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Photograph: (TheSootr)
Jaipur . राजस्थान में बिजली की खपत और पर्यावरण को लेकर कई लोगों के मन में एक बड़ा सवाल था। कई उपभोक्ता अपने फ्लैट, ऑफिस या शोरूम में सस्ती और स्वच्छ बिजली के लिए सोलर पैनल लगाने की सोच रहे थे, लेकिन उनके पास यह सुविधा नहीं थी। अब राजस्थान विद्युत नियामक आयोग ने वर्चुअल नेट मीटरिंग (Virtual Net Metering) की अनुमति देकर इस समस्या का हल निकाल लिया है। इसके तहत लोग अपनी दूसरी संपत्तियों पर सोलर पैनल लगाकर उससे प्राप्त बिजली का उपयोग अपनी अन्य संपत्तियों में कर सकेंगे। इस कदम से न केवल सस्ती बिजली मिलेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
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वर्चुअल नेट मीटरिंग क्या है?
वर्चुअल नेट मीटरिंग के तहत उपभोक्ता अपनी सोलर पैनल प्रणाली को अपनी दूसरी संपत्ति पर लगा सकते हैं और उससे जो बिजली उत्पन्न होगी, उसे वे अपनी फ्लैट, ऑफिस, शोरूम, या अन्य संपत्तियों में उपयोग कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए, बिजली की आपूर्ति डिस्कॉम (DISCOM) के ग्रिड से होगी, और जितनी बिजली ग्रिड में जाएगी, उतनी ही बिजली उपभोक्ता अपने उपयोग के लिए प्राप्त कर सकेगा।
इस नए नियम से राजस्थान में सोलर पैनल लगाने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलेगा, और लोग अपनी अतिरिक्त भूमि या घर की छतों का अधिकतम उपयोग करेंगे। यह कदम राज्य की नई क्लीन एनर्जी पॉलिसी का हिस्सा है, जिसे कुछ महीनों पहले लागू किया गया था। इस नीति का उद्देश्य सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों को प्राथमिकता देना है।
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सोलर पैनल से मिलने वाले लाभ क्या हैं?
राजस्थान में सोलर पैनल से बिजली उत्पन्न करने के कई फायदे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख लाभ इस प्रकार हैं:
1. बिजली के बिल में कमी
सोलर पैनल से उत्पन्न होने वाली बिजली से उपभोक्ताओं के बिजली के बिल में कमी आएगी। इससे न केवल सस्ती बिजली प्राप्त होगी, बल्कि लंबे समय में बिजली के खर्च में भी भारी बचत हो सकेगी।
2. खाली जगह का अधिकतम उपयोग
बहुत से लोग सोलर पैनल अपनी छतों या जमीन पर लगाने की सोचते हैं, जो उनके लिए एक बेकार जगह हो सकती है। वर्चुअल नेट मीटरिंग के माध्यम से वे अपनी अतिरिक्त जमीन या छत का अधिकतम उपयोग कर सकते हैं।
3. सौर ऊर्जा उत्पादन में जन सहभागिता
राज्य में सोलर पैनल के उपयोग से जन सहभागिता बढ़ेगी। लोग न केवल अपनी बिजली का उत्पादन करेंगे, बल्कि अन्य लोगों के लिए भी ऊर्जा के इस वैकल्पिक स्रोत को उपलब्ध कराएंगे।
4. प्रदूषण में कमी
सोलर ऊर्जा, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की तुलना में पर्यावरण के लिए काफी कम हानिकारक है। सोलर पैनल का उपयोग करने से राज्य में प्रदूषण में भी कमी आएगी, क्योंकि यह एक स्वच्छ और हरित ऊर्जा स्रोत है।
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वर्चुअल नेट मीटरिंग के उदाहरण
केस 1: सत्यनारायण शर्मा का उदाहरण
सत्यनारायण शर्मा जयपुर के बापू नगर में एक मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में रहते हैं और वे सोलर पैनल लगाना चाहते हैं, लेकिन बिल्डिंग की कॉमन छत पर इसकी अनुमति नहीं है। दिलीप के पास जयपुर के बाहर जगतपुरा में एक जमीन है। अब वे उस जमीन पर सोलर पैनल लगाकर उसकी बिजली का उपयोग बापू नगर में अपने फ्लैट या दुकान में कर सकेंगे। इस प्रकार, वे सस्ती बिजली का उपयोग कर सकेंगे और महंगी डिस्कॉम बिजली से बच सकेंगे।
केस 2: अजीत सिंह का उदाहरण
अजीत सिंह जयपुर के मानसरोवर में रहते हैं और उनकी एक जमीन कोटा में है। अब वे मानसरोवर या कोटा में कहीं भी सोलर पैनल लगाकर उससे उत्पन्न होने वाली बिजली का उपयोग दोनों स्थानों पर कर सकते हैं। इस व्यवस्था के तहत, वे अपनी अतिरिक्त जमीन या छत का उपयोग कर सकते हैं और इसके द्वारा सस्ती बिजली प्राप्त कर सकते हैं।
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राजस्थान सौर ऊर्जा नीति क्या है?
राजस्थान में सोलर पैनल लगाने के लिए उपभोक्ता को कुछ बुनियादी शर्तों का पालन करना होगा। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण शर्त है कि उपभोक्ता के पास जिस संपत्ति पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे, उस संपत्ति का मालिकाना हक या किरायेदारी उसी के नाम होनी चाहिए। सोलर पैनल से उत्पादित बिजली पहले डिस्कॉम के ग्रिड में जाएगी और उपभोक्ता को उसी मात्रा की बिजली उपयोग के लिए मिलेगी।
राजस्थान की नई क्लीन एनर्जी पॉलिसी और सोलर पैनल
कुछ महीनों पहले राज्य सरकार ने एक नई क्लीन एनर्जी पॉलिसी (Clean Energy Policy) लागू की थी, जिसका उद्देश्य राज्य में सोलर पैनल के उपयोग को बढ़ावा देना था। इस नीति के तहत राज्य सरकार ने विभिन्न प्रोत्साहन योजनाएं भी शुरू की हैं, जिनसे सोलर पैनल की कीमत कम हुई है और लोगों को सोलर पैनल लगाने के लिए प्रेरित किया गया है। वर्चुअल नेट मीटरिंग की शुरुआत इस नीति का एक अहम हिस्सा है, जिसे राज्य सरकार ने लागू किया है।
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सौर ऊर्जा क्या है?
सौर ऊर्जा के प्रमुख प्रकार:
सौर ऊर्जा के लाभ:
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वर्चुअल नेट मीटरिंग से राजस्थान में ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव
राजस्थान में सोलर पैनल के उपयोग को बढ़ावा देने के साथ ही वर्चुअल नेट मीटरिंग से राज्य में ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव आएगा। यह कदम न केवल बिजली के बिल में कमी लाएगा, बल्कि इसके द्वारा राज्य में प्रदूषण में भी कमी होगी। साथ ही, यह सौर ऊर्जा के उत्पादन में जन सहभागिता को बढ़ावा देगा और राज्य की ऊर्जा नीति को और मजबूत करेगा।
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