जली रोटियां खाने और ठंडे पानी से नहाने को मजबूर छात्राएं, कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर वार्डन के खिलाफ जताया गुस्सा

राजस्थान के बांसवाड़ा के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका हॉस्टल की छात्राओं ने घटिया भोजन और प्रशासन के खिलाफ कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। वार्डन पर भी लगाए गंभीर आरोप। छात्राओं ने जली हुई रोटियां और पोहे लेकर किया प्रदर्शन।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Banswara. राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका हॉस्टल की छात्राओं ने बुधवार को कलेक्ट्रेट परिसर में विरोध प्रदर्शन किया। छात्राओं का आरोप था कि उन्हें घटिया क्वालिटी का भोजन दिया जा रहा है और हॉस्टल प्रशासन की ओर से उनकी शिकायतों का कोई समाधान नहीं किया जा रहा। इस दौरान छात्राओं ने जली हुई रोटियां और पोहे लेकर प्रदर्शन किया और हॉस्टल वार्डन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

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घटिया भोजन की शिकायत

बांसवाड़ा के कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका हॉस्टल की छात्राओं ने हॉस्टल प्रशासन के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि उन्हें तय मेन्यू के अनुसार भोजन नहीं मिल रहा है और लगातार घटिया गुणवत्ता का खाना दिया जा रहा है। छात्राओं ने बताया कि वे पिछले 20 दिनों से केवल पोहे ही खा रही हैं और जली हुई रोटियों को खाने के लिए मजबूर हैं।

जली हुई रोटियां और पोहे दिखा कर प्रदर्शन

गुस्साई छात्राएं कलेक्ट्रेट परिसर में हाथों में जली हुई रोटियां और पोहे लेकर पहुंची। उन्होंने हॉस्टल प्रशासन के खिलाफ नारे लगाए और आरोप लगाया कि उन्हें न तो ताजे और अच्छे खाने का विकल्प मिलता है, ना ही उनके स्वास्थ्य के प्रति किसी प्रकार की चिंता की जाती है। इसके अलावा छात्राओं ने वार्डन ममता सोलंकी पर कई गंभीर आरोप लगाए और उनकी बर्खास्तगी की मांग की।

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हॉस्टल प्रशासन और वार्डन पर गंभीर आरोप

छात्राओं ने कहा कि उन्हें न केवल घटिया खाना दिया जाता है, बल्कि वे खुद ही खाना बनाने के लिए मजबूर हैं। हॉस्टल के अंदर पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं और उन्हें खुद ही खाना तैयार करना पड़ता है। इसके अलावा छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि वार्डन ममता सोलंकी उन्हें कोचिंग जाने से भी रोकती हैं।

ठंड में बुरा हाल

छात्राओं ने बताया कि सर्दियों के मौसम में उन्हें बहुत परेशानी हो रही है। हॉस्टल में गर्म पानी की कोई सुविधा नहीं है, जिसके कारण उन्हें ठंडे पानी से नहाना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें सर्दी से बचने के लिए कोई स्वेटर या गर्म कपड़े भी नहीं दिए गए हैं। छात्राओं ने कहा कि उन्हें रात के समय काफी ठंड का सामना करना पड़ता है, जो उनकी पढ़ाई में भी रुकावट डालता है।

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छुट्टियों का दबाव और पढ़ाई में दिक्कतें

छात्राओं ने यह भी आरोप लगाया कि वार्डन उन्हें 2-3 दिन की छुट्टियों पर घर भेज देती हैं, खासकर जब उनकी परीक्षाएं नजदीक होती हैं। छात्राओं ने कहा कि वे हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने के लिए मुश्किल महसूस करती हैं। इस कारण उनका मन पढ़ाई में नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में उनका ध्यान अपनी पढ़ाई पर केंद्रित करना मुश्किल हो रहा है।

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समस्याओं को लेकर प्रशासन की चुप्पी

यह पूरा मामला प्रशासन की चुप्पी और हॉस्टल के अंदर छात्राओं की समस्याओं को लेकर जवाबदेही की कमी को उजागर करता है। हॉस्टल प्रशासन की तरफ से छात्राओं की समस्याओं का समाधान करने के बजाय उनकी परेशानियों को नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे छात्राओं का गुस्सा फूट पड़ा है।

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मुख्य बिंदु

  • छात्राओं को घटिया भोजन मिल रहा है, जिसमें जली हुई रोटियां और पोहे शामिल हैं। हॉस्टल में गर्म पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और छात्राओं को सर्दी में ठंडे पानी से नहाना पड़ता है। वे खुद ही खाना बनाने के लिए भी मजबूर हैं।
  • छात्राओं ने आरोप लगाया कि वार्डन ममता सोलंकी उन्हें कोचिंग जाने से रोकती हैं। इसके अलावा वार्डन के द्वारा उन्हें घर भेजने का दबाव डाला जाता है और हॉस्टल में रहने की कोई पर्याप्त सुविधा नहीं है। जली रोटियां खाने और ठंडे पानी से नहाने को मजबूर छात्राएं।
  • छात्राओं ने प्रदर्शन में घटिया भोजन, जली हुई रोटियां, ठंडे पानी से नहाने की समस्या और हॉस्टल में सुविधाओं की कमी के खिलाफ नारे लगाए। उन्होंने अपनी समस्याओं को प्रशासन के सामने रखा और वार्डन की बर्खास्तगी की मांग की।
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