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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) के ग्रामीण सरकारी स्कूलों (Government Schools) में पढ़ रहे 8वीं कक्षा (8th Grade) के बच्चों की गणितीय समझ (Mathematical Understanding) और भाग (Division) करने की क्षमता (Division Ability) में एक महत्वपूर्ण गिरावट देखी गई है। हाल में ही प्रकाशित एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (Annual Status of Education Report) रूरल 2024 (Rural 2024) में इस समस्या का खुलासा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले केवल 25.5% बच्चे ही 2024 में सही तरीके से भाग कर पाए। यह आंकड़ा 2018 में 34.3% था। यानी बीते छह वर्षों में प्रदर्शन में करीब 9 प्रतिशत अंकों की गिरावट दर्ज की गई है।
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राजस्थान का देशभर में तीसरा सबसे घटिया प्रदर्शन
इसी रिपोर्ट में मेघालय (Meghalaya) ने सबसे खराब प्रदर्शन किया, जहां केवल 12.1% बच्चे ही भाग कर पाए। असम (Assam) और राजस्थान (Rajasthan) क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जिनकी भाग क्षमता 24.2% और 25.5% रही। इसके विपरीत, बिहार (Bihar) ने बड़ी प्रगति दिखाई है, जहां 2018 में 55.1% बच्चे भाग कर पाते थे, जो 2024 में बढ़कर 62.0% हो गया। मिजोरम (Mizoram) और पंजाब (Punjab) जैसे राज्यों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है।
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राजस्थान में शिक्षण गुणवत्ता व शिक्षक कमी
विशेषज्ञों के अनुसार, राजस्थान में इस गिरावट के पीछे गणित पढ़ाने की गुणवत्ता (Education Quality) और शिक्षकों (Teachers) की कमी प्रमुख कारण हो सकते हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की बुनियादी दक्षताओं (Basic Skills) को सुधारने की आवश्यकता अब और अधिक जरूरी हो गई है।
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राजस्थान में माध्यमिक परीक्षा परिणाम : एक विरोधाभास
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर (Rajasthan Board of Secondary Education Ajmer) के 2024 के परीक्षा परिणामों ने एक विरोधाभास प्रस्तुत किया है। आठवीं कक्षा के नियमित विद्यार्थियों का गणित विषय में परिणाम 96.53% रहा। दस लाख सत्तर हजार से अधिक छात्र परीक्षा में बैठे थे, जिनमें से दस लाख बत्तीस हजार से अधिक सफल हुए। इसी प्रकार, नियमित और प्राइवेट विद्यार्थियों का संयुक्त परीक्षा परिणाम भी 96.46% रहा। 12वीं कक्षा का भी परिणाम उल्लेखनीय रहा, जहां गत वर्ष 74 हजार से अधिक छात्र परीक्षा में शामिल हुए और 73,879 उत्तीर्ण हुए। यह उच्च परिणाम सरकारी स्कूल गणितीय प्रदर्शन के गिरते आंकड़ों के विपरीत एक सकारात्मक संकेत हो सकता है।
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आठवीं कक्षा के बच्चों का ग्रेड वितरण और लर्निंग लॉस का आकलन
प्रारंभिक शिक्षा विभाग (Primary Education Department) द्वारा आठवीं और पांचवीं कक्षा की परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। 2023-24 में आठवीं कक्षा में लगभग 12.50 लाख बच्चे परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से केवल 2.64 लाख (लगभग 21%) को ए ग्रेड मिला, जबकि 6.51 लाख को बी ग्रेड, 3.3 लाख को सी ग्रेड, और कम संख्या में डी एवं ई ग्रेड प्राप्त हुए।
लर्निंग लॉस को कम करने का प्रयास
सरकार द्वारा तीसरी से आठवीं कक्षा के छात्रों के हिंदी (Hindi), अंग्रेजी (English) और गणित (Mathematics) में सीखने की कमी (Learning Loss) को पूरा करने के लिए नियमित आकलन (Assessment) और सुधार के प्रावधान किए गए हैं। इसका उद्देश्य बच्चों के शैक्षणिक स्तर (Academic Level) में सुधार करना है।
गणितीय समझ में सुधार के लिए जरूरी कदम
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राजस्थान में गणितीय सुधार की चुनौतियां
चुनौतियां | विवरण |
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शिक्षक कमी | ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशिक्षित शिक्षक का अभाव |
शिक्षण गुणवत्ता में गिरावट | पुराने पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का प्रभाव |
संसाधन अभाव | शिक्षा में आवश्यक उपकरणों और सामग्री की कमी |
लर्निंग लॉस | लॉकडाउन आदि कारणों से बच्चे पीछे रह गए |
छात्र प्रेरणा में कमी | गणित में रुचि कम होने से सीखने में कमी |
राजस्थान के बच्चों में गणितीय क्षमता गिरावट में सुधार के उपाय
राजस्थान के ग्रामीण सरकारी स्कूलों में गणितीय क्षमता में गिरावट चिंता का विषय है। यह गिरावट विशेषकर भाग करने की क्षमता में उभरती दिखती है। वहीं, उच्च माध्यमिक स्तर पर बोर्ड के परीक्षा परिणाम बेहतर हैं, जो ग्रामीण और शहरी शिक्षा में अंतर को दर्शाता है। इस समस्या का समाधान शिक्षकों की गुणवत्ता सुधार, सीखने की कमी को पूरा करने, तथा बच्चों को गणित में रुचि बढ़ाने से ही संभव होगा। सही नीतिगत पहल और शिक्षा संसाधनों का प्रभावी उपयोग राजस्थान के सरकारी स्कूलों की गणितीय समझ को सुधारने में सहायक होगा, जिससे आने वाले वर्षों में बच्चों का समग्र शैक्षणिक प्रदर्शन बेहतर हो सकेगा।
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