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Photograph: (TheSootr)
Jaipur . राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (RCA) में एक बार फिर सियासी घमासान तेज हो गया है। RCA की एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत ने जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की मान्यता रद्द कर दी है, जिसकी अध्यक्षता राजस्थान के चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के बेटे धनंजय सिंह खींवसर कर रहे हैं। इस कदम ने क्रिकेट के मैदान से बाहर एक नई सियासी लड़ाई को जन्म दिया है, जिसमें कई आरोप-प्रत्यारोप सामने आ रहे हैं। इस मामले में कुमावत ने सिर्फ जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की मान्यता ही रद्द नहीं की, बल्कि RCA के संविधान के खिलाफ काम करने के आरोप में तीन और जिला क्रिकेट संघ के खिलाफ लोकपाल में शिकायत भी की है। इनमें भाजपा के प्रदेश सचिव पिंकेश जैन का प्रतापगढ़ जिला क्रिकेट संघ, राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवारी के बेटे आशीष तिवारी का सीकर जिला क्रिकेट संघ और पूर्व कैबिनेट मंत्री व भाजपा विधायक डॉ. जसवंत सिंह यादव के पुत्र मोहित यादव का अलवर जिला ​​क्रिकेट संघ शामिल हैं।
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दीनदयाल कुमावत का कड़ा कदम
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दीनदयाल कुमावत ने रविवार को एडहॉक कमेटी के चार सदस्यीय बैठक को अवैध करार देते हुए उसके फैसलों को बेबुनियाद और प्रभावहीन बताया। उनका कहना था कि राजस्थान खेल अधिनियम 2005 और RCA संविधान के अनुसार किसी भी बैठक को आयोजित करने का अधिकार केवल संयोजक या अध्यक्ष को ही है। इस बैठक के लिए न तो कोई लिखित आवेदन और न ही कारण बताने की आवश्यकता थी, जो कि RCA के नियमों का उल्लंघन है। कुमावत ने आरोप लगाया कि यह बैठक उनकी जानकारी और सहमति के बिना आयोजित की गई थी, जिससे यह सारे प्रस्ताव शून्य और अवैध हो गए।
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राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का संविधान क्या है?
दीनदयाल कुमावत ने यह भी साफ किया कि RCA के संविधान के अनुसार, किसी भी बैठक को बुलाई जाने से पहले 21 दिन का पूर्व नोटिस दिया जाना चाहिए। इसके तहत 5 सितंबर 2025 को आयोजित वार्षिक साधारण सभा (AGM) में लोकपाल की नियुक्ति का एजेंडा शामिल था, जिसमें सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से उन्हें लोकपाल नियुक्त करने का अधिकार दिया था। इसके बावजूद, 12 अक्टूबर को बुलाई गई बैठक का कोई औचित्य नहीं था। कुमावत ने यह आरोप भी लगाया कि इस बैठक के पीछे धनंजय सिंह खींवसर की व्यक्तिगत नाराजगी और द्वेष भावना थी, क्योंकि वे नागौर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष रहते हुए जोधपुर जिला क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी बन गए थे, जो कि RCA संविधान और राजस्थान खेल अधिनियम 2005 का उल्लंघन है।
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जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की मान्यता रद्द
RCA के रिकॉर्ड के अनुसार, जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की किसी भी प्राथमिक इकाई में धनंजय सिंह खींवसर न तो सदस्य हैं, न ही निर्वाचित पदाधिकारी हैं। इसी आधार पर, RCA ने जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की सदस्यता को 12 अक्टूबर 2025 से पहले ही निरस्त कर दिया था। कुमावत ने इस मामले को लोकपाल के पास भेज दिया था और मामले की गहनता से जांच करने की अपील की थी। उनके मुताबिक, यह कदम कोर्ट के निर्देशों के तहत लिया गया था और इसमें कोई भी गलतफहमी या व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं था।
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धनंजय सिंह खींवसर पर क्या आरोप हैं?
RCA की एडहॉक कमेटी के कन्वीनर दीनदयाल कुमावत ने बताया कि धनंजय सिंह खींवसर उनके भाई हैं, लेकिन एक व्यक्ति एक साथ दो जिलों का पदाधिकारी नहीं बन सकता है, जैसा कि उन्होंने किया। इस मामले में हाईकोर्ट का स्पष्ट फैसला आ चुका है, जिसके बाद एडहॉक कमेटी ने जोधपुर जिला क्रिकेट संघ की मान्यता रद्द करने का निर्णय लिया। अब इस मामले पर लोकपाल सुनवाई करेंगे, और इसके बाद ही इस मामले में कोई अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
क्रिकेट के मैदान से बाहर की सियासी लड़ाई
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन में यह घमासान एक बार फिर दिखाता है कि क्रिकेट के मैदान से बाहर भी राजनीति और सियासत का प्रभाव है। क्रिकेट संघों में चल रही इस लड़ाई ने क्रिकेट के खेल को प्रभावित किया है, और अब यह मामला न्यायालय और लोकपाल तक जा पहुंचा है। इस तरह के विवाद क्रिकेट की प्रक्रिया को ही बाधित करते हैं और इससे खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रेमियों को भी दुख होता है।
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आरसीए एडहॉक कमेटी क्या है?आरसीए एडहॉक कमेटी एक अस्थायी समिति है जिसे राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन (आरसीए) के मामलों का प्रबंधन करने के लिए बनाया गया है। यह आमतौर पर तब बनाई जाती है जब आरसीए की कार्यकारिणी भंग हो जाती है या किसी विवाद के कारण निष्क्रिय हो जाती है। | |
अगले कदम: लोकपाल और कोर्ट की भूमिका
अब इस विवाद में आगे की कार्रवाई लोकपाल द्वारा की जाएगी। कुमावत ने साफ कहा कि 12 अक्टूबर को बुलाई गई बैठक अवैध थी, और उस बैठक के पारित प्रस्तावों का कोई भी कानूनी आधार नहीं है। इस मामले में अब तक धनंजय सिंह खींवसर की तरफ से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन उनके खिलाफ आरोप दिन-प्रतिदिन मजबूत होते जा रहे हैं। कोर्ट और लोकपाल के फैसले के बाद ही यह मामला सुलझेगा और RCA में आगे की स्थिति स्पष्ट होगी।
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