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राजस्थान में निराश्रित पशुओं और बढ़ते डॉग बाइट के मामलों को लेकर जोधपुर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है।
अदालत ने स्वतः संज्ञान लेते हुए कहा कि राज्य में सड़कें और राष्ट्रीय राजमार्ग अब आमजन के लिए असुरक्षित हो गए हैं। कोर्ट की यह टिप्पणी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर था, जिसमें इन घटनाओं की गंभीरता को उजागर किया गया था।
राजस्थान सड़क सुरक्षा के मामले में खास ध्यान दे तो हालात सुधर सकते हैं। निराश्रित पशु हादसे की वजह बन रहे हैं।
निराश्रित पशुओं से बढ़ते सड़क हादसे
हाईकोर्ट ने कहा कि निराश्रित पशुओं के कारण सड़क हादसों की घटनाएं बढ़ रही हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, कई सड़क दुर्घटनाएं इस कारण हो रही हैं, लेकिन राज्य सरकार और नगर निगम इस स्थिति की गंभीरता को कम आंकने की कोशिश कर रहे हैं। यह आरोप लगाया गया कि आंकड़ों को जानबूझकर घटाया जा रहा है ताकि सरकार की लापरवाही छुपी रहे। राजस्थान में डॉग बाइट और निराश्रित पशुओं से सड़क हादसे चिंताजनक हैं।
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बढ़ते डॉग बाइट के मामले
राजस्थान में डॉग बाइट के मामलों में भी बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक 3,32,000 से अधिक डॉग बाइट के मामले दर्ज हुए थे, जबकि जनवरी 2025 में ही 15,000 से अधिक नए मामले सामने आए हैं।
अदालत ने 2018 में राज्य सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उस साल 185 से अधिक लोगों की मौत निराश्रित पशुओं से हुई दुर्घटनाओं में हुई थी, लेकिन उसके बाद से इस पर समेकित रिपोर्ट जारी नहीं की गई है।
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राज्य सरकार और नगर निगम की भूमिका
अधिवक्ता आयुष गहलोत ने अदालत को बताया कि कई बार अभियान चलाए गए हैं, लेकिन पशु-प्रेमियों द्वारा उनका विरोध किया जाता है। राज्य सरकार ने 2022 में राजस्थान रोड सेफ्टी बिल का मसौदा तैयार किया था, जिसमें निराश्रित पशुओं से होने वाले हादसों की रोकथाम के लिए कई प्रावधान किए गए थे।
न्यायमित्र नियुक्त किए
कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, नगरीय विकास विभाग, परिवहन विभाग और विभिन्न नगर निगमों को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही, अदालत ने न्यायमित्र नियुक्त किए हैं। उन्हें इस मामले पर विस्तृत अध्ययन करने और अदालत की सहायता करने का निर्देश दिया गया है।
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