दस करोड़ की लागत से यहां बना राजस्थान का पहला स्नेक पार्क, अमेरिका-ऑस्ट्रेलिया के दुर्लभ सांपों के होंगे दर्शन

कोटा में 10 करोड़ रुपए की लागत से राजस्थान का पहला स्नेक पार्क बनकर तैयार है, जिसमें कई प्रकार के भारतीय, अमरीकन, और ऑस्ट्रेलियन सांपों को देखा जा सकेगा। इस पार्क में मेडिकल व रेपटाइल साइंस स्टूडेंटस सांपों के विष व एंटी पाॅइजन दवाओं पर रिसर्च भी करेंगे।

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Sanjay Dhiman
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snek park in rajasthan

Photograph: (the sootr)

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राजस्थान की एजूकेशन केपिटल कोटा में प्रदेश का पहला स्नेक पार्क बनकर तैयार हो गया है। अब यहां देश के साथ ही विदेशों से अलग-अलग प्रजाति के सांपों को लाने की तैयारी की जा रही है। इस पार्क का निर्माण कोटा विकास प्राधिकरण द्वारा दस करोड़ की लागत से किया गया है।

इस पार्क का उपयोग न केवल पर्यटन को बढ़ावा देने, सर्प संरक्षण के लिए किया जाएगा बल्कि यहां देश-विदेश के सर्प विशेषज्ञ सांपों व इनके जहर पर कई प्रकार के प्रयोग भी यहां करेंगे। इस पार्क की जल्द ही शुभारंभ की तैयारियां चल रही है।

9290 वर्ग फीट में 29 चैंबर वाला होगा स्नेक पार्क 

प्रदेश के पहले स्नेक पार्क का निर्माण जुलाई 2021 में शुरु हुआ था, जो अब लगभग पूरा हो चुका है। दो मंजिला इस भवन में ग्राउंड फ्लोर 9290 वर्ग फीट और प्रथम तल 6703 वर्गफीट निर्माण किया गया है। इस पार्क में सांपों के लिए 29 चैंबर बनाए गए है, इस चैंबरों में सर्पों को उनकी ब्रीड के अनुसार रखा जाएगा।

यहां सर्प अपने प्राकृतिक वातावरण रह सकेंगे। इस पार्क में मेडिकल यूनिट भी बनाई जा रही है, जहां सर्पों के लिए विशेष चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध रहेगी। इसके अलावा स्नेक पाॅइजन, एंटी पाॅइजन पर रिसर्च करने के लिए लैब की सुविधा भी पार्क में दी जाएगी। 

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राजस्थान के पहले स्नेक पार्क से जुड़ी जानकारियां

  • स्थान: बूंदी रोड, कोटा, राजस्थान

  • लागत: 10 करोड़ रुपए

  • निर्माण की तिथि: जुलाई 2021 में शुरू हुआ निर्माण कार्य

  • सर्प प्रजातियाँ: भारतीय, अमरीकन, ऑस्ट्रेलियन सर्प

  • मुख्य आकर्षण: 29 चैंबर, रेस्क्यू सेंटर, मेडिकल यूनिट

 

पार्क में रखे दिखाई देंगे अमेरिका-आस्ट्रेलिया के सांप 

इस स्नेक पार्क में भारतीय सांपों के साथ ही पर्यटकों के लिए अमेरिका, आस्ट्रेलिया व ब्राजील में पाए जाने वाले अलग-अलग किस्मों के सांप रखे जाएंगे।

इसमें प्रमुख रूप से भारतीय कोबरा, रसल्स वाइपर, काॅमन इंडियर करैत जैसे विषैले सांपों के साथ ही नाॅन पाॅइजन स्नेक जिनमें इंडियन पाॅयथन, रेट स्नेक और बोंज बेक कील स्नेक भी देखे जा सकेंगे। इस पार्क में सरीसृप विज्ञान (Reptilian Science) के अध्ययन के लिए भी प्रयोगशाला का निर्माण किया जा रहा है। 

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राष्ट्रीय स्तर का बनेगा शोध संस्थान

इस स्नेक पार्क (Snake Park) के विकास में कोटा विश्वविद्यालय के जीव विज्ञान विभाग का सहयोग भी रहा है। विश्वविद्यालय इस पार्क में राष्ट्रीय स्तर का शोध संस्थान को विकसित कर रहा है। कोटा विश्व विद्यालय के रेप्टिलियन सांइस कोआर्डिनेटर विनीता महोबिया ने बताया कि यह पार्क सांपों पर प्रयोग के लिए देशभर का अनोखा संस्थान होगा।

यहां न केवल सांपों के संरक्षण पर जोर दिया जाएगा, बल्कि उनकी बीमारियों, उनके जहर का असर, जहर से बचाव के लिए दवाईयों का विकास जैसे विषयों पर शोध किए जाएंगे। 

क्या है इस पार्क का उद्देश्य?

  1. सर्पों के संरक्षण में मदद: इस पार्क का सबसे बड़ा उद्देश्य सांपों के संरक्षण में मदद करना है। यहां पर भारत और विदेशों से आए सांपों की प्रजातियों को संरक्षित किया जाएगा।

  2. शोध और अध्ययन का अवसर: यहां पर शोधार्थी सर्पों की प्रकृति, उनके विष, और अन्य जड़ी-बूटियों पर अध्ययन कर सकेंगे।

  3. सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना: स्नेक पार्क का एक उद्देश्य लोगों में सर्पों के प्रति डर को कम करना और उनके महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना भी है।

भारत में पाए जाने वाले प्रमुख सांप और उनकी विशेषताएं

जहरीले सांप:

भारतीय कोबरा:
यह भारत में सबसे आम जहरीले सांपों में से एक है। यह आमतौर पर काले या भूरे रंग का होता है और इसका फन फैलाकर हमला करने का तरीका प्रसिद्ध है।
करैत:
यह भी एक बहुत जहरीला सांप है, जो अक्सर घरों में पाया जाता है। यह आमतौर पर काला या नीला होता है और इसके शरीर पर सफेद धारियां होती हैं।
रसेल वाइपर:
यह एक भारी शरीर वाला सांप है जो भारत में पाया जाता है। इसका जहर खून को प्रभावित करता है।
सॉ-स्केल्ड वाइपर:
यह एक छोटा, लेकिन बहुत जहरीला सांप है जो भारत के शुष्क क्षेत्रों में पाया जाता है। 

गैर-जहरीले सांप:

धामन:
यह एक लंबा, पतला सांप है जो आमतौर पर पेड़ों और झाड़ियों में पाया जाता है। यह बहुत फुर्तीला होता है और शिकार को पकड़ने के लिए पेड़ों पर चढ़ सकता है।
रैटल स्नेक:
यह सांप अपनी पूंछ के अंत में एक झुनझुनी पैदा करता है, जो खतरे का संकेत देती है। 

जैव विविधता (Biodiversity)

सांपों से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारी:

भारत में लगभग 272 विभिन्न प्रकार के सांप पाए जाते हैं। 
इनमें से केवल 10-15% ही जहरीले होते हैं। 
सबसे लंबा सांप रेटिकुलेटेड पाइथन है, जो 25 फीट तक लंबा हो सकता है। 
सबसे छोटा सांप ब्राह्मणी ब्लाइंड स्नेक है, जिसकी औसत लंबाई 10 सेमी होती है। 

सांपों से बचने के उपाय:

सांपों से दूर रहें।
यदि आप किसी सांप को देखते हैं, तो उसे परेशान न करें और उसे अपना रास्ता बदलने दें।
यदि आपको सांप ने काट लिया है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें।  

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