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Photograph: (TheSootr)
Jaipur. राजस्थान के जयपुर-अजमेर हाइवे पर मंगलवार यानी 7 अक्टूबर 2025 को रात को एक भीषण हादसा हुआ, जिसने न केवल सड़क यातायात को प्रभावित किया बल्कि पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया। दूदू के मौखमपुरा के पास एक केमिकल से भरा टैंकर सड़क किनारे खड़े LPG सिलेंडरों से लदे ट्रक से टकरा गया। इस टक्कर के बाद दोनों वाहनों में आग लग गई और यह आग धीरे-धीरे एक भीषण विस्फोट में बदल गई। इस हादसे में केमिकल टैंकर का ड्राइवर मौके पर ही जिंदा जल गया, जबकि ट्रक चालक की जान बाल-बाल बच गई।
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हादसे का कारण और उसकी भयावहता
इस हादसे की शुरुआत उस समय हुई जब टैंकर चालक ने सड़क पर सामने से आ रही आरटीओ की गाड़ी देखकर डर के मारे वाहन को सड़क किनारे एक ढाबे की ओर मोड़ दिया। इसी दौरान उसकी टक्कर गैस सिलेंडरों से लदे ट्रक से हो गई। टक्कर के बाद तुरंत स्पार्किंग हुई और आग फैल गई, जो देखते-देखते पूरी घटना स्थल पर फैल गई।
आग की लपटें इतनी तीव्र थीं कि 150 से ज्यादा गैस सिलेंडर विस्फोट कर गए, जिनकी आवाज़ें करीब 10 किलोमीटर दूर तक सुनाई दीं। इन धमाकों की तीव्रता इतनी थी कि कई सिलेंडर 500 मीटर दूर खेतों में जा गिरे। इन धमाकों और आग की लपटों ने आसमान को भी अपनी चपेट में ले लिया।
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हाइवे पर फैली अफरा-तफरी
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, आग इतनी तेज़ी से फैली कि मौके पर हड़कंप मच गया। घटनास्थल पर आग और धुएं का गुबार फैलने के बाद आसपास के इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। घटनास्थल पर पांच अन्य वाहनों को भी आग ने अपनी चपेट में ले लिया। यह आग इतनी तेज़ी से फैल रही थी कि राहत और बचाव कार्य में काफी समय लग गया।
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राहत कार्य में देरी
घटना के बाद, हाइवे पर चारों ओर आग और धुएं का गुबार था। दमकल विभाग ने घटनास्थल पर 12 गाड़ियां भेजी, लेकिन आग पर काबू पाने में तीन घंटे का समय लग गया। इस दौरान, केमिकल टैंकर और गैस सिलेंडर से लदे ट्रक पूरी तरह जलकर खाक हो गए थे। इससे पहले, क्षेत्र के लोग और स्थानीय प्रशासन ने भी हादसे के बाद राहत कार्य शुरू किया, लेकिन घटनास्थल पर पुलिस और दमकल की टीमों की देरी ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।
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हाइवे पर ट्रैफिक जाम
इस हादसे के कारण जयपुर-अजमेर हाइवे पूरी तरह से जाम हो गया। ट्रैफिक दबाव कम करने के लिए पुलिस ने मार्ग डायवर्ट किया। अजमेर से जयपुर की ओर जाने वाले वाहनों को किशनगढ़ से रूपनगढ़ होकर भेजा गया, जिससे ड्राइवरों को 15 किलोमीटर ज्यादा दूरी तय करनी पड़ी। वहीं, जयपुर से अजमेर जाने वाले वाहनों को 200 फीट बाइपास से टोंक रोड की ओर मोड़ दिया गया। इससे यातायात प्रभावित हुआ और दुर्घटना के कारण भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
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केमिकल टैंकर ड्राइवर की मौत
हादसे में केमिकल टैंकर का ड्राइवर मौके पर ही जिंदा जल गया। बताया जाता है कि टैंकर चालक ने खुद को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन आग इतनी तेजी से फैली कि वह बाहर नहीं निकल सका। हादसे में उसकी जान चली गई, जबकि ट्रक चालक बाल-बाल बच गया। यह दुर्घटना एक और जीवन की कीमत पर घटित हुई, जो न केवल उस चालक के परिवार के लिए, बल्कि पूरे इलाके के लिए एक बड़ा झटका है।
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ग्रामीणों में दहशत
जयपुर में केमिकल टैंकर हादसा के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल बन गया। स्थानीय ग्रामीण अब तक इस भयावह हादसे से उबर नहीं पाए हैं। हादसे के बाद, कई लोग इस बात से हैरान हैं कि यदि राहत कार्य में देरी नहीं होती तो शायद इस भयंकर हादसे से बड़ा नुकसान टल सकता था। ग्रामीणों का मानना है कि ऐसी स्थितियों में तत्काल राहत और बचाव कार्य किए जाने चाहिए, ताकि जान और माल का नुकसान कम हो सके।
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हाईवे पर सुरक्षा व्यवस्था की कमी
जयपुर अजमेर हाइवे हादसा एक बार फिर से इस बात को उजागर करता है कि हाईवे पर खतरनाक रसायनों और गैस सिलेंडरों से लदे वाहनों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी लचर है। हादसे में हुए जानमाल के नुकसान को देखकर यह साफ है कि जब भी इस तरह के खतरनाक वाहन चलते हैं, तो उनका सुरक्षा प्रबंधन और दुर्घटना से निपटने की योजना बेहद महत्वपूर्ण होती है।
केमिकल टैंकर और गैस सिलेंडर ट्रक टक्कर के बाद सवाल उठता है कि हाईवे पर इस तरह के खतरनाक रसायन और गैस सिलेंडरों से लदे वाहनों के लिए क्या पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं? यदि हादसे के बाद राहत कार्य जल्दी शुरू किए गए होते, तो शायद स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती।