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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पत्नी यशोदा बेन शनिवार को राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के बिजोलिया कस्बे के दो दिवसीय दौरे पर पहुंची। उनके स्वागत के लिए समाजजनों और अखिल भारतीय तेली महासभा के पदाधिकारियों ने पारंपरिक ढंग से उनका स्वागत किया। यशोदा बेन का यह दौरा बिजोलिया में आयोजित हो रहे अखिल भारतीय तेली महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेने के उद्देश्य से था।
यशोदा बेन ने किए मंदाकिनी मंदिर के दर्शन
रविवार सुबह यशोदाबेन ने बिजोलिया के विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदाकिनी मंदिर में भगवान शिव के दर्शन किए। इस दौरान उन्होंने शिवलिंग की पूजा-अर्चना की और देश में शांति, समृद्धि और समाज की उन्नति के लिए कामना की। यह मंदिर धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है और यशोदा बेन का इस मंदिर में आकर पूजा करना समाज के लिए एक गौरव की बात मानी जा रही है।
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अखिल भारतीय तेली महासभा का राष्ट्रीय अधिवेशन
यशोदा बेन का यह दौरा अखिल भारतीय तेली महासभा के दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन से जुड़ा हुआ था। इस अधिवेशन में समाज की एकता, शिक्षा, रोजगार, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक उत्थान जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। इस मंच पर समाज के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श हुआ, और समाज के उत्थान के लिए नए उपाय सुझाए गए।
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महासभा के पदाधिकारियों का स्वागत
महासभा के प्रदेश अध्यक्ष शिव चंद्रवाल और अन्य पदाधिकारियों ने यशोदाबेन का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस दौरान प्रतिनिधि मंडल ने यशोदा बेन को सम्मानित किया और उन्हें महासभा के कार्यक्रम की जानकारी दी। समाज के विभिन्न हिस्सों से आए पदाधिकारी और प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में मौजूद थे, और सभी ने यशोदा बेन के दौरे को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बताया।
भव्य जल यात्रा और सम्मान समारोह
अधिवेशन के दूसरे दिन, रविवार को, मंदाकिनी मंदिर से मुख्य बाजार तक एक भव्य जल यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु और समाजजन शामिल होंगे। इस जल यात्रा का उद्देश्य समाज की एकता और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करना है। इसके बाद, रिद्धि सिद्धि मैरिज गार्डन में अतिथि सम्मान समारोह का आयोजन होगा, जिसमें वक्ताओं के उद्बोधन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।
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क्यों प्रसिद्ध है बिजोलिया का मंदाकिनी मंदिरबिजोलिया का मंदाकिनी मंदिर कोई एक मंदिर नहीं है, बल्कि एक प्राचीन मंदिर समूह है, जिसमें मुख्य रूप से मंदाकिनी कुंड और उसके आसपास बने शिव मंदिर शामिल हैं। ये लगभग 11वीं-12वीं शताब्दी में परमार और बाद में चौहान शासकों द्वारा निर्मित किए गए थे। यह अपनी अद्वितीय नारी गणेश (विनायकी) मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध है और राजस्थान की प्राचीन स्थापत्य कला और धार्मिक आस्था का प्रतीक है। मंदाकिनी मंदिर की प्रमुख विशेषताएंमंदाकिनी कुंड: यह एक पवित्र कुंड है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसका पानी कभी नहीं सूखता और इसका संबंध गंगा नदी से है। इसे "मंदाकिनी" इसलिए कहा जाता है। | |
समाज में उत्साह और सहभागिता
इस कार्यक्रम को लेकर समाज में जबरदस्त उत्साह का माहौल था। समाज के लोग इस आयोजन को लेकर अत्यधिक उत्साहित थे और समाज के उत्थान के लिए किए जा रहे प्रयासों को लेकर गहरी उम्मीदें रख रहे थे। समारोह में देशभर से पहुंचे प्रबुद्धजनों का उद्बोधन हुआ और समाज के उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया गया।
समाज की एकता और सामाजिक विकास
अखिल भारतीय तेली महासभा के इस अधिवेशन में समाज के सभी वर्गों के लिए एकजुट होने और समाजिक उत्थान की दिशा में काम करने का संदेश दिया गया। महासभा के पदाधिकारियों ने बताया कि समाज में महिला सशक्तिकरण, शिक्षा, रोजगार और अन्य सामाजिक मुद्दों पर कार्य करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
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समाज के विकास में भूमिका
अखिल भारतीय तेली महासभा का यह आयोजन समाज के लिए एक बड़ी पहल साबित हो सकता है, जहां समाज के विभिन्न पहलुओं पर मंथन किया गया और एक साथ मिलकर समाज के विकास के लिए कार्य करने की दिशा पर विचार किया गया।