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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान और केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं से बीमित मरीजों को निजी अस्पतालों में इलाज नहीं मिल रहा है। मरीजों से मनमानी तरीके से राशि वसूली जा रही है और इलाज राशि नहीं मिलने पर मरीजों के शव तक परिजनों को नहीं दिए जा रहे हैं। नियमानुसार मरीज की मौत होने पर शव को रोका नहीं जा सकता है।
हंगामा बढ़ने के बाद दिया शव
केन्द्र सरकार की आयुष्मान योजना, राजस्थान सरकार की मुख्यमंत्री स्वास्थ्य योजना, मां योजना के कार्डधारी एक मरीज की मौत के बाद उसका शव नहीं दिए जाने को लेकर रविवार को संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में जमकर हंगामा हो गया है। बात इतनी बिगड़ गई कि कैबिनेट मिनिस्टर डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को अस्पताल आना पड़ा। हंगामा बढ़ता देख अस्पताल प्रशासन को शव देना पड़ा।
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सरकार की मॉनिटरिंग कमजोर
मंत्री डॉ. मीणा ने शव रोके जाने को लेकर पुलिस को अस्पताल प्रशासन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। इस संबंध में पुलिस को लिखित शिकायत भी दी गई है। शव नहीं दिए जाने को लेकर मंत्री ने अपनी ही सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं को लेकर मॉनिटरिंग कमजोर है, जिसके चलते मरीजों के साथ निजी अस्पताल संचालक मनमानी करते हैं।
बिल नहीं चुकाने का आरोप लगाया
जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में एक शव को लेकर जमकर हंगामा हुआ। मृतक के परिवार ने आरोप लगाया कि हॉस्पिटल प्रशासन ने बिल नहीं चुकाने के कारण शव नहीं दिया। परिजनों ने इसकी शिकायत कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को की। डॉ. मीणा ने अस्पताल प्रशासन को फोन लगाए, लेकिन उनकी भी नहीं सुनी। इस पर वे कुछ देर बाद अस्पताल पहुंचे। हॉस्पिटल प्रशासन से बात करने के बाद बॉडी परिवार को सौंप दी गई।
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पैसा नहीं तो शव नहीं मिलेगा
दौसा के रहने वाले विक्रम मीणा (42) का दो सप्ताह पहले महुवा में एक्सीडेंट हो गया था। उसे दुर्लभजी की इमरजेंसी में एडमिट कराया था। हॉस्पिटल प्रशासन ने आयुष्मान और मां योजना में भर्ती करने से इनकार कर दिया। 13 दिन में 8 लाख से ज्यादा का बिल बना दिया गया।
इलाज के दौरान करीब साढ़े छह लाख रुपए भी दे दिए थे। शनिवार को मरीज की मौत हो गई। हॉस्पिटल बॉडी देने के लिए 1.79 लाख रुपए की मांग करने लगा। राशि मिलने पर ही बॉडी देने की बात कही। जब बॉडी नहीं मिली तो परिजनों ने डॉ. मीणा को आपबीती बताई, जिस पर डॉ. मीणा के दखल के बाद परिजनों को शव मिल पाया।
सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा
डॉ. मीणा ने मीडिया के सामने बयान दिया कि दुर्लभजी अस्पताल प्रशासन ने पैसे नहीं देने पर डेड बॉडी को 24 घंटे तक नहीं दिया। यह शव के साथ खिलवाड़ है और कानूनी अपराध भी है। उन्होंने गांधीनगर थाना पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में पीड़ित परिजनों की शिकायत पर हॉस्पिटल प्रशासन के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए। डॉ. मीणा ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार ने प्रदेशवासियों के अच्छे इलाज के लिए कई योजनाएं चला रखी हैं, लेकिन निजी अस्पतालों में मरीजों को लाभ नहीं मिल रहा है।
निजी अस्पताल कर रहे मनमानी
निजी हॉस्पिटल सरकारी योजनाओं में रजिस्टर्ड होने के बाद मरीज को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं। मीडिया के सामने डॉ. मीणा ने कहा कि मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि हमारी सरकार की कमजोरी मॉनिटरिंग है। मीणा ने इस मामले में मुख्य सचिव से बात की है। साथ ही सीएम भजनलाल शर्मा और स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर से भी बात करने की कही।
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अस्पताल ने रखा अपना पक्ष
उधर, दुर्लभजी हॉस्पिटल के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर जॉर्ज थॉमस का बयान सामने आया है कि परिजन घायल को दूसरे अस्पताल से रेफर करवाकर यहां लाए थे। मरीज का जनाधार कार्ड एक्टिव नहीं था। उसे अस्पताल एक्टिव कर नहीं सकता था। परिजनों ने कैश में इलाज करवाने की सहमति दी थी। हमने मरीज को बचाने के लिए अपना बेस्ट ट्रीटमेंट दिया, लेकिन दुर्भाग्य से मौत हो गई। हमने परिजनों को इलाज की राशि लौटा दी है।
राठौड़ बोले-कानून का पालन जरूरी
उधर, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का बयान सामने आया है। राठौड़ ने बयान दिया है कि कहने को तो कोई कुछ भी कह दे, लेकिन सही बात यह है कि सरकार ने एक व्यवस्था बना रखी है। कानून बना रखा है। उस कानून का पालन सबको करना है। कहीं कानून की अवहेलना होती है तो उस पर सरकार कार्रवाई करती है। सरकार की तरफ से कोई कमी नहीं है। मॉनिटरिंग पूरी है, जहां ध्यान में कोई चीज आएगी तो सरकार कार्रवाई करेगी। प्राइवेट हॉस्पिटल को मानवता दिखानी चाहिए। धन ही सब कुछ नहीं है। अस्पताल एक सेवा का केंद्र है। पैसे को आधार बनाकर डेड बॉडी नहीं देना अच्छी बात नहीं है।
बीजेपी के कुशासन में बंटाधार : जूली
वहीं नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने सोशल मीडिया पर बयान दिया है कि भाजपा सरकार के कुशासन में स्वास्थ्य सेवाओं का बंटाधार हो रखा है। न मरीजों को स्वास्थ्य लाभ मिल रहा है और ना ही दवाइयां। कभी अग्निकांड हो रहे हैं, तो कभी दवाइयों का टोटा सामने आ रहा है।
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