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Photograph: (the sootr)
राजस्थान में पंचायत और नगर निकाय चुनावों का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। इस साल 18 अगस्त को राजस्थान हाई कोर्ट ने राजस्थान सरकार को जल्द से जल्द निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया था, लेकिन अब राजस्थान के शहरी विकास और आवास मंत्री (UDH Minister) झाबर सिंह खर्रा ने इस पर एक नया अपडेट दिया है। मंत्री ने साफ किया कि निकाय चुनाव इस साल नहीं होंगे। इसके लिए नई तारीखों की घोषणा की है।
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क्या कह रहे हैं मंत्री खर्रा?
शनिवार को झुंझुनूं में मीडिया से बातचीत करते हुए मंत्री खर्रा ने चुनाव में देरी के कारणों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि निर्वाचन आयोग ने इस वर्ष नवंबर तक मतदाता सूची तैयार करने का कार्यक्रम जारी किया है, जबकि ओबीसी आयोग को भी तीन महीनों में ओबीसी डाटा एकत्र करने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि नवंबर के अंत तक या दिसंबर के पहले पखवाड़े तक यह कार्रवाई पूरी हो जाएगी और ओबीसी के आंकड़े आ जाएंगे। इसके बाद आरक्षण के लिए वार्डों और निकाय प्रमुखों की लॉटरी निकाली जाएगी।
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निकायों की संख्या में बदलाव और नई तारीखें
मंत्री खर्रा ने बताया कि राजस्थान में कुल 312 नगर निकाय हैं, लेकिन चुनाव 309 निकायों के लिए आयोजित होंगे। पहले की सरकार ने जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगम बनाए थे, जिनमें से एक-एक अब खत्म हो चुके हैं। इसके बाद 309 नगर निकायों के लिए एक साथ चुनाव होंगे।
उन्होंने कहा कि निकाय प्रमुखों के चुनाव के तरीके पर भी विचार किया जा रहा है, चाहे वह सीधे तौर पर हो या फिर पार्षदों द्वारा। इस बारे में राय ली जा रही है, ताकि चुनाव प्रक्रिया पारदर्शी और सुचारू रूप से चल सके।
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निकाय चुनाव की प्रक्रिया पर क्या कहा?
यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने आगे कहा कि हमारा लक्ष्य यह है कि दिसंबर के पहले पखवाड़े तक राज्य ओबीसी आयोग की रिपोर्ट आ जाए और फिर हम राज्य निर्वाचन आयोग से जनवरी में वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत चुनाव कराने के लिए अनुरोध करेंगे।
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क्या कहती है विपक्षी पार्टी?
इस बीच, कांग्रेस पार्टी और अन्य विपक्षी दल लगातार आरोप लगा रहे हैं कि राज्य सरकार जानबूझकर निकाय चुनावों में देरी कर रही है। उनका मानना है कि चुनावों की तारीखों में इतनी देरी से सरकार राजनीतिक फायदे का प्रयास कर रही है।