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Photograph: (the sootr)
मुकेश शर्मा @ जयपुर
केंद्रीय वित्तीय सहायता वाली योजनाओं की राजस्थान में हालात खराब हैं। प्रदेश में मनरेगा और एनएचएम सरीखी ऐसी 17 योजनाएं हैं, जिनमें राज्य सरकार इस वित्तीय साल में एक रुपया खर्च नहीं कर पाई है। हकीकत यह है कि प्रदेश को इन योजनाओं के मद में केंद्र से पैसा मिल गया है, लेकिन सरकार इस राशि पर कुंडली मारे बैठी है।
दरअसल, प्रदेश में 28 केंद्रीय प्रवर्तित योजनाओं से संबद्ध 61 स्कीम चल रही हैं। द सूत्र ने अपनी पड़ताल में पाया कि इनमें से 17 ऐसी योजनाएं हैं, जिसमें अब तक एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, बहुत सी योजनाएं ऐसी हैं, जिनमें पांच प्रतिशत से भी कम राशि खर्च हुई है। ऐसे में जब तक राज्य सरकार इस राशि को खर्च कर इसका यूटिलिटी सर्टिफिकेट जारी नहीं कर देती, तब तक केंद्र सरकार की तरफ से इन योजनाओं की अगली किस्त प्रदेश को नहीं मिलेगी।
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इन योजनाओं में एक पाई भी खर्च नहीं
जिन योजनाओं पर राज्य सरकार एक भी रुपया नहीं दे पाई है, उनमें मनरेगा, स्वच्छ भारत मिशन, पुलिस मॉडर्नाइजेशन, कृषि विकास योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, नेशनल हेल्थ मिशन, नेशनल ऑर्थोपेडिक इंप्लांट्स, टाइगर प्रोजेक्ट राजस्थान, महिला किसान सशक्तिकरण योजना सहित 17 योजनाएं हैं। यह भी पता चला है कि इन योजनाओं में कुछ के काम निचले स्तर पर हो गए, लेकिन संबंधित को एक रुपए का भुगतान तक नहीं पाया।
एनएसए-स्पर्श सिस्टम हुआ समझ से बाहर
द सूत्र ने इन योजनाओं में खर्च नहीं होने के पीछे का कारण जानना चाहा, तो चौंकाने वाला तथ्य यह पता चला कि केंद्र ने योजनाओं के खर्च में पारदर्शिता लाने के लिए राज्यों में भुगतान का नया सिस्टम एनएसए-स्पर्श लागू किया है। भुगतान के इस नए सिस्टम को राज्यों के संबंधित विभाग अभी तक या तो समझ नहीं पाए हैं या सिस्टम को सही तरीके से लागू नहीं कर पा रहे हैं। भुगतान के नए सिस्टम के कारण ही केंद्रीय सहायता वाली योजनाओं में भुगतान नहीं हो पा रहा है।
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ऐसे काम करता है एनएसए-स्पर्श सिस्टम
एसएनए-स्पर्श का अर्थ है समयोजित प्रणाली एकीकृत शीघ्र हस्तांतरण (System for Integrated Funds Transfer with Speed and Accuracy)। केंद्र ने अपनी केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं (Centrally Sponsored Schemes-CSS) के तहत राज्यों को धन के प्रभावी और समय पर हस्तांतरण के लिए यह योजना अनिवार्य कर दी। इस सिस्टम का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राशि सीधे लाभार्थियों या कार्यान्वयन एजेंसियों के खातों में बिना किसी देरी या रुकावट के समय पर पहुंचे। यह सिस्टम सीधे तौर पर राज्य के Integrated Financial Management Information System (IFMIS) के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ई-कुबेर (e-Kuber) और Public Financial Management System (PFMS) को जोड़ता है।
रियल टाइम ट्रेकिंग ने उलझाया खेल
अधिकारियों के अनुसार, प्रदेश में 28 केंद्रीय सहायता प्राप्त योजनाओं से जुड़ी 61 स्कीम का पैसा एसएनए-स्पर्श के तहत एक ही खाते में जमा किया जाता है। इससे ही योजनाओं में आगे भुगतान होता है। योजनाओं के खर्च और भुगतान पर संबंधित केंद्रीय मंत्रालय या विभाग रियल-टाइम ट्रैकिंग करते हैं। इसके चलते राज्य सरकारें एक योजना के पैसे को अन्य किसी काम में नहीं ले सकती और बचा हुआ पैसा राज्य को वापस इन्हीं खातों में जमा करना पड़ता है। सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम के कारण मौजूदा वित्तीय वर्ष में अधिकांश स्टेट लिंक स्कीम्स में खर्च की गति बहुत धीमी है।
दावा : काम हुआ, पर भुगतान में दिक्कत
वित्त विभाग के संयुक्त शासन सचिव एवं निदेशक बृजेश किशोर शर्मा कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि योजनाओं के तहत काम नहीं हो रहा है। काम तो हो रहा है, लेकिन भुगतान के नए सिस्टम को समझने और लागू करने में कई विभागों को परेशानी हो रही है। इस कारण कई योजनाओं का पैसा विभाग काम करवाने के बावजूद संबंधित खाते से निकाल नहीं पा रहे हैं। उनका दावा है कि सरकार जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लेगी। बड़ा सवाल यह है कि क्या केंद्रीय योजनाएं सही तरीके से क्रियान्वित हो पाएंगी?
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