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Photograph: (TheSootr)
शिक्षा विभाग (Education Department) ने 29 जुलाई 2025 को विधानसभा (Legislative Assembly) में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें प्रदेश में छात्रों की आकस्मिक दुर्घटनाओं (accidental deaths) का डाटा बताया गया। उसमें यह खुलासा हुआ कि उनके आंकड़ों में झालावाड़ा के पिपलोदी में हुए स्कूल भवन गिरने वाले हादसे का, जिसमें 7 बच्चे मरे थे, कोई जिक्र ही नहीं किया गया। यह घटना 25 जुलाई 2025 को हुई थी, यानी रिपोर्ट देने से चार दिन पहले, पर विभागीय दस्तावेजों में यह गायब है।
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रिपोर्ट की मुख्य बातें
– रिपोर्ट में दावा किया गया कि जुलाई 2025 तक झालावाड़ा में कोई छात्र दुर्घटना मृत्यु नहीं हुई।
– पिछले पांच वर्ष (5 years) में कुल 364 विद्यार्थी आकस्मिक मौतों का आंकड़ा दिया गया, जिनमें से 331 छात्र सरकारी स्कूलों (government schools) से और 33 छात्र निजी स्कूलों (private schools) से थे।
– रिपोर्ट में यह विवरण नहीं था कि पिपलोदी घटना कैसे गायब हो गई।
– यह भी बताया गया कि 2022 में एक विद्यार्थी की आकस्मिक मौत ही निजी स्कूलों में 5 वर्षों में दर्ज है।
बीमा योजना बंद: एक और विवाद
रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी आकस्मिक मौतों पर 2022 से बीमा योजना बंद कर दी गई थी। लेकिन, शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का दावा है कि मुख्यमंत्री आयुष्मान आरोग्य स्वास्थ्य बीमा योजना और मुख्यमंत्री आयुष्मान दुर्घटना बीमा योजना में सभी छात्र शामिल हैं। मंत्री का कहना है कि एक ही विद्यार्थी को दो योजनाओं का लाभ नहीं दिया जा सकता।
15 जिलों में पांच साल में एक भी मौत नहीं
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि राजस्थान में 15 जिले ऐसे हैं जहां पिछले 5 वर्ष में किसी विद्यार्थी की आकस्मिक मौत नहीं हुई। 13 जिले ऐसे हैं जहां निजी स्कूल के छात्रों की मौत नहीं हुई, लेकिन सरकारी स्कूलों के छात्रों की मौत हुई।कोटपूतली जिला (Kotputli district) सरकारी स्कूलों में कोई मृत्यु नहीं हुई, पर निजी स्कूल में एक विद्यार्थी की मौत हुई। 12 जिले ऐसे हैं जहां दोनों (सरकारी + निजी) स्कूलों में छात्रों की आकस्मिक मौतें हुई हैं। इन जिलों में निजी स्कूलों के 33 और सरकारी स्कूलों के 215 छात्रों की मृत्यु दर्ज हुई।
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शीर्ष 5 जिले जिसमें सर्वाधिक छात्र मृत हुए:
राजसमंद (Rajsmand) : 93
जोधपुर (Jodhpur) : 37
करौली (Karauli) : 22
चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) : 20
नागौर (Nagaur) : 17
उल्लेखनीय है कि कई जिले जैसे जैसलमेर, बाड़मेर, भरतपुर, अलवर आदि में रिपोर्ट के आधार पर एक भी छात्र मृत्यु नहीं हुई बताई गई है। हालांकि झालावाड़ा की घटना उसी समय हुई थी मगर रिपोर्ट में नहीं शामिल की गई।
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जानकारी छुपाकर की लापरवाही
विधायक यूनुस खान के सवाल पर राजस्थान विधानसभा को सौंपी रिपोर्ट में झालावाड़ स्कूल हादसा की 7 बच्चों की मौत का जिक्र न करना यह बताता है कि विभागीय रिपोर्टिंग में गंभीर लापरवाही या जानबूझकर छुपाव हो सकता है। अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे प्रतिवेदन सभी घटनाओं को शामिल करें, न कि selective reporting करें।
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छात्र सुरक्षा और जवाबदेही
परीक्षा भवनों, स्कूल भवनों की संरचना की सुरक्षा की अभी जांच होनी चाहिए कि क्या वे भूकंप, बारिश या धरण प्रतिरोध के साथ सुरक्षित हैं। इस तरह की घटनाएँ न केवल जीवन हानि लाती हैं, बल्कि शिक्षा विभाग की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न खड़े करती हैं।
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शिक्षा विशेषज्ञों का आरोप
शिक्षाविद् (इस रिपोर्ट को अधूरी रिपोर्टिंग या इरादतन छूट बताते हैं। वे कहते हैं कि यदि ऐसी गंभीर घटनाएँ रिपोर्ट में शामिल न हों, तो यह सरकार और शिक्षा विभाग की जवाबदेही को कमजोर करता है।
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