जिंदल ग्रुप का अजब खेल : 12 साल से तय नहीं हो पाईं लिग्नाइट और बिजली की दरें, सिस्टम को उलझाए रखा

जिंदल ग्रुप राजस्थान में बाड़मेर के लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट को सप्लाई होने वाले लिग्नाइट और उससे बनने वाली बिजली की दरें 12 साल बाद भी तय नहीं कर पाया है। उसने सिस्टम को उलझाए रखा।

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Amit Baijnath Garg
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मुकेश शर्मा @ जयपुर

जिंदल ग्रुप ने बाड़मेर में लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट को सप्लाई होने वाली लिग्नाइट की दरें पिछले 12 साल से तय नहीं होने दी हैं। जेएसडब्ल्यू पावर और वेस्ट पावर एनर्जी की संयुक्त कंपनी जेएसडब्ल्यू एनर्जी बाड़मेर में लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट संचालित करती है।

लिग्नाइट का खनन केवल सरकारी कंपनी ही कर सकती है। इसलिए राजस्थान स्टेट माइन व मिनरल लि. और जेएसडब्ल्यू लि. ने मिलकर लिग्नाइट का खनन करने के लिए एक संयुक्त कंपनी बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंपनी बनाई। इस कंपनी ने खनन करने के लिए दो बार निविदा आमंत्रित की थी, लेकिन दोनों ही रद्द हो गई। तीसरी निविदा अभी तक लंबित चल रही है। इस बीच लिग्नाइट के खनन का काम साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी लि. यानी एसडब्ल्यूएमएल को दे दिया। यह भी जिंदल समूह की एक कंपनी है। 

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याचिका नियामक आयोग में लंबित

पावर प्लांट को सप्लाई होने वाले लिग्नाइट की दर के अनुसार ही बिजली की दर तय होती हैं। राजस्थान विद्युत नियामक आयोग को पावर प्लांट को सप्लाई होने वाले लिग्नाइट की दर तय करनी है। इसके आधार पर ही राजवेस्ट पावर की ओर से डिस्कॉम को बिजली सप्लाई की दर तय होगी। इस संबंध में बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंंपनी लि. की याचिका राजस्थान विद्युत नियामक आयोग में लंबित है। इसमें वित्तीय वर्ष 2011-12, 2013-14, 2014-15 तथा 2015-16 के लिए ​लिग्नाइट की ट्रांसफर दर तय होनी है।  

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12 साल से कंपनी ने नहीं दिया हिसाब

बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंपनी लि., जेएसडब्ल्यू लि. और आरएसएमएम लि. की संयुक्त कंपनी है और इसी कंपनी को लिग्नाइट खनन करके पावर प्लांट संचालित करने वाली जेएसडब्ल्यू एनर्जी को सप्लाई करना है। बाड़मेर लिग्नाइट ने खनन का काम साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी लि. यानी एसडब्ल्यूएमएल को दे दिया।

कंपनी ने 2012 से खनन भी शुरू कर दिया, लेकिन लिग्नाइट और बिजली की खरीद व बिक्री की दरें अब तक अंतिम रूप से तय नहीं हुईं। पिछले 12 साल से अंतरिम तौर पर ही भुगतान हो रहा है, लेकिन अंतिम तौर पर दर तय नहीं हुई हैं।

मामला नियामक आयोग से होता हुआ एपटेल और हाईकोर्ट तक पहुंच गया, लेकिन एसडब्ल्यूएमएल ने लिग्नाइट की सप्लाई दर तय करने के लिए जरूरी दस्तावेज आदि पेश नहीं किए। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त, 2025 को खनन कंपनी को आयोग के मांगे गए पूरे डाटा सहित दस्तावेज और गवाह पेश करने के निर्देश दिए थे।

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41 कार्टन में पेश की 925 फाइलें

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में आखिरकार खनन करने वाली कंपनी साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी लि. ने मंगलवार को आयोग में 41 कार्टन में 925 फाइलों का भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया है। सुनवाई के दौरान ही कंपनी के एडवोकेट ने आयोग को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में पूरा रिकॉर्ड पेश कर दिया है। यदि अन्य कोई जानकारी या सूचना चाहिए होगी, तो वह भी दे दी जाएगी। 

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कंपनी ने भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया

इस पर डिस्कॉम्स के एडवोकेट पीएन भंडारी ने कहा कि कंपनी ने भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया है। इसकी जांच ​के बिना यह तय करना मुश्किल है कि और क्या-क्या जानकारी चाहिए होगी। इसलिए पहले रिकॉर्ड की जांच करना जरूरी है।

आयोग परखेगा पूरा रिकॉर्ड

आयोग ने कहा है कि साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी लि. ने भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया है। इसकी जांच के बिना तय करना मुश्किल है कि पेश किया गया रिकॉर्ड सही है या नहीं। आयोग ने कंपनी की ओर से पेश किया गया रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट व आयोग के आदेश के अनुरूप सही होने का हलफनामा पेश करने को कहा है। इसके साथ ही आयोग ने रजिस्ट्री को पूरा रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट आदेश के अनुसार सुरक्षित व गोपनीय रखने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने सचिव और निदेशक (तकनीकी-द्वितीय) को रिकॉर्ड की जांच कर जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी।

FAQ

1. क्यों नहीं तय हो पा रही हैं लिग्नाइट और बिजली की दरें?
लिग्नाइट सप्लाई (Lignite Supply) और बिजली की दरें (Electricity Rates) 12 साल से लंबित हैं, क्योंकि जेएसडब्ल्यू (JSW) ने जरूरी दस्तावेज समय पर नहीं दिए और कई बार कार्रवाई को टाला।
2. क्या सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है?
हां, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 28 अगस्त 2025 को साउथवेस्ट माइनिंग कंपनी (Southwest Mining Company) को आदेश दिया कि सभी दस्तावेज पेश किए जाएं।
3. राजस्थान विद्युत नियामक आयोग का इस मामले में क्या रुख है?
राजस्थान विद्युत नियामक आयोग (Rajasthan Electricity Regulatory Commission) ने पेश किए गए दस्तावेजों की जांच का आदेश दिया है और इसके बाद बिजली दरें (Electricity Rates) तय की जाएंगी।

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