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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में पंचायत और निकाय चुनाव के आयोजन को लेकर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई चुनाव की तैयारियां, खासकर ओबीसी आरक्षण रिपोर्ट की देरी के कारण रुक गई हैं। राज्य ओबीसी राजनीतिक प्रतिनिधित्व आयोग ने चुनाव आयोग से ओबीसी आरक्षण पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए तीन महीने का समय मांगा है, जिससे चुनाव की तारीखों पर अनिश्चितता का माहौल बन गया है।
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ओबीसी आयोग की रिपोर्ट में देरी
राज्य ओबीसी आयोग ने 22 अगस्त, 2025 को राज्य निर्वाचन आयोग को एक पत्र भेजा। इसमें आयोग ने बताया कि ओबीसी परिवारों का सर्वे किया जा रहा है। इस कार्य के लिए राजनीतिक दलों, संस्थाओं और समाज के प्रतिनिधियों से संपर्क किया जा रहा है। आयोग का कहना है कि यह एक जटिल प्रक्रिया है, क्योंकि हर पंचायत और नगरीय निकाय में ओबीसी आरक्षण का निर्धारण करना आसान नहीं है। इसके कारण आयोग ने दिसंबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट देने का समय मांगा है। जब तक यह रिपोर्ट पूरी नहीं होती, तब तक चुनाव कराना संभव नहीं है।
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तीन महीने का समय मांगने पर आयोग का बयान
आयोग के सचिव अशोक कुमार जैन ने स्पष्ट किया कि सर्वे पूरा करने में समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि हमने चुनाव आयोग से तीन महीने का समय मांगा है, लेकिन यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा कि कितना समय लगेगा। अगर सर्वे जल्दी पूरा हो जाता है तो रिपोर्ट पहले भी सौंप सकते हैं, लेकिन अगर अतिरिक्त डाटा या संशोधन की जरूरत पड़ी तो समय अधिक लग सकता है।
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दबाव
यह पूरी स्थिति सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत उत्पन्न हुई है। मई, 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि पंचायत और निकाय चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जाए। इस आदेश के बाद ही सरकार ने सेवानिवृत्त जज मदनलाल की अध्यक्षता में राज्य ओबीसी राजनीतिक प्रतिनिधित्व आयोग का गठन किया। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि आयोग की रिपोर्ट के बिना ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के बिना चुनाव कराना संवैधानिक रूप से संभव नहीं है। यही वजह है कि राज्य निर्वाचन आयोग फिलहाल चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं कर पा रहा है।
निर्वाचन आयोग और सरकार के बीच टकराव
इस मुद्दे पर राज्य निर्वाचन आयोग और राजस्थान सरकार के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। सरकार दिसंबर तक चुनाव स्थगित करने की इच्छाशक्ति जताती है, जबकि आयोग इसे कानूनी दृष्टिकोण से लागू करने में असमर्थता जता रहा है। आयोग ने वन स्टेट वन इलेक्शन के संदर्भ में भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि राज्य के कई निकायों और पंचायतों का कार्यकाल 2026 और 2027 में खत्म होगा और इन संस्थाओं को समय से पहले भंग कर चुनाव करवाना संवैधानिक रूप से सही नहीं होगा।
एक नजर
सर्वे प्रक्रिया : ओबीसी आरक्षण पर सर्वे किया जा रहा है, जिसमें राजनीतिक दल और सामाजिक प्रतिनिधियों से भी चर्चा हो रही है।
विलंब : ओबीसी आयोग ने रिपोर्ट देने के लिए तीन महीने का समय मांगा है, जिसके कारण चुनाव में देरी हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश : सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ओबीसी आरक्षण रिपोर्ट के बिना चुनाव कराना असंवैधानिक होगा।
राज्य निर्वाचन आयोग का दवाब : चुनाव आयोग ओबीसी रिपोर्ट के बिना चुनाव की तारीख घोषित करने में असमर्थ है।
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