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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान विधानसभा का मानसून सत्र अपने अंतिम चरण में प्रवेश कर चुका है। इस सत्र के दौरान 8 सितंबर 2025 से शुरू होने वाली बैठक में चार महत्वपूर्ण विधेयकों को पेश किया जाएगा। इन विधेयकों में "राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025" (Rajasthan Prohibition of Forced Conversion Bill 2025), "राजस्थान भू-जल (संरक्षण एवं प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक 2024" (Rajasthan Groundwater Management Authority Bill 2024), "राजस्थान मत्स्य-क्षेत्र (संशोधन) विधेयक 2025" (Rajasthan Fisheries (Amendment) Bill 2025), और "राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान जयपुर विधेयक 2025" (Rajasthan Institute of Medical Sciences Jaipur Bill 2025) शामिल हैं।
इन विधेयकों में कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान हैं, जो राज्य की राजनीति को गरमा सकते हैं और आम जनता पर उनके प्रभाव का आकलन भी किया जा सकता है। इन विधेयकों पर चर्चा के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष की रणनीति भी स्पष्ट होगी। TheSootr के इस लेख में जानें पूरी जानकारी।
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राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2025
राजस्थान सरकार का मानना है कि यह विधेयक जनहित में ऐतिहासिक कदम होगा। इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण (Forced Conversion) को रोकने के लिए कड़े दंड, जुर्माने और संस्थागत नियंत्रण का प्रावधान किया गया है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
धर्मांतरण के कारण: बल, धोखा, प्रलोभन, विवाह के नाम पर धर्म परिवर्तन।
सजा और जुर्माना: सामान्य प्रकरण में 7 से 14 साल की कैद और 5 लाख रुपए जुर्माना। नाबालिगों, महिलाओं, और एससी-एसटी वर्ग के मामलों में 10 से 20 साल की सजा और 10 लाख रुपए जुर्माना।
सामूहिक धर्मांतरण: उम्रकैद और 25 लाख रुपए तक जुर्माना।
सूचना: धर्म बदलने से 90 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट और 60 दिन पहले धर्माचार्य को सूचित करना अनिवार्य।
मुआवजा: पीड़ितों को 10 लाख रुपए तक का मुआवजा।
इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने अपनी चिंता जताई है और इसे विरोधी रणनीति के रूप में पेश किया जा सकता है।
विधानसभा में इन विधेयकों की पेशी के दौरान विपक्ष सरकार पर सवाल उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ेगा। विशेष रूप से, धर्मांतरण और भू-जल प्रबंधन जैसे संवेदनशील विषयों पर बहस गर्मा सकती है। विपक्ष सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए इन विधेयकों को लेकर जनजागरूकता अभियान चला सकता है। सत्तापक्ष अपनी स्थिति को मजबूती से प्रस्तुत करेगा, और विधेयकों के माध्यम से अपनी रणनीति को स्पष्ट करेगा।
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राजस्थान मत्स्य-क्षेत्र (संशोधन) विधेयक 2025
इस विधेयक में अवैध मछली शिकार (Illegal Fishing) पर जुर्माना कई गुना बढ़ा दिया गया है। यह कदम मछलियों के संरक्षण और पानी के संसाधनों की रक्षा के उद्देश्य से उठाया गया है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
अवैध शिकार पर जुर्माना: पहली बार अपराध पर 500 से बढ़ाकर 25,000 रुपए और पुनः अपराध पर 1,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपए जुर्माना।
कंपाउडिंग: अपराध का शमन (Compound) 100 से बढ़ाकर 25,000 रुपए तक किया गया।
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राजस्थान आयुर्विज्ञान संस्थान जयपुर विधेयक 2025
इस विधेयक के तहत राजस्थान के जयपुर शहर को अब एक प्रमुख राष्ट्रीय स्तर का चिकित्सा संस्थान (National Medical Institute) बनाने की दिशा में कदम उठाया जाएगा। यह राज्य में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के विकास के लिए एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
स्वायत्त निकाय का गठन: रिम्स जयपुर को स्वायत्त निकाय (Autonomous Body) बनाने का प्रस्ताव।
सदस्य और उद्देश्य: चिकित्सा शिक्षा, नर्सिंग, पैरामेडिकल और आयुष शिक्षा प्रदान करने की जिम्मेदारी।
अधिकार: एमबीबीएस, पीजी, सुपरस्पेशलिटी पाठ्यक्रम, डिग्री और डिप्लोमा प्रदान करने का अधिकार।
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विधायकों के लिए नेवा एप क्या है?NEVA एप (नेशनल ई-विधान एप्लिकेशन) एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो भारत की सभी राज्य विधानसभाओं के कामकाज को कागज रहित और डिजिटल बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य सदस्यों को महत्वपूर्ण जानकारी तुरंत और आसानी से उपलब्ध कराना है। NEVA एप के मुख्य उद्देश्य और लाभ
यह कैसे काम करता है?
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राजस्थान भू-जल (संरक्षण एवं प्रबंध) प्राधिकरण विधेयक 2024
राजस्थान में बढ़ते भू-जल संकट (Groundwater Crisis) को नियंत्रित करने के लिए यह विधेयक एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। इस विधेयक में भू-जल के संरक्षण और प्रबंधन की दिशा में कई महत्वपूर्ण प्रावधान हैं।
विधेयक के प्रमुख प्रावधान
प्राधिकरण का गठन: राजस्थान भू-जल संरक्षण एवं प्रबंध प्राधिकरण (Rajasthan Groundwater Management Authority) की स्थापना।
कानूनी प्रावधान: भू-जल दोहन (Water Extraction) और उपयोग के लिए अनुमति अनिवार्य। बिना अनुमति के नए बोरवेल बनाने पर जुर्माना और कारावास की सजा।
जुर्माना: पहली बार उल्लंघन पर 50,000 रुपए जुर्माना और पुनः उल्लंघन पर पांच गुना जुर्माना।
समीक्षा: हर तीन साल में भू-जल प्रबंधन योजना की समीक्षा और सुधार।
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