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Photograph: (the sootr)
Jaipur. 25 जुलाई को राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोदी गांव में एक दर्दनाक घटना घटी। यहां स्थित सरकारी स्कूल के कक्षा कक्ष के ढह जाने से 7 बच्चों की अकाल मृत्यु हो गई थी। इस हादसे में एक परिवार ने तो दो बच्चों को एक साथ खो दिया था। इन घटनाओं ने दोनों मांओं के जीवन को बर्बाद कर दिया था, लेकिन अब उन्हें फिर से मातृत्व सुख मिलेगा।
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दो मांओं के लिए नई राह
विनती बाई और राजू बाई, दोनों को नसबंदी ऑपरेशन के बाद अब एक नई उम्मीद मिली है। विनती बाई ने 2013 में अपनी पहली बेटी मीना और 2015 में बेटे कान्हा को जन्म दिया था। दोनों बच्चे स्कूल हादसे में मारे गए थे। वहीं, राजू बाई ने 2009 में बेटे कार्तिक को जन्म दिया था, जो हादसे का शिकार हुआ। अब, दोनों महिलाओं की फैलोपियन ट्यूब फिर से खोली गई है, ताकि वे फिर से मातृत्व का आनंद ले सकें।
आईवीएफ उपचार की शुरुआत
आईवीएफ (IVF) उपचार के लिए कोटा और जयपुर में इलाज शुरू किया जाएगा। सीएमएचओ डॉ. साजिद खान ने बताया कि इस प्रक्रिया के तहत विशेष डॉक्टरों की देखभाल में महिलाओं का इलाज किया जाएगा। साथ ही, नर्सिंग कर्मियों की ड्यूटी भी सुनिश्चित की गई है, ताकि महिलाओं की अच्छे से देखभाल की जा सके।
वसुंधरा राजे की मदद से समाधान
हादसे के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने परिवारों के दर्द को महसूस किया और दोनों महिलाओं की मदद करने का फैसला लिया। उन्होंने कलेक्टर को निर्देश दिए कि महिलाओं की नसबंदी प्रक्रिया को फिर से खोला जाए। इसके बाद डॉ. मधुरिमा वर्मा की देखरेख में जनाना अस्पताल में उनका ऑपरेशन किया गया।
मानसिक समर्थन और काउंसलिंग
स्कूल हादसे में दोनों महिलाओं का दिल टूट गया था। विनती बाई, जिन्होंने अपनी दोनों संतानें खो दी थीं, मानसिक रूप से बहुत अधिक प्रभावित हो गई थीं। इसके बाद डॉ. मनोज और डॉ. राशिद ने इन दोनों महिलाओं की काउंसलिंग की और उन्हें नसबंदी खुलवाने के लिए राजी किया।
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परिवारों की भावनाएं और दर्द
इन पीड़ित परिवारों के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है। विनती बाई और राजू बाई को अब एक बार फिर से मातृत्व सुख मिलेगा। इसके साथ ही, वसुंधरा राजे की मदद से इन परिवारों की खुशियां लौट आई हैं।
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हादसे के बाद किए गए सुधार
आईवीएफ उपचार : दोनों महिलाओं के लिए कोटा और जयपुर में उपचार की व्यवस्था की गई है।
नसबंदी का रिओपन : महिलाओं के नसबंदी ऑपरेशन को फिर से खोला गया है, ताकि वे मातृत्व सुख ले सकें।
काउंसलिंग : दोनों महिलाओं को मानसिक रूप से तैयार करने के लिए काउंसलिंग की गई।
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