गायब हो रहे हैं बच्चे , आखिर राजस्थान कैसे बन गया मानव तस्करी का गढ़

राजस्थान में पांच वर्षों में 2711 चाइल्ड ट्रैफिकिंग के मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई , जिससे साफ है कि राज्य बाल तस्करी का बड़ा केंद्र बन गया है। सरकार और NGOs ने इसे रोकने के लिए प्रयास किए हैं।

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Gyan Chand Patni
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भारत में बच्चों की तस्करी child trafficking एक गंभीर समस्या बनी हुई है, और अब यह स्थिति और भी डरावनी होती जा रही है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान और बिहार बाल तस्करी के प्रमुख केंद्र बन गए हैं।

राजस्थान में 2018 से 2022 के बीच 2711 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई हैं, जबकि बिहार में यह आंकड़ा 1848 था।

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि, भले ही सरकारें बाल तस्करी और बाल श्रम को समाप्त करने के लिए कानून बना रही हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी चिंताजनक है।

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क्यों बन रहा है राजस्थान चाइल्ड ट्रैफिकिंग का केंद्र?

राजस्थान में चाइल्ड ट्रैफिकिंग की समस्या विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में गंभीर है। यहां की गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और सामाजिक जागरूकता की कमी बच्चों को  मानव तस्करी गिरोह के दलालों का आसान शिकार बना देती है। अक्सर बच्चों को बाल श्रम, घरेलू काम, भिक्षावृत्ति और देह व्यापार जैसी गतिविधियों में जबरन धकेला जाता है।

 बाल तस्करी को रोकने के क्या हुए प्रयास

राज्य सरकार और कई गैर सरकारी संगठनों (NGOs) ने 2016 के बाद बाल तस्करी के मामलों को रोकने के लिए मिलकर काम किया है।

राज्य के हर जिले में Anti Human Trafficking Unit (AHTU) का गठन किया गया है, जो तस्करी से जुड़े मामलों की पहचान और उन पर कार्रवाई करती है।

यह पहल राजस्थान में बाल तस्करी के मामलों को रोकने में सहायक साबित हो रही है।

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राज्य स्तरीय सम्मेलन का क्या निकला नतीजा?

18 और 19 जुलाई को राजस्थान पुलिस अकादमी, जयपुर में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें पुलिस, महिला एवं बाल विकास, श्रम विभाग, सामाजिक न्याय, महिला आयोग और NGOs के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

FAQ

1. राजस्थान में चाइल्ड ट्रैफिकिंग की क्या स्थिति है?
2018 से 2022 तक राजस्थान में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के 2711 मामलों में चार्जशीट दाखिल की गई है । साफ है कि राज्य बाल तस्करी का प्रमुख केंद्र बन गया है।
2. राजस्थान सरकार ने बाल तस्करी को रोकने के लिए क्या कदम उठाए हैं?
राज्य सरकार ने प्रत्येक जिले में Anti Human Trafficking Unit (AHTU) का गठन किया है, जो बाल तस्करी से जुड़े मामलों की पहचान और उन पर कार्रवाई करती है।
3. जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन का उद्देश्य क्या था?
जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय सम्मेलन में बाल तस्करी के कारणों, बचाव के उपायों और पीड़ितों के पुनर्वास की प्रक्रिया पर चर्चा की गई, साथ ही AHTU की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए सुझाव दिए गए।

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