मेटल (Heavy Metals) जैसे जहरीले तत्वों की जांच हो रही है। पंजाब में हरिके हैडवर्क से पहले कई नाले बहते हैं। इन नालों से करीब 35 नगरपालिकाओं के सीवरेज तथा 2500 फैक्ट्रियों का जहरीला पानी सतलुज से इंदिरा गांधी नहर में गिरता है। इससे जल गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
न पंजाब सुन रहा, ना राजस्थान
उधर, पंजाब सरकार ट्रीटमेंट प्लांट निर्माण में सहयोग नहीं कर रही है और राजस्थान सरकार भी हैवी मेटल जांच के लिए मशीनें मुहैया नहीं करवा रही है। इंदिरा गांधी नहर का पानी पीने वाले किसी भी जिले की जल विज्ञान प्रयोगशाला में हैवी मेटल की जांच की व्यवस्था नहीं है। वहीं हनुमानगढ़ जिला प्रशासन कई बार राज्य सरकार को पत्र लिखकर जांच मशीन उपलब्ध कराने की मांग कर चुका है।
यहां पर नहीं कोई व्यवस्था
नहर के पानी से लाभांवित हो रहे राजस्थान के हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, चूरू, बीकानेर जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, झुंझुनूं और सीकर जैसे जिलों की जल प्रयोगशाला में जिंक, लैड, मर्करी, कैडमियम आदि अन्य खतरनाक हैवी मेटल्स जांचने की व्यवस्था नहीं है। वहीं संभाग स्तर पर भी कोई लैबोरेट्री नहीं है।
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कई बार मांग चुके जांच मशीन
जिला प्रशासन कई बार हैवी मेटल आदि की जांच के लिए नई और आधुनिक मशीनों की मांग सरकार से कर चुका है। वर्तमान में हनुमानगढ़ जिला प्रयोगशाला में केवल पीएच, बीओडी, फ्लोराइड, क्लोराइड, कॉलीफार्म, टीडीएस, सोडियम, पोटेशियम आदि जांच की व्यवस्था है।
सिर्फ राजनीति, प्रयास किसी ने नहीं किए
हनुमानगढ़ की सावधान संस्था के अध्यक्ष एडवोकेट शंकर सोनी ने बताया कि हमारी संस्था की राजस्थान व पंजाब सरकार के खिलाफ प्रस्तुत याचिका पर स्थायी लोक अदालत ने राजस्थान सरकार के विरुद्ध आदेश पारित किया था कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित कर प्रदूषित जल को स्वच्छ कर नहर में डलवाए। सरकार ने गत सुनवाई में जवाब दिया कि ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए पंजाब सरकार से सहयोग नहीं मिल रहा है। असल में प्रदूषित पानी के मुद्दे पर सिर्फ राजनीति होती रही है, समाधान के ठोस प्रयास किसी सरकार ने नहीं किए।
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