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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान देश का सबसे बड़ा बाजरा (पर्ल मिलेट) उत्पादक राज्य है, जो 2024 में 95.31 लाख टन बाजरा उत्पादन के साथ राष्ट्रीय उत्पादन का 44.91% हिस्सा देता है। जयपुर, अलवर, बाड़मेर, जोधपुर और नागौर जैसे जिले राज्य में बाजरा की प्रमुख खेती करते हैं। राजस्थान का बाजरा उत्पादकता में देश में सबसे ऊपर है, लेकिन राज्य में इस उत्पादन को प्रोसेस करने के लिए पर्याप्त संसाधन और बुनियादी ढांचा नहीं है।
राजस्थान में बाजरा उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा दूसरे राज्यों में निर्यात किया जा रहा है, जहां से इसे विभिन्न प्रकार के मूल्यवर्धित उत्पादों में बदलकर वैश्विक बाजार में बेचा जा रहा है। ऐसे में तगड़ा मुनाफा राजस्थान को न मिल कर दूसरों की झोली में जा रहा है।
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पांच प्रमुख बिंदुओं में समझें पूरी खबर
1. राजस्थान का प्रमुख बाजरा उत्पादक राज्य होना
राजस्थान भारत का सबसे बड़ा बाजरा उत्पादक राज्य है, जो 2024 में 95.31 लाख टन बाजरा उत्पादन के साथ राष्ट्रीय उत्पादन का 44.91% हिस्सा देता है।
2. राजस्थान में प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी
राज्य में बाजरा की प्रोसेसिंग के लिए पर्याप्त यूनिट्स नहीं हैं, जिससे राजस्थान का बाजरा दूसरे राज्यों में भेजा जाता है, जहां इसका प्रोसेसिंग करके मूल्यवर्धित उत्पाद बनाए जाते हैं।
3. राजस्थान से निर्यात और वैश्विक बाजार में बढ़ती मांग
राजस्थान का बाजरा यूएई, सऊदी अरब, यूरोप, चीन और नाइजीरिया जैसे देशों में निर्यात हो रहा है, जहां इससे बिस्किट, हेल्थ शेक, प्रोटीन शेक और अन्य उत्पाद बनते हैं।
4. राजस्थान में किसानों और प्रोसेसिंग इकाइयों के सामने वित्तीय और तकनीकी चुनौतियां
राजस्थान में किसानों के पास पूंजी की कमी और छोटे खेतों के कारण बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने में समस्या आ रही है। प्रोसेसिंग यूनिट्स में निवेश की कमी और तकनीकी ज्ञान का अभाव भी प्रमुख चुनौतियां हैं।
5. राजस्थान में बाजरा उद्योग को कैसे बढ़ावा दिया जाए
सरकार को एफपीओ (फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) को 50% सब्सिडी देने, सौर ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली आपूर्ति बढ़ाने और प्रोसेसिंग पार्कों की स्थापना करने जैसे उपायों पर विचार करना चाहिए।
भारत में बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट्स कहां हैं?
राजस्थान के बाजरा उत्पादकों को कर्नाटक, महाराष्ट्र, और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में निर्यात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है, क्योंकि इन राज्यों में बाजरा प्रोसेसिंग की सुविधा अधिक है। इन राज्यों में बाजरा का उपयोग कुकीज, टोस्ट, बिस्किट, बर्गर, पिज्जा, बेबी फूड, शेक, एनर्जी ड्रिंक्स, दलिया आदि मूल्यवर्धित उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है।
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राजस्थान में बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट की कमी है, जिसके कारण राज्य से आने वाला बाजरा दूसरे राज्यों में प्रोसेस हो कर विभिन्न उत्पादों में बदलकर देश से बाहर जा रहा है। 2024 में दूसरे राज्यों ने बाजरा प्रोसेस कर 3,500 करोड़ रुपये का कारोबार किया। जबकि राजस्थान ने बाजरा को केवल एमएसपी पर बेचकर सिर्फ 2,000 करोड़ रुपये ही कमाए।
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बाजरा निर्यात में राजस्थान का योगदान कितना है?
भारत ने वर्ष 2023 में 1.69 लाख टन बाजरा निर्यात किया, जिसका मूल्य 608.12 करोड़ रुपये (75.46 मिलियन डॉलर) था। राजस्थान का योगदान इसमें 50% (304 करोड़ रुपये) था। हालांकि, राजस्थान में प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी के कारण मुनाफा अन्य राज्यों या देशों के पास जा रहा है।
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बाजरा से बने उत्पादों की वैश्विक मांग क्या है
राजस्थान से निर्यात होने वाले बाजरा का उपयोग विभिन्न उत्पादों में किया जा रहा है। जैसे:
यूएई (UAE): 30,000 टन बाजरा, जिसमें बिस्किट और ग्लूटेन-फ्री ब्रेड बनते हैं।
सऊदी अरब (Saudi Arabia): 25,000 टन बाजरा, जिसका उपयोग दलिया और बेबी फूड बनाने के लिए किया जाता है।
यूरोप (Europe): 20,000 टन बाजरा, जिससे हेल्थ शेक और स्नैक्स तैयार होते हैं।
चीन (China): 15,000 टन बाजरा, जो न्यूट्री-बार और प्रोटीन शेक बनाने के काम आता है।
नाइजीरिया, सूडान (Nigeria, Sudan): 10,000 टन बाजरा, जो पारंपरिक पॉरिज (उगाली) बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
राजस्थान के बाजरा का वैश्विक बाजार में कई देशों में उपयोग हो रहा है और इसके निर्यात से राज्य की अर्थव्यवस्था को फायदा हो रहा है।
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बाजरा से कौन से उत्पाद बनाए जा सकते हैं ?
ग्लूटेन-फ्री पास्ता (Gluten-Free Pasta): इटली और यूएसए में, 8 डॉलर/किलो।
बाजरा बर्गर पैटी (Millet Burger Patty): यूरोप में वीगन डाइट में लोकप्रिय।
प्रोटीन बार (Protein Bar): कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में, 3 डॉलर/बार।
बाजरा बियर (Millet Beer): जर्मनी में, 4 डॉलर/बोतल।
इंस्टेंट पॉरिज मिक्स (Instant Porridge Mix): अफ्रीका में, 2 डॉलर/पैक।
राजस्थान में बाजरा को लाभदायी कैसे बनाया जा सकता है?सरकारी सहायता और निवेशराजस्थान सरकार को एफपीओ (फॉर्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन) को 50% सब्सिडी देने और सौर ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके अलावा, एपीईडीए और एफएसएसएआई के सहयोग से जयपुर और बाड़मेर में एचएसीसीपी और आईएसओ प्रशिक्षण केंद्र स्थापित किए जा सकते हैं, जिससे किसानों को बेहतर प्रशिक्षण और प्रमाणन मिल सके। प्रोसेसिंग पार्क की स्थापनाराजस्थान में बाड़मेर और नागौर जैसे जिलों में तमिलनाडु के स्पाइस पार्क मॉडल की तरह बाजरा प्रोसेसिंग पार्क बनाए जाने चाहिए। इसके लिए निजी निवेश को भी आकर्षित किया जा सकता है। आईटीसी और बैगरीज जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी से बाजरा के मूल्यवर्धित उत्पादों को बढ़ावा मिल सकता है। वित्तीय बाधाएं और प्रशिक्षणकिसानों के लिए बैंक लोन प्रक्रिया को सरल बनाना और वित्तीय सहायता की व्यवस्था करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, छोटे किसानों को प्रशिक्षण देने के लिए एपीईडीए और एफपीओ की सहायता से कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं। | |
राजस्थान में बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी
राजस्थान में बाजरा की प्रोसेसिंग यूनिट्स की संख्या बहुत कम है। जयपुर और जोधपुर में बिजली की उच्च लागत (7-8 रुपये प्रति यूनिट) और पानी की कमी की वजह से प्रोसेसिंग महंगी हो जाती है। इसके अलावा, राज्य में निवेश की कमी भी एक बड़ी समस्या है, जिससे नई प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करना मुश्किल हो रहा है।
राजस्थान में बाजरा प्रोसेसिंग यूनिट क्यों नहीं लग रहीं?
राजस्थान में छोटे किसान (70% किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है) पूंजी और तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण बाजरा की प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, स्थानीय बाजार की मांग कम होने और वैश्विक मानकों के लिए प्रमाणन की कमी के कारण राज्य में प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थिति बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।
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