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राजस्थान में फिर पुलिस हिरासत में मौत का मामला सामने आया है। बारां जिले के किशनगंज थाना क्षेत्र में हत्या के आरोपी लोकेश सुमन की पुलिस हिरासत में मौत ने पूरे पुलिस प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है।
मृतक के परिजनों ने पुलिस पर मारपीट का आरोप लगाया है और मामले को हत्या के रूप में दर्ज करने की मांग की है। इसके अलावा, परिवार ने एक करोड़ रुपये मुआवजे और सरकारी नौकरी की भी मांग की है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला पुलिस अधीक्षक अभिषेक अंडासु ने तुरंत कार्रवाई करते हुए किशनगंज थाने के SHO विनोद मीणा समेत 23 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया है।
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पोस्टमार्टम प्रक्रिया जूडिशियल मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में सोमवार को पूरी की गई, लेकिन मृतक के परिजनों ने शव को उठाने से इनकार कर दिया। शुरुआत में परिजनों ने शव देर रात उठाने का निर्णय लिया, लेकिन बाद में उन्होंने मुआवजा और नौकरी की मांग के साथ गतिरोध बनाए रखा। जिला कलेक्टर रोहिताश्व तोमर और SP अभिषेक अंडासु ने मौके पर पहुंचकर परिजनों से बातचीत की, लेकिन मामला अभी तक सुलझा नहीं पाया है।
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परिजनों ने पुलिस हिरासत में हुई मौत के बाद एक करोड़ रुपये मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की है। इस मुद्दे पर प्रशासन और परिजनों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया है।
पुलिस के मुताबिक, 23 जुलाई को किशनगंज के रामगढ़ रोड पर बबलू मीणा का शव लहूलुहान अवस्था में मिला था। जांच में पता चला कि लोकेश सुमन ने बबलू से पैसे उधार लिए थे और उसे चुकाने में आनाकानी कर रहा था। इस विवाद के दौरान लोकेश ने बबलू के साथ शराब पी और फिर पत्थर व लकड़ी से उसकी हत्या कर दी। हत्या के बाद वह सांवरिया सेठ घूमने चला गया था। पुलिस ने उसे शनिवार को गिरफ्तार किया था।