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Photograph: (the sootr)
Jaipur. अडानी समूह के खिलाफ फैसला देने वाले जज दिनेश कुमार गुप्ता फिर चर्चा में हैं। फैसले के बाद उनका ट्रांसफर कर दिया गया। वह अपने ट्रांसफर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे हैं।
दरअसल, जज गुप्ता ने हाल ही में अडानी समूह की कंपनी परसाकांटे कोयलिरी लिमिटेड (पीकेसीएल) के राजस्थान सरकार को 1400 करोड़ रुपए का चूना लगाने का खुलासा किया था। साथ ही कंपनी पर 50 लाख का हर्जाना भी लगाया गया। यह कंपनी राजस्थान सरकार को थर्मल प्लांट के लिए कोयला सप्लाई करती है।
जजमेंट में अडानी की लूट का खुलासा
डिस्ट्रिक्ट व सेशन जज गुप्ता जयपुर कमर्शियल कोर्ट में जज थे। इस दौरान उन्होंने 5 जुलाई, 2025 के अपने आदेश में अडानी समूह की कंपनी पीकेसीएल का राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम से 1400 करोड़ रुपए की अवैध वसूली का खुलासा किया था।
उन्होंने पूरे मामले की सीएजी या अन्य एजेंसी से जांच करवाने के निर्देश देते हुए कंपनी पर 50 लाख का हर्जाना भी लगाया था। पीकेसीएल ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी। कोर्ट ने 18 जुलाई को 50 लाख हर्जाने व मामले की जांच के​ निर्देश पर रोक लगा दी।
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फैसले के बाद जज गुप्ता का ट्रांसफर
इसी दिन यानी 5 जुलाई को हाई कोर्ट ने जज गुप्ता का ट्रांसफर कर ब्यावर में प्रिंसिपल डीजे के रूप में कर दिया। अब 2 दिसंबर को उन्हें ब्यावर से जालोर ट्रांसफर कर दिया। जज गुप्ता ने एक्टिंग चीफ जस्टिस को अपनी गंभीर बीमारी के कारण गिरती सेहत और रिटायरमेंट में मात्र 10 महीने शेष रहने का हवाला देते हुए ट्रांसफर रद्द कर जयपुर में ही रखने का प्रतिवेदन दिया था। कोई सुनवाई नहीं होने पर उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने बताया प्रतिभाशाली जज
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाला बागची व जस्टिस विपुल एम. पंचोली की बेंच ने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं है कि जज गुप्ता प्रतिभाशाली हैं। इसलिए उन्हें जेडीए में निदेशक (विधि) व विधिक सेवा प्राधिकरण में पोस्टिंग दी गई थी। इन दोनों पोस्टिंग को सजा के तौर पर नहीं माना जा सकता।
सहानुभूतिपूर्वक विचार करें
कोर्ट ने जज गुप्ता की गंभीर सेहत के कारण जयपुर में निरंतर इलाज चलने, रिटायरमेंट में मात्र 10 महीने बचने तथा शिक्षिका पत्नी के रिटायरमेंट में भी कम समय होने के आधार पर एक्टिंग चीफ जस्टिस को जज गुप्ता के प्रतिवेदन पर दो हफ्ते में सहानुभूतिपूर्वक विचार करने को कहा है। उन्होंने जज गुप्ता पर विनम्र रुख अपनाने का भी निर्देश दिया है।
फैसलों को लेकर चर्चित रहे जज गुप्ता
जज गुप्ता अपने लंबे कार्यकाल में कई चर्चित व ताकतवर हैसियत रखने वालों के खिलाफ आदेश व फैसले देने को लेकर चर्चित रहे हैं। वर्ष 2005 में जयपुर में मजिस्ट्रेट रहते हुए एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज को पैरों तले रौंदने पर तत्कालीन जयपुर एसपी सहित दो आरएएस अफसरों के खिलाफ प्रसंज्ञान लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए थे। उन्होंने एसपी सीबीआई को तीनों अफसरों को गिरफ्तार करके कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए थे। हालांकि बाद में जमानत हो गई थी।
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ललित मोदी व डीजीपी भी हुए पेश
जज गुूप्ता ने आरसीए के अध्यक्ष व आईपीएल कमिश्नर रहे ललित मोदी के खिलाफ भी एक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। मोदी को भी राजस्थान हाई कोर्ट से राहत मिली थी। सवाई माधोपुर पॉक्सो कोर्ट में तैनाती के दौरान एक मामले में तत्कालीन डीजीपी कपिल गर्ग को भी उनकी अदालत में हाजिर होना पड़ गया था।
रिचर्ड गेर के भी जारी किए गिरफ्तारी वारंट
वर्ष 2007 में दिल्ली में एक कार्यक्रम में फिल्म एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी को हॉलीवुड के प्रसिद्ध एक्टर रिचर्ड गेर ने खुलेआम मंच पर किस कर लिया था। इस पर जयपुर के एक एडवोकेट ने गुप्ता की अदालत में रिचर्ड गेर के खिलाफ परिवाद पेश किया था। जज गुप्ता ने इस पर प्रसंज्ञान लेकर रिचर्ड गेर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए थे। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रद्द कर दिया था।
1400 करोड़ की लूट का खुलासा
जयपुर विकास प्राधिकरण में विधि निदेशक के पद तैनाती के दौरान उन्होंने जयपुर के अरबों रुपए की जमीन को सरकार की मिलीभगत से हड़पने का खुलासा किया ​और जमीन के एक बड़े हिस्से को हड़पे जाने से बचाया। कमर्शियल कोर्ट में तैनाती के दौरान 5 जुलाई को थर्मल प्लांट्स को कोयला सप्लाई करने वाली राजस्थान सरकार और अडानी की संयुक्त कंपनी पीकेसीएल की 1400 करोड़ की लूट का खुलासा किया। इस पर हाई कोर्ट का स्टे है। मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी, 2026 को होगी।
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