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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान सरकार पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। सितंबर, 2025 तक राज्य सरकार पर 6 लाख 76 हजार 513.55 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। वहीं अगले साल मार्च तक यह आंकड़ा बढ़कर 7.26 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है। यह स्थिति चिंताजनक है, क्योंकि एक ओर सरकार का कर्ज बढ़ रहा है, वहीं केंद्र से मिलने वाली सहायता में कमी आई है। कहा जा रहा है कि हर राजस्थानी पर 1 लाख रुपए का कर्ज है।
केंद्रीय सहायता में भारी गिरावट
एफआरबीएम रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाली सहायता में भी कमी आई है। 2024 में अप्रैल से सितंबर के बीच राज्य को केंद्र से 9,295.64 करोड़ रुपए की यूनियन ग्रांट प्राप्त हुई थी, जो इस साल सिर्फ 5,883.86 करोड़ रुपए रही। इस प्रकार केंद्र से मिलने वाली सहायता में 3,411.78 करोड़ रुपए की कमी आई है।
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नौकरियों में कमी, निवेश में वृद्धि
राजस्थान में एमएसएमई सेक्टर में निवेश बढ़ा है, लेकिन इसके बावजूद रोजगार में गिरावट आई है। एमएसएमई में 32.44 प्रतिशत का निवेश वृद्धि देखने को मिली, लेकिन रोजगार में केवल 2% का मामूली इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इस साल 8000 नौकरियां कम हो गईं, जिससे युवाओं के लिए रोजगार की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं।
पेट्रोलियम से कम राजस्व
सरकार को पेट्रोलियम से मिलने वाला राजस्व भी घटा है। इस साल अप्रैल से सितंबर तक सरकार को 1,056.53 करोड़ रुपए का पेट्रोलियम राजस्व प्राप्त हुआ, जबकि 2024 में इसी अवधि में 1,483.71 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था। इस प्रकार पेट्रोलियम राजस्व में 28.79% की गिरावट आई है, जो राज्य के लिए एक और आर्थिक चुनौती है।
भू-राजस्व और शराब से कमाई
हालांकि सरकार को कर्ज के बोझ के बावजूद कुछ क्षेत्रों में शानदार कमाई हुई है। भू-राजस्व से इस वर्ष सरकार को 552.39 करोड़ मिले, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा केवल 198 करोड़ रुपए था। इसी तरह शराब से इस साल सरकार को 7,587 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है, जो पिछले साल की तुलना में 5.3 प्रतिशत अधिक है।
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कर्ज के बोझ तले दबी भजन सरकार
कर्ज का बोझ : 6.76 लाख करोड़ रुपए का कर्ज।
केंद्रीय सहायता में कमी : 3,411.78 करोड़ रुपए की कमी।
एमएसएमई में निवेश : 32.44 प्रतिशत का निवेश बढ़ा।
पेट्रोलियम राजस्व : 28.79% की कमी।
भू-राजस्व : 552.39 करोड़ रुपए की कमाई।
शराब राजस्व : 5.3% अधिक कमाई।
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मुख्य बिंदु
- राजस्थान सरकार पर सितंबर, 2025 तक 6.76 लाख करोड़ रुपए का कर्ज था, जो अगले साल मार्च तक 7.26 लाख करोड़ तक बढ़ सकता है।
- वहीं केंद्रीय सहायता में 3,411.78 करोड़ रुपए की कमी आई है, जो सरकार की आर्थिक स्थिति पर असर डाल रही है।
- एमएसएमई में निवेश में 32.44% की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन रोजगार में कमी आई है, जिससे 8000 नौकरियां घट गईं।
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