/sootr/media/media_files/2025/10/10/commission-2025-10-10-13-02-02.jpg)
राजस्थान के जयपुर स्थित एसएमएस हॉस्पिटल में एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जहां एक डॉक्टर ने मेडिकल उपकरणों के बिल पास करने के लिए रिश्वत मांगी। इस मामले ने तब तूल पकड़ी जब एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने कार्रवाई की और इस मामले में न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया।
एसएमएस हॉस्पिटल अग्निकांड राजस्थान के स के बाद भ्रष्टाचार का यह मामला सामने आने के बाद वहां की व्यवस्था की पोल खुलती नजर आ रही है।
एसीबी कार्रवाई
एसएमएस अस्पताल के न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल ने ब्रेन कॉइल सप्लाई करने वाली कंपनी से एक लाख रुपए की घूस की मांग की। आरोप है कि उन्होंने 12.50 लाख रुपए के बिल को पास करने के लिए रिश्वत का प्रस्ताव दिया था। कंपनी का प्रतिनिधि जब बिल साइन कराने के लिए उनके पास गया, तो डॉ. मनीष ने कागजात फेंकते हुए कहा कि साइन ऐसे नहीं होते हैं, तुम शाम को 7 बजे मेरे घर आओ और मेरी पर्सनैलिटी के हिसाब से वैल्यू लगाओ। इस कथन को सुनकर कंपनी ने एसीबी में शिकायत दी।
ये खबरें भी पढ़िए
राजस्थान में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सेवाएं, CAG ऑडिट रिपोर्ट ने दिखाई असली तस्वीर, हालात भयावह
राजस्थान में 18 से 25 अक्टूबर तक रहेंगे कॉलेजों में दीपावली की छुट्टियां
खाली प्लॉट में फेंक दी घूस की रकम
एसीबी ने शिकायत के बाद डॉ. मनीष पर निगरानी रखना शुरू किया। एसीबी के अधिकारियों ने एक कॉन्स्टेबल को पहले ही डॉक्टर के घर में बैठे मरीज के रूप में भेज दिया था। जैसे ही डॉ. मनीष के गुर्गे ने घूस की रकम ली, एसीबी ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया। डॉक्टर के गुर्गे ने घूस की रकम को एक खाली प्लॉट में फेंक दिया, लेकिन एसीबी ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया। अब एसीबी जांच कर रही है कि क्या डॉक्टर अकेले ही रिश्वत लेता था या किसी और के साथ मिलकर यह काम करता था। न्यूरो सर्जन डॉ. मनीष अग्रवाल गिरफ्तार होने के बाद मामले की जांच की जा रही है
ब्रेन कॉइल का महत्वब्रेन कॉइल एक मेडिकल उपकरण है, जिसे मरीजों की सर्जरी के दौरान रक्तस्राव (ब्लीडिंग) को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके लिए कंपनी को एसएमएस अस्पताल द्वारा ऑर्डर दिया जाता है, लेकिन डॉक्टर इसके लिए कमिशन का हिस्सा मांगते हैं। जानकारी के मुताबिक, ब्रेन कॉइल सप्लाई करने वाली कंपनी से 5-7% की रिश्वत निर्धारित थी, लेकिन डॉ. मनीष ने 10% की रिश्वत की मांग की। | |
/filters:format(webp)/sootr/media/media_files/2025/10/10/hospital-1-2025-10-10-13-44-54.jpg)
अस्पतालों में मिलीभगत और भ्रष्टाचार
राजस्थान के सवाई मानसिंह अस्पताल में सिर्फ इस मामले तक ही भ्रष्टाचार सीमित नहीं है। अस्पताल में सफाई, दवाई, सुरक्षा, उपकरणों की खरीद तक सभी जगह मिलीभगत का खुलासा हुआ है। इन कामों को लेकर यह देखा गया है कि बिना रिश्वत के किसी भी फाइल को आगे नहीं बढ़ने दिया जाता। इसका असर मरीजों की देखभाल पर पड़ता है।
ये खबरें भी पढ़िए
राजस्थान के थाने में घुस महिलाओं ने मचाया तांडव, तोड़फोड़ कर फाड़ी वर्दी, जानें पूरा मामला
अमित शाह 13 अक्टूबर को राजस्थान में, तीन माह में आएंगे तीसरी बार, जानें दौरे की जानकारी
डॉ. मनीष का प्रभाव
डॉ. मनीष अग्रवाल पर सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज की कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां हैं। वह अस्पताल के न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष, ऑर्गन ट्रांसप्लांट इंचार्ज, मेडिकल ऑफिसर इन-चार्ज और परचेज स्टोर का प्रभारी है।
आखिर डॉक्टर प्रशा​सनिक कार्यों से क्यों चिपके रहना चाहते हैंराजस्थान के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों का एक बड़ा हिस्सा प्रशासनिक कामों में दखल देता है। पिछले कई सालों से प्रशासनिक सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों के विरोध के कारण ये प्रयास असफल हो जाते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि यदि प्रशासनिक नियंत्रण किसी और के हाथ में चला गया तो उनकी स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। अस्पतालों में अधिकांश निर्माण, मरम्मत, और ठेके के काम डॉक्टरों की देखरेख में होते हैं। यह डॉक्टरों को अतिरिक्त प्रभाव और निर्णयाधिकार प्रदान करता है। इन कार्यों में कई बार अनियमितताएं पाई जाती हैं, लेकिन डॉक्टरों के नियंत्रण में होने के कारण कार्रवाई की संभावना कम होती है। एसएमएस अस्पताल रिश्ववतकांड के बाद व्यवस्था में बदलाव की मांग जोर पकड़ रही है। | |