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रोहित पारीक @ अजमेर
देश और दुनिया में मार्बल-ग्रेनाइट के क्षेत्र में अपनी छाप छोड़ चुके राजस्थान के किशनगढ़ और आस-पास के इलाके के लिए बड़ी खुशखबरी है। लंबे समय से अटकी हुई किशनगढ़ एयरपोर्ट के रनवे विस्तार की योजना का रास्ता साफ हो गया है।
राजस्थान सरकार ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) को पत्र लिखकर साफ कर दिया है कि 3 हजार मीटर की जगह अब 2458 मीटर तक रन-वे बढ़ाया जाएगा और इसके लिए न तो टूंकड़ा पहाड़ी की कटाई होगी और न ही प्रसार भारती टॉवर को हटाना पड़ेगा। सरकार के इस निर्णय पर एएआई ने भी सहमति जता दी है। इससे अब किशनगढ़ एयरपोर्ट से एयरबस A-320 और A-321 जैसे बड़े विमानों के उड़ान भरने और उतरने का रास्ता साफ हो गया है।
बनेगा जयपुर एयरपोर्ट का विकल्प
वर्ष 2017 से अस्तित्व में आए राजस्थान के किशनगढ़ एयरपोर्ट को एएआई जयपुर एयरपोर्ट के विकल्प के रूप में देख रही है। वर्तमान में यहां से स्टार और इंडिगो एयरलाइंस विभिन्न शहरों के लिए उड़ानें संचालित कर रही हैं और इनमें यात्रीभार भी है।
वर्तमान में, इस रन-वे पर केवल छोटे चार्टर विमानों, एटीआर-72 और क्यू-400 बॉम्बार्डियर जैसे विमानों की लैंडिंग हो पाती है। कई एयरलाइंस के पास छोटे विमान उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में देश के कई शहरों से किशनगढ़ की हवाई कनेक्टिविटी नहीं है। गुजरे 8 सालों से एएआई इसके लिए प्रयास कर रहा है।
एयरबस 320 विमान भी उतर सकेंगे
असल में, राजस्थान के किशनगढ़ एयरपोर्ट के रनवे की वर्तमान लंबाई 2000 मीटर (6561 फीट) है। यह लंबाई छोटे विमानों के आवागमन के लिए तो उपयुक्त है, लेकिन बड़े विमानों का संचालन यहां संभव नहीं है। रनवे के विस्तार के लिए कुछ साल पहले एयरपोर्ट प्रशासन ने प्रयास शुरू किए थे। इसके तहत भूमि अधिग्रहण और आस-पास के इलाके का भौगोलिक सर्वेक्षण किया गया।
रनवे संख्या 5 और 23 दो हिस्सों में विभाजित है, जिसमें रनवे संख्या 23 के दोनों तरफ ऊंची पहाड़ियों (टूंकड़ा) की मौजूदगी है, जो बड़े विमानों के लैंडिंग और टेक-ऑफ में खतरा मानी गई। एएआई का मानना था कि यदि रनवे की लंबाई 3000 मीटर हो जाती है, तो एयरबस 320 विमान भी यहां उतर सकेंगे।
छोटे विमानों में अधिकतम 80 यात्री सफर कर सकते हैं, जबकि एयरबस या बोइंग विमानों में 180 यात्री सफर कर सकते हैं। छोटे विमानों की तुलना में बड़े विमानों का उड़ान का समय कम होता है और स्पीड भी बढ़ती है।
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फ्लाइट्स की संख्या में होगी वृद्धि
एयरपोर्ट निदेशक बीएल मीणा मौजूदा रनवे की लंबाई बढ़ाने की दिशा में लंबे समय से प्रयासरत थे। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वायुसेना का बड़ा विमान 2 बार यहां उतर कर उड़ान भर चुका है। इसके बाद से इन प्रयासों को गति मिली है। माना जा रहा है कि रनवे की लंबाई बढ़ने पर न केवल फ्लाइट्स की संख्या में वृद्धि हो सकेगी, बल्कि जयपुर में मौसम खराब होने की स्थिति में विमानों को दिल्ली डायवर्ट करने की बजाय किशनगढ़ एयरपोर्ट पर भेजा जा सकेगा।
मांगी गई है वित्तीय स्वीकृति
एयरपोर्ट के रन-वे विस्तार परियोजना के लिए एएआई ने 900 मीटर अप्रोच लाइट लगाने की मांग की थी, जिसके लिए अतिरिक्त 15 एकड़ भूमि की जरूरत थी। राज्य सरकार ने यह भूमि उपलब्ध कराने की प्रशासनिक स्वीकृति पहले ही दे दी है और अब वित्तीय स्वीकृति के लिए मामला वित्त विभाग के पास भेजा गया है। इससे परियोजना का रास्ता लगभग साफ हो गया है।
क्या है मास्टर प्लान
एएआई के मास्टर प्लान के अनुसार किशनगढ़ एयरपोर्ट का रनवे भविष्य में 2700 मीटर और फिर 3000 मीटर तक बढ़ाने का भी प्रस्ताव है। 3000 मीटर तक विस्तार करने के लिए टूंकड़ा पहाड़ी की कटाई और प्रसार भारती टॉवर को हटाना आवश्यक होगा। फिलहाल, बिना इन बाधाओं को हटाए 2458 मीटर तक का विस्तार संभव है, जो A-320 और A-321 श्रेणी के विमानों के संचालन के लिए पर्याप्त है।
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पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
रनवे विस्तार के बाद किशनगढ़ एयरपोर्ट सीधे तौर पर अजमेर दरगाह शरीफ, ब्रह्मा मंदिर पुष्कर और सांभर झील जैसे स्थलों से जुड़ जाएगा। इससे देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों की यात्रा बेहद आसान हो जाएगी। इसके अलावा, किशनगढ़ के व्यापारी और कारोबारी वर्ग, जिन्हें अब तक जयपुर या दिल्ली एयरपोर्ट पर निर्भर रहना पड़ता था, वे सीधे किशनगढ़ से उड़ान भर सकेंगे। अ
भी 72 सीटर छोटे विमान ही किशनगढ़ से उड़ान भरते हैं, लेकिन बड़े विमान शुरू होने के बाद ऑपरेशन कॉस्ट घटेगी और यात्रियों को भी सस्ते किराये पर 24 घंटे हवाई सेवा उपलब्ध होगी।
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जल्द शुरू होगा काम
किशनगढ़ एयरपोर्ट रनवे विस्तार की सरकारी मंजूरी के बाद अब एएआई तकनीकी और इंजीनियरिंग स्तर पर काम शुरू करेगा। इसके साथ ही पर्यावरण और वन विभाग सहित अन्य जरूरी मंजूरियों की प्रक्रिया भी तेज की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि फरवरी तक 6 बड़े विमानों के लिए नया एप्रन तैयार हो जाएगा। रनवे की मोटाई भी 24 पीसीएन से बढ़ाकर 48 की जाएगी, ताकि बड़े विमान आसानी से उतर सकें।
लगातार उड़ान भरने की क्षमताएयरपोर्ट अधिकारियों के अनुसार किशनगढ़ एयरपोर्ट भौगोलिक दृष्टि से भी बेहद अनुकूल है। यहां सालभर हवाई सेवाएं बिना किसी मौसमीय बाधा के संचालित की जा सकती हैं। साथ ही, दिल्ली, जयपुर, मुंबई और अहमदाबाद जैसी जगहों से सड़क कनेक्टिविटी मजबूत होने के कारण इसका महत्व और बढ़ जाता है। किशनगढ़ एयरपोर्ट के निदेशक बी.एल. मीणा ने बताया कि -एएआई ने सरकार को प्रस्ताव भेजा था कि बिना बाधाओं को हटाए भी एयरपोर्ट का विस्तार संभव है। सरकार ने इसे मंजूरी देकर 15 एकड़ अतिरिक्त भूमि उपलब्ध कराने का निर्णय किया है। अब परियोजना का काम जल्द ही शुरू होने की संभावना है। रनवे विस्तार का यह फैसला न केवल किशनगढ़, बल्कि पूरे अजमेर संभाग के लिए विकास की नई उड़ान लेकर आएगा। किशनगढ़ हवाई कनेक्टिविटी बढ़ने से पर्यटन, व्यापार और उद्योग जगत को नई दिशा मिलेगी और मार्बल नगरी किशनगढ़ की बनेगी नई पहचान। | |