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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के जयपुर में एक व्यक्ति की मौत के बाद उसके परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया। यह मामला एक दिलचस्प प्रकरण के रूप में सामने आया, जहां मृतक की पहली पत्नी से एक बेटी थी और उसने पिता की संपत्ति में अपना हिस्सा मांग लिया था। मृतक की दूसरी पत्नी ने भी खुद को उत्तराधिकारी मानते हुए दावे किए थे। वहीं मृतक की मां ने भी बेटे की संपत्ति पर अपना हक जताया था। कोर्ट ने कहा कि विवाह विच्छेद और संतान का मामला अलग है।
न्यायालय ने यह सुनाया निर्णय
जयपुर मेट्रो द्वितीय के जिला एवं सत्र न्यायालय ने इस मामले में सभी पक्षों की सुनवाई और तथ्यों का अध्ययन करने के बाद फैसला सुनाया। न्यायधीश रीटा तेजपाल ने कहा कि तलाक के कारण पति-पत्नी का विवाह विच्छेद हो सकता है, लेकिन संतान का संबंध कभी नहीं टूटता। चाहे बच्चा नाबालिग हो या बालिग, वह पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी होता है। इसके अलावा, न्यायालय ने मृतक की मां को भी बेटे की संपत्ति का उत्तराधिकारी माना। तलाक और संपत्ति विवाद के मामलों में यह फैसला नजीर बन सकता है।
वैध विवाह और संस्कार पूरे होना जरूरी
कोर्ट के इस फैसले ने यह सिद्ध कर दिया कि तलाक के बावजूद संतान का अधिकार पिता की संपत्ति में हमेशा बना रहता है। वहीं बिना वैध विवाह और संस्कारों के दूसरी पत्नी को संपत्ति का अधिकार नहीं दिया जा सकता।
दूसरी पत्नी को संपत्ति का उत्तराधिकारी नहीं माना गया
उत्तराधिकारी अधिकार के इस मामले में मृतक की दूसरी पत्नी ने भी अदालत में दावा किया कि उसे मृतक की संपत्ति का हिस्सा मिलना चाहिए, लेकिन न्यायालय ने उसे उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि तलाक के तीन साल बाद मृतक ने दूसरी शादी की थी, लेकिन उस शादी में न तो अग्नि के समक्ष सात फेरे लिए गए थे और ना ही सामाजिक रिवाजों का पालन किया गया। दूसरी शादी में शादी की वैधता पर सवाल उठाया गया और अदालत ने इसे हिंदू रीति-रिवाजों के तहत मान्य नहीं माना। कोर्ट ने समान अधिकार कानून की व्याख्या करते हुए दूसरी पत्नी का अधिकार नहीं माना।
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शादी की रस्मों की कमी
अधिवक्ता सुधीर शुक्ला ने बताया कि मृतक रोशनलाल सैनी, जो बीएसएनएल में अधिकारी थे, ने 2006 में पहली शादी की थी और उनकी एक बेटी भी हुई, लेकिन 2018 में तलाक के बाद बेटी अपनी मां के पास रहने लगी। फिर तीन साल बाद 2021 में सैनी ने दूसरी शादी की, लेकिन इस शादी में हिंदू रिवाजों के अनुसार कोई भी वैवाहिक रस्में नहीं निभाई गईं। शादी के 8 दिन बाद ही सैनी की मृत्यु हो गई।
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