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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में खजूर की खेती तेजी से बढ़ रही है। खजूर के फल में विटामिन A, B और कार्बोहाइड्रेट के साथ खनिज लवणों की प्रचुरता होती है, जो पाचन शक्ति बढ़ाने और हीमोग्लोबिन की कमी से बचाने में मदद करते हैं। रेगिस्तान के उच्च तापमान और कम वर्षा वाले इलाके में खजूर की खेती बहुत उपयुक्त मानी जाती है। खजूर के लिए 7-8 पीएच मान वाली बलुई दोमट मिट्टी और अच्छे जल निकास की आवश्यकता होती है।
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उपयुक्त मिट्टी और तापमान
खजूर के पौधों को 25 से 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान की आवश्यकता होती है। इसके अलावा, लंबी गर्म शुष्क ग्रीष्म ऋतु और मध्यम सर्द ऋतु इसके लिए आदर्श होती है। फूल आने से पहले और फलों के पकने तक खजूर को अत्यधिक पानी की आवश्यकता होती है।
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पौधारोपण और सिंचाई की पद्धतियां
खजूर के पौधों को प्रति हेक्टेयर 148 मादा और 8 नर पौधों के साथ लगाना होता है यानी कुल 156 पौधे। पौधों की सिंचाई ड्रिप पद्धति से की जाती है, जिससे भूमि में न्यूनतम दो फीट गहराई तक नमी बनी रहती है।
खजूर की किस्में और उत्पादन
खजूर की प्रमुख मादा किस्मों में बरही, खुनैजी, मेडजूल, खलास, खद्रावी, सगई, जामली, अजवा, नाबुत सुल्तान और हलवा शामिल हैं। वहीं नर किस्मों में अल-इन-सिटी और घनामी प्रमुख हैं। खजूर में फल आने में लगभग 4 साल का समय लगता है, लेकिन टिश्यू कल्चर से तैयार पौधों में तीसरे वर्ष से ही फल आने लगते हैं।
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खजूर की तुड़ाई और प्रसंस्करण
राजस्थान में फल पकने के समय वर्षा के कारण पेड़ों पर पूरी तरह से परिपक्वता हासिल करना मुश्किल हो जाता है, इसलिए फलों को डोका अवस्था (आंशिक रूप से पीला या लाल) में ही काट लिया जाता है। छुहारा बनाने के लिए भी डोका अवस्था में फलों को तोड़ा जाता है।
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लाभ और भंडारण
पके हुए खजूर फलों को शीतगृह में 2 सप्ताह तक 5.5-7.2 डिग्री तापक्रम पर 85-90 फीसदी आपेक्षिक आर्द्रता में भंडारित किया जा सकता है। वहीं छुहारों को 1 से 11 डिग्री तापक्रम पर 65-70 प्रतिशत सापेक्षिक आर्द्रता में 13 महीने तक भंडारित किया जा सकता है। किसान प्रति हेक्टेयर 2 लाख रुपए तक का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि में खजूर की खेती का महत्व
खजूर की खेती राजस्थान के किसानों के लिए एक आदर्श उदाहरण बन चुकी है। यह न केवल किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है, बल्कि रेगिस्तान में जलवायु और जल प्रबंधन में भी सुधार ला रही है। किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए खजूर की खेती अब लाभकारी व्यवसाय बन चुका है।
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