पंचायत राज भर्ती : कोर्ट ने 12 साल पुराने मामले में चयन बोर्ड के चेयरमैन आलोक राज को किया तलब

राजस्थान हाई कोर्ट ने पंचायत राज भर्ती 2013 से जुड़े विवाद में राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज को सोमवार यानी कि आज पेश होने का आदेश दिया। मामला 12 साल पुराना बताया जा रहा है।

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Amit Baijnath Garg
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान में पंचायत राज भर्ती 2013 का मामला आज भी राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित है। इस मामले में राजस्थान सरकार और कर्मचारी बोर्ड के बीच विवाद बढ़ता ही जा रहा है।

2013 में पंचायती राज विभाग ने एलडीसी (लोअर डिवीजन क्लर्क) के 19,275 पदों पर भर्ती निकाली थी। इसमें से करीब 7,755 पदों पर नियुक्तियां भी दी गईं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में बोनस अंक के विवाद के कारण यह प्रक्रिया रोक दी गई। अब इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हो रही है।

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हाई कोर्ट ने आलोक को तलब किया

हाई कोर्ट ने इस मामले में कर्मचारी बोर्ड के चेयरमैन मेजर जनरल आलोक राज को आज यानी 8 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश दिया है। जस्टिस अशोक कुमार जैन की एकल पीठ ने यह आदेश दिया। पहले 6 दिसंबर को आलोक राज को पेश होने के लिए कहा गया था, लेकिन उनके वकील की प्रार्थना पर सुनवाई की तारीख को बढ़ा दिया गया। अब 8 दिसंबर को कोर्ट में उनकी पेशी तय हुई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने सुलझाया था विवाद

यह विवाद 2016 में सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था। 29 नवंबर, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने बोनस अंक के विवाद को सुलझाया और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह भर्ती प्रक्रिया को जल्द पूरा करे। इसके बाद राज्य सरकार ने शेष पदों पर भर्ती देने के लिए हाई कोर्ट में सहमति दी, लेकिन इस आदेश का पालन नहीं हुआ।

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शेष पदों पर भर्ती को लेकर सरकार की स्थिति

2017 में सरकार ने हाई कोर्ट में शेष 10,029 पदों पर नियुक्तियां देने की सहमति दी, लेकिन इसके बाद भी नियुक्तियां नहीं दी गईं। जब अभ्यर्थियों ने इस पर आपत्ति जताई, तो सरकार ने हाई कोर्ट में बताया कि नए पदों पर भर्ती हो चुकी है और करीब 4,000 पद प्रमोशन और डायरेक्ट भर्ती के जरिए भर दिए गए हैं। इस स्थिति में सरकार ने कहा कि वह अब केवल 392 पदों पर ही नियुक्ति कर सकती है।

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मामले में लगातार विवाद और अनिश्चितता

सरकार की ओर से नियुक्तियों की प्रक्रिया में अनिश्चितता बनी हुई है और यह मामला हाई कोर्ट में कई सालों से लंबित है। सरकार और अभ्यर्थियों के बीच इस मुद्दे को लेकर अब भी विवाद जारी है। अब देखना यह है कि हाई कोर्ट इस मामले में कब तक कोई निर्णायक कदम उठाएगा।

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मुख्य बिंदु

2013 में शुरू हुआ मामला : 19,275 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया।
बोनस अंक विवाद : भर्ती प्रक्रिया में रुकावट।
2016 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला : बोनस अंक विवाद सुलझाया गया।
सरकार की स्थिति : 392 पदों पर नियुक्ति देने की सहमति।
हाई कोर्ट में लंबित मामला : नियुक्तियों को लेकर विवाद जारी।

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