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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने राजस्थान के सरकारी डेंटल कॉलेज (RUHS) में एमबीसी (MBC) के लिए आरक्षित पीजी की एकमात्र सीट ओबीसी (OBC) को देने पर सरकार से जवाब मांगा है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता सियाराम गुर्जर के अधिकार सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। जस्टिस समीर जैन ने मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को तय की है।
राजस्थान के सरकारी डेंटल कॉलेज में नीट पीजी सीट मामला क्या है?
याचिकाकर्ता के एडवोकेट तनवीर अहमद ने बताया कि राजस्थान के सरकारी डेंटल कॉलेज में नीट पीजी की कुल 14 सीट हैं। इनमें से तीन सीट ओबीसी और एक सीट एमबीसी के लिए आरक्षित है। याचिकाकर्ता ने पहली राउंड की काउंसलिंग में अपने से ज्यादा नंबर वाले एमबीसी अभ्यर्थी होने के कारण आवेदन नहीं किया था। लेकिन बाद में पता चला कि वह अभ्यर्थी आॅल इंडिया कोटे में चला गया है। इस कारण एमबीसी की एक सीट रिक्त होनी चाहिए थी लेकिन,सरकार ने इस सीट को रिक्त रखने के स्थान पर ओबीसी की एक सीट बढ़ा कर चार कर दी हैं। इसलिए दूसरे राउंड में एमबीसी की एक भी सीट ही नहीं रखी गई। इस कारण याचिकाकर्ता एमबीसी कोटे का होने के बावजूद डेंटल पीजी में प्रवेश से वंचित हो रहा है।
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हाई कोर्ट ने राजस्थान डेंटल कॉलेज मामले में क्या कहा?
अदालत ने मामले में जवाब—तलब करते हुए याचिकाकर्ता के अधिकार सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं। यानि मामले के निपटारे तक पहले राउंड को अंतिम रूप नहीं दिया जा सकेगा। मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होगी।
न्यायाधीश समीर जैन ने सियाराम गुर्जर बनाम राज्य सरकार व अन्य मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए हैं। साथ ही, अंतरिम आदेश के तहत निर्देश दिया है कि “पक्षकारों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे”। अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।
राजस्थान सरकारी डेंटल कॉलेज मामले में याचिकाकर्ता ने क्या आरोप लगाया?
राजस्थान के सरकारी डेंटल कॉलेजों में एमबीसी श्रेणी के तहत एमडीएस सीट के लिए राज्य कोटे के पात्र अभ्यर्थी याचिकाकर्ता सियाराम गुर्जर ने आरोप लगाया है कि 335 अंक (रैंक 9957) प्राप्त करने के बावजूद उन्हें प्रथम राउंड में सीट से वंचित कर दिया गया। रोस्टर के अनुसार, ओबीसी श्रेणी को केवल 03 सीटें और एमबीसी श्रेणी को 01 सीट आवंटित होनी थी। लेकिन 11 जुलाई 2025 को घोषित प्रथम चरण की काउंसलिंग सूची में 04 सीटें ओबीसी श्रेणी को दे दी गईं और एमबीसी श्रेणी की सीट को उपलब्ध ही नहीं कराया गया। जबकि, नियमों के अनुसार तीसरे राउंड तक सुरक्षित रखी जानी थी।
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MBC आरक्षण क्या है?भारत में जाति वर्गीकरण के संदर्भ में "अति पिछड़ा वर्ग" (MBC) एक महत्वपूर्ण श्रेणी है, जिसका उद्देश्य उन जाति समूहों को पहचानना है जो ऐतिहासिक रूप से सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित रहे हैं। यह विशेष रूप से राजस्थान, तमिलनाडु, बिहार जैसे राज्यों और अन्य क्षेत्रों में लागू होता है, जहां इन समुदायों को विकास के अवसरों और समर्थन की आवश्यकता है। MBC, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) का एक उपवर्ग है, लेकिन इसे अन्य पिछड़े वर्गों की तुलना में अधिक सहायता की आवश्यकता मानी जाती है। MBC के अंतर्गत आने वाले जाति समूहों को शिक्षा, रोजगार और अन्य संसाधनों में कम अवसर मिलते हैं, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में पिछड़ापन बना रहता है। राजस्थान में MBC में कौन-कौन सी जातियां हैं?राजस्थान में गुर्जर, गाड़िया, लुहार, बंजारा, रेबारी और रायका सहित पांच जातियां, जो पहले ओबीसी में वर्गीकृत थीं, अब एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में वर्गीकृत हो गई हैं। राजस्थान में MBC को कितना आरक्षण है?राजस्थान सरकार ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम- 2019 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों गाड़िया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को MBC (अति पिछड़ा वर्ग) में पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण दिया है। |
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याचिकाकर्ता ने राजस्थान सरकारी डेंटल कॉलेज में पहले राउंड में क्यों पंजीकरण नहीं कराया?
याचिकाकर्ता ने शुरू में यह मानते हुए कि एमबीसी में उनसे ऊपर रैंक वाला अभ्यर्थी रमेश कुमार पात्र है, पहले राउंड में पंजीकरण नहीं कराया। बाद में पता चला कि रमेश ऑल इंडिया कोटे से सीट प्राप्त कर चुका है और राज्य पात्रता नहीं रखता, जिससे सियाराम गुर्जर एमबीसी श्रेणी में सर्वश्रेष्ठ मेरिट धारक बनते हैं।
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याचिकाकर्ता ने राजस्थान सरकारी डेंटल कॉलेज को लेकर कब याचिका दाखिल की?
16 जुलाई 2025 को द्वितीय राउंड के लिए पंजीकरण के बाद, जब एमबीसी के लिए कोई सीट नहीं दिखाई गई, तो याचिकाकर्ता ने यह याचिका दाखिल की। याचिकाकर्ता ने 11 जुलाई की अस्थायी सूची को संशोधित करने तथा द्वितीय राउंड में एमबीसी की एक सीट उपलब्ध कराने की मांग की है।
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एमबीसी आरक्षण | RUHS | Rajasthan University of Health Sciences