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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में नगर पालिकाओं का कार्यकाल पूरा होने का एक साल से ज्यादा समय निकल जाने के बावजूद चुनाव नहीं करवाने पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। पूर्व विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देकर फौरन चुनाव करवाने के निर्देश देने की गुहार की है। नगर पालिका चुनावों में देरी पर होगी सुनवाई।
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कई राज्यों को दिए निर्देश
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट गुजरात, पंजाब सहित कई राज्यों में पंचायती राज और स्थानीय निकाय चुनाव समय पर नहीं करवाने पर सख्ती दिखाते हुए तत्काल चुनाव करवाने के आदेश दे चुका है। इसी मामले में शुक्रवार को राजस्थान में चुनाव होने को लकर सुनवाई की जाएगी।
हाई कोर्ट ने अप्रैल, 2026 तक दिया समय
इससे पहले राजस्थान हाई कोर्ट ने इसी साल 14 नवंबर को पूर्व विधायक संयम लोढ़ा की याचिका का निपटारा करते हुए राजस्थान सरकार को अप्रैल, 2026 तक निकाय चुनाव करवाने के आदेश दिए थे। हालांकि इस पर सरकार ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।
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संविधान का खुला उल्लंघन
लोढ़ा ने अपील में कहा है कि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार शहरी निकायों का कार्यकाल पूरा होने से पहले या अपरिहार्य स्थितियों में कार्यकाल पूरा होने के छह महीने के भीतर चुनाव करवाने ही चाहिएं, लेकिन राजस्थान सरकार ने 52 निकायों का कार्यकाल पूरा होने के एक साल बाद तक भी चुनाव नहीं करवाए है।
अतिरिक्त समय नहीं दिया जा सकता
लोढ़ा ने कहा कि शहरी निकायों में समय पर चुनाव नहीं करवाकर प्रशासक नियुक्त करना संविधान का खुला उल्लंघन है। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में राजस्थान म्युनिसिपल एक्ट 2009 के सेक्शन 7 और 11 को अनदेखा किया है। इनके अनुसार कार्यकाल पूरा होने के बाद अतिरिक्त समय नहीं दिया जा सकता।
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साजिशन टाले जा रहे हैं चुनाव
लोढ़ा ने यह भी कहा कि राजस्थान सरकार जानबूझकर इन चुनावों को टालने की साजिश कर रही है। समय पर चुनाव नहीं होने से निकायों में कल्याणकारी योजनाओं की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है। दूसरी ओर नागरिकों को भी अपने छोटे से छोटे कामों के लिए परेशानियां उठानी पड़ रही हैं।
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हाई कोर्ट का आदेश विपरीत
लोढ़ा ने कहा कि राजस्थान हाई कोर्ट का राजस्थान सरकार को अप्रैल, 2026 तक चुनाव करवाने की छूट देना संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में तत्काल दखल देना ही चाहिए। चुनाव को आगे बढ़ाना स्थापित न्यायिक सिद्धांतों के भी विपरीत है।
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नहीं टाले जा सकते चुनाव
संविधान के अनुसार, शहरी निकाय बोर्ड व पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही चुनाव होने चाहिए, लेकिन कोविड महामारी जैसी अपरिहार्य स्थितियों में ही चुनाव टाले जा सकते हैं। यदि ऐसी कोई स्थिति नहीं है, तो चुनाव नहीं टाले जा सकते। संविधान के आर्टिकल 234 में इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान है।
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