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Photograph: (the sootr)
राजस्थान के सिरोही (Sirohi) जिले में लम्पी वायरस ने एक बार फिर गोवंश को अपनी चपेट में लिया है, जिससे पशुपालकों में हड़कंप मच गया है। जिले के ईसरा, माकरोड़ा और आसपास के गांवों में गोवंश में लम्पी वायरस के लक्षण देखे गए हैं।
इसके बाद पशुपालन विभाग (Animal Husbandry Department) की टीम ने संक्रमित गोवंश को आइसोलेट कर दिया और उनकी वैक्सीनेशन प्रक्रिया शुरू कर दी है। फिलहाल स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।
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लम्पी वायरस के लक्षण और उसका प्रसार
लम्पी वायरस एक प्रकार का पॉक्स (pox) वायरस है, जो मच्छरों और टिक्स (ticks) के जरिए फैलता है। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, शरीर पर गांठें, भूख न लगना, नाक और आंखों से पानी बहना और दूध उत्पादन में गिरावट शामिल हैं। संक्रमित पशु से स्वस्थ पशु में यह बीमारी तेजी से फैल सकती है, जिससे स्थिति और गंभीर हो सकती है।
पशुपालन विभाग की कार्रवाई
पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने लम्पी वायरस के लक्षणों के देखते हुए पांच विशेष टीमों का गठन किया है। इन टीमों को प्रभावित गांवों में भेजा जा रहा है, ताकि जैसे ही गोवंश में इस वायरस के लक्षण दिखें, उन्हें तुरंत आइसोलेट कर इलाज शुरू किया जा सके। हर दिन इन टीमों से रिपोर्ट ली जा रही है और प्रभावित क्षेत्र में जल्द से जल्द वैक्सीनेशन का काम चलाया जा रहा है।
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वैक्सीनेशन और सावधानियां
पशुपालन विभाग ने लम्पी वायरस से निपटने के लिए 25 हजार वैक्सीन बाड़मेर से मंगवाई हैं। इन वैक्सीनेशन को प्रभावित गांवों में उपलब्ध करवा दिया गया है। साथ ही, विभाग की टीम गांवों में स्थित गोशालाओं का निरीक्षण भी कर रही है। अगर किसी गोवंश में लम्पी के लक्षण दिखते हैं, तो उसे तुरंत संक्रमित पशु से अलग करके आइसोलेट कर दिया जाता है।
पशुपालकों को क्या करना चाहिए?
पशुपालकों को सलाह दी गई है कि वे किसी भी संक्रमित पशु को स्वस्थ पशु से अलग रखें ताकि संक्रमण न फैले। साथ ही, कीटनाशक (pesticide) और विषाणुनाशक (disinfectant) का प्रयोग करके अपने पशुओं के परजीवी कीट, मच्छर और मक्खी आदि को नष्ट करें। पशुओं के बाड़े की सफाई भी नियमित रूप से करें। अगर किसी पशु में लम्पी वायरस के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क कर उनका इलाज कराएं। विभाग पशुपालकों को राहत देने की हरसंभव कोशिश कर रहा है।
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