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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान के अजमेर स्थित जेएलएन अस्पताल (JLN Hospital) में 13 अक्टूबर 2025 को अचानक आग लग गई। यह घटना अस्पताल के ओपीडी (Out Patient Department) हिस्से में हुई, जिसके बाद अफरा-तफरी का माहौल बन गया। आग की सूचना मिलते ही अस्पताल प्रशासन ने तत्परता से कार्रवाई की, और समय रहते फायर ब्रिगेड की मदद से आग पर काबू पा लिया गया। हालांकि, इस घटना के बाद अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति को लेकर सवाल उठने लगे हैं, खासकर जब कुछ दिन पहले ही राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल, में भी आग लगने की घटना हुई थी।
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शॉर्ट सर्किट से लगी आग
जेएलएन अस्पताल के ओपीडी हिस्से में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट (short circuit) बताया जा रहा है। विद्युत पैनल में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी थी, और इसके बाद वहां से धमाके भी सुनाई दिए। एक के बाद एक हुए धमाकों ने अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल बना दिया। आग लगने के कुछ ही देर में वहां घना धुआं फैल गया, जिससे मरीजों, डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ में दहशत फैल गई।
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तत्परता से पाया आग पर काबू
जेएलएन अस्पताल के अधिकारियों ने तुरंत बिजली की आपूर्ति को बंद कर दिया और फायर ब्रिगेड को सूचना दी। फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया, जिससे बड़ा हादसा टल गया। अस्पताल के प्राचार्य डॉ. अनिल सामरिया ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी, लेकिन राहत की बात यह रही कि इसमें किसी भी व्यक्ति के घायल होने की सूचना नहीं है।
विद्युत उपकरणों और पैनल को नुकसान
जेएलएन अस्पताल अजमेर में आग से अस्पताल के ओपीडी हिस्से में स्थित दवा काउंटर परिसर के विद्युत उपकरणों और पैनल को नुकसान पहुंचा है। इसके बाद अस्पताल प्रशासन ने ओपीडी क्षेत्र की विद्युत आपूर्ति बंद कर दी है, ताकि तकनीकी जांच की जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों। अस्पताल में मौजूद मरीजों और नर्सिंग स्टाफ को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था, जिससे बड़ा नुकसान होने से बच गया।
इस घटना के बाद से अस्पताल प्रशासन ने घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं और इसके बाद अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने की योजना बनाई है। इस घटना ने अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर ऐसे वक्त में जब हाल ही में जयपुर के एसएमएस अस्पताल (sms hospital jaipur) में भी आग लगने की घटना हुई थी।
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एसएमएस अस्पताल में गई थी आठ की जानजयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में 6 अक्टूबर को देर रात आग लग गई थी। हादसे में 8 मरीजों (हॉस्पिटल स्टाफ के अनुसार) की मौत हो गई। इनमें 3 महिलाएं शामिल हैं। हालांकि, सरकार 6 मौत मान रही है। रविवार रात 11 बजकर 20 मिनट पर यह आग ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर में लगी। यहां पेपर, आईसीयू का सामान और ब्लड सैंपलर ट्यूब रखे थे। ट्रॉमा सेंटर के इंचार्ज और सीनियर डॉक्टर ने बताया कि शॉर्ट सर्किट से आग लगने की आशंका है। हादसे के समय आईसीयू में 11 मरीज थे। उसके बगल वाले आईसीयू में 13 मरीज थे। हादसे के करीब 19 घंटे बाद सोमवार देर शाम सरकार ने अग्निकांड में पहली कार्रवाई की। सबसे पहले SMS हॉस्पिटल अधीक्षक और ट्रॉमा सेंटर इंचार्ज को हटाया गया। साथ ही एक्सईएन निलंबित को निलंबित किया है। फायर सेफ्टी कंपनी पर FIR दर्ज कराने के आदेश दिए हैं। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर बोले कि हादसे का शिकार मरीज वेंटिलेटर पर थे। उन्हें वेंटिलेटर पर से हटाया जाता तो वैसे ही उनके साथ हादसा होने की आशंका थी। सरकार की ओर से मृतक आश्रितों को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने की घोषणा की गई थी। | |
राजस्थान में अस्पतालों की सुरक्षा पर सवाल
राज्य के अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति पर लगातार चिंता जताई जा रही है। कुछ ही दिन पहले, जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भी आग लगने की घटना हुई थी, जिसके बाद राजस्थान के स्वास्थ्य विभाग ने अन्य सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच की थी। लेकिन फिर भी, इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या राज्य के अस्पतालों में सुरक्षा की स्थिति पूरी तरह से सुनिश्चित की जा रही है?
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जांच के बावजूद नहीं हुआ था सुधार
जयपुर के एसएमएस अस्पताल में आग लगने के बाद, स्वास्थ्य विभाग ने अजमेर के जेएलएन अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस निरीक्षण के दौरान सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर कुछ सुधार की सिफारिश की गई थी। बावजूद इसके, शॉर्ट सर्किट से आग लगना और उस पर काबू पाने में समय लगना, अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाता है।
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आग की घटनाओं से अस्पतालों में सुरक्षा की आवश्यकता
जयपुर एसएमएस अस्पताल हादसा के बाद आग जैसी घटनाओं को लेकर अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है, खासकर तब जब अस्पतालों में मरीजों और उनके परिवारजन के अलावा स्वास्थ्य कर्मचारियों की बड़ी संख्या होती है। इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए अस्पतालों को अग्नि सुरक्षा (fire safety) के प्रति गंभीर और सतर्क रहना जरूरी है।
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आग बुझाने की सही तकनीकी बनाई जाए
अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा प्रणाली के तहत आग बुझाने के उपकरण, जैसे कि अग्निशामक यंत्र (fire extinguishers), जल आपूर्ति प्रणाली (water supply system) और आपातकालीन निकासी मार्ग (emergency evacuation routes) सुनिश्चित किए जाने चाहिए। साथ ही, अस्पताल के कर्मचारियों को भी नियमित रूप से अग्नि सुरक्षा प्रशिक्षण (fire safety training) देना आवश्यक है ताकि वे आपातकालीन स्थिति में सही समय पर प्रतिक्रिया कर सकें।
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अस्पतालों में नवीनीकरण की जरूरत
अस्पतालों में आग सुरक्षा के लिए समय-समय पर नवीनीकरण (renovation) और अपडेट की आवश्यकता होती है। इसके तहत पुराने विद्युत पैनल और उपकरणों को बदलने, अग्निशामक उपकरणों की जांच करने और अस्पताल के डिज़ाइन में आवश्यक सुधार करने की जरूरत है। इसके अलावा, राज्य सरकार को अस्पतालों की अग्नि सुरक्षा के लिए नियमों और दिशानिर्देशों (guidelines) का पालन सख्ती से करवाना चाहिए।
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