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Photograph: (the sootr)
Jaipur. दिल्ली और एनसीआर की हवा को जहरीली बनाने में राजस्थान की इंडस्ट्रियल यूनिट्स भी जिम्मेदार हैं। इसी कारण राजस्थान की 121 इंडस्ट्रियल यूनिट सहित कुल 1556 यूनिट को बंद कर दिया है। इस फैसले से राजस्थान की औद्योगिक गतिविधियों पर विपरीत प्रभाव पड़ना तय है।
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कदमों की जानकारी दी
17 नवंबर को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। दिल्ली-एनसीआर के लिए गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए इन कदमों की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि हम दिल्ली की आबोहवा को स्वच्छ बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं।
यूपी में सबसे ज्यादा फैक्ट्रियां बंद
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि हवा की गुणवत्ता को गंभीर होने से रोकने के लिए कुल 1,556 प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्रियल यूनिट्स को बंद किया है। इनमें राजस्थान का आंकड़ा भी चिंंतित करने वाला है।
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कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी
आयोग ने बताया कि राजस्थान में 121 इंडस्ट्रियल यूनिट्स बंद की गई हैं। वहीं उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 637 इकाइयां, दिल्ली में 264 इकाइयां और हरियाणा में 234 फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है। आयोग ने कहा कि आगे भी इस प्रकार की कार्रवाई जारी रहेगी।
पराली के लिए कई राज्य जिम्मेदार
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि पराली जलाना अब भी एक गंभीर चिंता का विषय है। यह एनसीआर में हवा की स्थिति को बदतर बना रहा है। आयोग ने पराली जलाने के आंकड़े भी कोर्ट को दिए हैं।
तुरंत कार्रवाई को तत्पर
पंजाब में 15 सितंबर से 10 नवंबर तक पराली जलाने की 4,195 घटनाएं सामने आईं, जबकि हरियाणा में इसी अवधि में 363 घटनाएं हुईं। आयोग ने यह भी बताया कि वे सैटेलाइट के जरिए पराली जलाने की घटनाओं पर कड़ी नजर रख रहे हैं और राज्य सरकारों के साथ दैनिक आधार पर संपर्क में हैं, ताकि तुरंत कार्रवाई की जा सके।
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सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के चलते मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की बेंच ने आयोग को प्रदूषण रोकने के लिए उठाए गए कदमों का ब्योरा पेश करने के निर्देश दिए थे। आयोग ने कोर्ट को बताया कि प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के चरण I और II को लागू किया गया है।
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उठाए जा सकते हैं कठोर कदम
राजस्थान सरकार और इंडस्ट्रीज की निगाहें 17 नवंबर को होने वाली सुनवाई पर लगी हैं, क्योंकि प्रदूषण की स्थिति बिगड़ने पर और सख्त पाबंदियां लग सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट को 17 नवंबर को सुनवाई करनी है। वायु प्रदूषण में इजाफा हाने पर सख्त पाबंदियां लगना तय हैं। इसके किसी भी तरह के कदम उठाए जा सकते हैं।
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