जयपुर का कोचिंग हब IIT जोधपुर के हवाले होगा, उच्च तकनीकी शिक्षा का बनेगा केंद्र
राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रताप नगर में स्थित कोचिंग हब IIT जोधपुर को मिलेगा, तकनीकी शिक्षा के विस्तार में होगा बड़ा योगदान। सरकार ने किए आदेश जारी।
राजस्थान की राजधानी जयपुर (Jaipur) का बहुप्रतीक्षित प्रताप नगर कोचिंग हब अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जोधपुर (IIT Jodhpur) के सुपुर्द किया जा रहा है। नगरीय विकास विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। लगभग 800 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित यह कोचिंग हब अब तकनीकी शिक्षा के विस्तार का केंद्र बनेगा। इस हब को जयपुर कोचिंग हब के नाम से भी जाना जाता है।
योजना के पहले चरण में कोचिंग हब के तीन टावर आईआईटी जोधपुर को एक्सटेंशन कैंपस के रूप में दिए जाएंगे। शेष तीन टावरों का उपयोग अन्य शैक्षणिक कार्यों के लिए किया जाएगा। इसके साथ ही हॉस्टल सुविधा के लिए 20 हजार वर्गमीटर जमीन आवंटित होगी, जो कोचिंग हब के समीप होगी।
छात्रों के लिए बेहतर सुविधाओं का वादा
सरकार का कहना है कि जमीन की उपलब्धता और भवन का स्थान छात्रों के लिए सुविधा जनक होगा। इससे उन्हें हॉस्टल और क्लास रूम के बीच यात्रा में समय की बचत होगी।
कोचिंग हब पहले से ही पूरी तरह तैयार है, जिसके कारण किसी अतिरिक्त निर्माण लागत की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस परियोजना के लिए 100 करोड़ रुपए की प्रस्तावित ग्रांट नहीं दी जाएगी।
केंद्र सरकार की अनुमति के बाद संचालन
हाउसिंग बोर्ड ने IIT जोधपुर को निर्देश दिया है कि वह केंद्र सरकार से अनुमति प्राप्त करने के बाद एक्सटेंशन कैंपस का संचालन शीघ्र शुरू करे। इस फैसले से उम्मीद है कि जयपुर में उच्च तकनीकी शिक्षा को नई दिशा और ऊर्जा मिलेगी।
कोचिंग हब से IIT तक
स्थान : प्रताप नगर, जयपुर लागत : 800 करोड़ रुपए पहला चरण : तीन टावर IIT जोधपुर को हॉस्टल के लिए जमीन : 20,000 वर्गमीटर उद्देश्य : उच्च तकनीकी शिक्षा का विस्तार
FAQ
1. जयपुर का कोचिंग हब IIT जोधपुर को क्यों सौंपा जा रहा है?
इसका उद्देश्य उच्च तकनीकी शिक्षा का विस्तार करना और कोचिंग हब का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।
2. क्या इसके लिए अतिरिक्त लागत लगेगी?
नहीं, कोचिंग हब पहले से तैयार है और सरकार कोई अतिरिक्त पूंजीगत या रेकरिंग लागत नहीं देगी।
3. छात्रों को इससे क्या लाभ होगा?
छात्रों को आधुनिक क्लास रूम, हॉस्टल और बेहतर शिक्षण सुविधाएं एक ही परिसर में मिलेंगी, जिससे समय और संसाधन की बचत होगी।