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Photograph: (the sootr)
मुकेश शर्मा @ जयपुर
जिंदल ग्रुप (https://www.jsw.in/energy/jsw-energy-barmer-plant) ने ऐसा अजब खेल रचा कि राजस्थान में बाड़मेर के लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट को सप्लाई होने वाले लिग्नाइट और उससे बनने वाली बिजली की दरें 12 साल से तय नहीं हो पाई हैं। उसने पूरे सिस्टम को किसी न किसी पचड़े में उलझाए रखा। वजह थी कि लिग्नाइट खनन से लेकर बिजली बनने तक के काम में उसकी कंपनी मूल में रहीं। जब भी लिग्नाइट सप्लाई और बिजली की दरें तय होने की बात होती, तो वह उसे टालती रही।
जेएसडब्ल्यू एनर्जी और राजस्थान स्टेट माइन व मिनरल लिमिटेड की संयुक्त कंपनी राजवेस्ट पावर लिमिटेड बाड़मेर के भद्रेस में लिग्नाइट आधारित पावर प्लांट चलाती है। इस प्लांट के लिए बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंंपनी लिमिटेड को कपूरडी और जालीपा खदानों में खनन कर लिग्नाइट सप्लाई करने का ठेका मिला हुआ है। उसकी तरफ से साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी लिग्नाइट खनन करती है। गौरतलब है कि जेएसडब्ल्यू पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं।
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याचिका नियामक आयोग में लंबित
बिजली घर को सप्लाई होने वाले लिग्नाइट की दर के अनुरूप ही बिजली की दरें तय होती हैं। यह काम राजस्थान विद्युत नियामक आयोग को करना है। इसके आधार पर ही राजवेस्ट पॉवर की ओर से डिस्कॉम को बिजली सप्लाई की दर तय होगी। इस संबंध में बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंंपनी लिमिटेड की याचिका राजस्थान विद्युत नियामक आयोग में लंबित है। इसमें वित्तीय वर्ष 2011-12, 2013-14, 2014-15 तथा 2015-16 के लिए लिग्नाइट की ट्रांसफर दरें तय होनी हैं।
हिसाब के लिए टालती रही कंपनी
बाड़मेर लिग्नाइट माइनिंग कंपनी को लिग्नाइट खनन करने के बाद उसे बिजली घर चलाने वाली राजवेस्ट कंपनी को सप्लाई करना है। बाड़मेर लिग्नाइट ने खनन का यह काम साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी लिमिटेड यानी एसडब्ल्यूएमएल को दे दिया। कंपनी ने 2012 से खनन भी शुरू कर दिया। चौंकाने वाली बात यह है कि तब से राजवेस्ट को बिजली घर चलाने के लिए लिग्नाइट लगातार दिया जा रहा है, लेकिन लिग्नाइट और बिजली की खरीद व बिक्री की दरें अब तक अंतिम रूप से तय नहीं हो पाईं।
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दस्तावेज और गवाह पेश करने के निर्देश
गंभीर तथ्य यह है कि इन 12 साल से अंतरिम तौर पर ही भुगतान हो रहा है, लेकिन अंतिम तौर पर दर तय नहीं हुई है। इसका अर्थ है कि राजवेस्ट इस खेल में भरपूर फायदा उठा रही है। मामला नियामक आयोग से होता हुआ एपटेल और राजस्थान हाई कोर्ट तक पहुंच गया, लेकिन जेएसडब्ल्यू लिग्नाइट सप्लाई की दर तय करने के लिए जरूरी दस्तावेज आदि देने में आनाकानी करता रहा। अंतत: सुप्रीम कोर्ट ने 28 अगस्त, 2025 को खनन कंपनी को आयोग के मांगे गए पूरे डाटा सहित दस्तावेज और गवाह पेश करने के निर्देश दिए।
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41 कार्टन में पेश की 925 फाइलें
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में आखिरकार खनन करने वाली कंपनी साउथ वेस्ट माइनिंग ने 16 सितंबर को आयोग में 41 कार्टन में 925 फाइलों का भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया है। सुनवाई के दौरान ही कंपनी के एडवोकेट ने आयोग को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में पूरा रिकॉर्ड पेश कर दिया है। अगर अन्य कोई जानकारी या सूचना चाहिए होगी, वह भी दे दी जाएगी। इस पर डिस्कॉम्स के एडवोकेट पीएन भंडारी ने कहा कि कंपनी ने भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया है। इसकी जांच के बिना यह तय करना मुश्किल है कि और क्या-क्या जानकारी चाहिए होगी। इसलिए पहले रिकॉर्ड की जांच करना जरूरी है।
आयोग परखेगा पूरा रिकॉर्ड
आयोग ने कहा है कि साउथ वेस्ट माइनिंग कंपनी ने भारी-भरकम रिकॉर्ड पेश किया है। इसकी जांच के बिना तय करना मुश्किल है कि पेश किया गया रिकॉर्ड सही है या नहीं। आयोग ने कंपनी की ओर से पेश गवाह को यह रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट व आयोग के आदेश के अनुरूप सही होने का हलफनामा पेश करने को कहा है। आयोग ने रजिस्ट्री को पूरा रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट आदेश के अनुसार सुरक्षित व गोपनीय रखने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने साथ ही इपने सचिव और निदेशक (तकनीकी-द्वितीय) को रिकॉर्ड की जांच करके जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले में अगली सुनवाई 29 सितंबर को होगी।