राजस्थान हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा : ब्लूटूथ से नकल कर बने कर्मचारी, अब आए SOG के शिकंजे में

राजस्थान हाईकोर्ट की एलडीसी परीक्षा में ब्लूटूथ नकल केस में दो कर्मचारियों को SOG ने गिरफ्तार किया। दोनों मजे से कर रहे थे नौकरी। TheSootr में जानें पूरा मामला।

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Nitin Kumar Bhal
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राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) एलडीसी परीक्षा-2022 (LDC Exam-2022) में ब्लूटूथ के जरिए नकल करने के मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। राजस्थान पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (Special Operation Group - SOG Rajasthan) ने दो ऐसे कर्मचारियों को गिरफ्तार किया, जो परीक्षा पास कर विभिन्न अदालतों में नियुक्त थे। यह गिरफ्तारी छह महीने से फरार चल रहे आरोपी सुनील बिश्नोई (Sunil Bishnoi) और रामप्रकाश जाट (Ramprakash Jat) की हुई है।

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गिरफ्तार आरोपी सुनील बिश्नोई और रामप्रकाश जाट Photograph: (TheSootr)

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एसओजी ने इन्हें किया गिरफ्तार

  • सुनील बिश्नोई: हनुमानगढ़ (Hanumangarh) के रावतसर (Rawatsar) निवासी। जिला एवं सत्र न्यायालय हनुमानगढ़ में कार्यरत।

  • रामप्रकाश जाट: नागौर (Nagaur) के कुचेरा स्थित निम्बड़ी चान्दावता निवासी। उदयपुर (Udaipur) की पोक्सो कोर्ट क्रमांक एक (POCSO Court No.1) में पदस्थ।

दोनों आरोपी हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा (High Court LDC Exam) में नकल के जरिए चयनित हुए थे।

ब्लूटूथ से नकर कर की परीक्षा पास

जांच में सामने आया कि रामप्रकाश ने 19 मार्च 2023 को नागौर के श्रीविजयन डी. सुरी जैन विद्यापीठ सीनियर सेकेंडरी स्कूल में परीक्षा दी। वहीं, सुनील बिश्नोई ने 12 मार्च 2023 को हनुमानगढ़ के नेहरू मेमोरियल चिल्ड्रन सीनियर सेकेंडरी स्कूल में राजस्थान हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा 2022 दी।

दोनों ने ब्लूटूथ के माध्यम (Through Bluetooth) से नकल करवाने वाले गिरोह के सरगना पोरव कालेर की मदद ली। पोरव सालासर में रहकर विभिन्न परीक्षा केंद्रों में बैठे परीक्षार्थियों को नकल करवा रहा था।

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SOG की कार्रवाई और गिरफ्तारी

राजस्थान पुलिस के ADG IPS वी.के. सिंह (ADG IPS V.K. Singh) ने बताया कि अब तक इस मामले में 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसमें नकल कर नौकरी पाने वाले 9 अन्य कर्मचारी और गिरोह का सरगना शामिल हैं।

SOG की सक्रियता और जांच ने यह स्पष्ट किया कि उच्च पदों पर नियुक्त ये कर्मचारी ब्लूटूथ का इस्तेमाल कर नियुक्त हुए थे।

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राजस्थान में नकल के आरोपी कैसे पकड़ में आए?

  • पुलिस ने तकनीकी और फील्ड जांच दोनों के माध्यम से आरोपियों की लोकेशन ट्रैक की।

  • बायोमैट्रिक डेटा और सरकारी रिकॉर्ड मिलान के जरिए उन्हें चिन्हित किया गया।

  • छह माह से फरार चल रहे आरोपी को पकड़ने में SOG टीम को विशेष प्रयास करने पड़े।

नकल गिरोह का modus operandi क्या है

पुलिस ने बताया कि पोरव कालेर के पास ब्लूटूथ डिवाइस थे, जिन्हें परीक्षार्थियों के कान में फिट किया जाता था। यह डिवाइस सीधे उसे जुड़कर सवालों के उत्तर प्राप्त करता था।

  • गिरोह विभिन्न शहरों के परीक्षा केंद्रों में सक्रिय था।

  • पोरव कालेर ने अपने नेटवर्क के जरिए कम से कम 9 कर्मचारियों को नौकरी दिलवाई।

  • पुलिस के अनुसार, पूरे राज्य में ब्लूटूथ नकल गिरोह का नेटवर्क पहले से सक्रिय था।

भर्ती परीक्षाओं में नकल कैसे रोकी जा सकती है

  • बायोमैट्रिक सत्यापन (Biometric Verification): प्रत्येक परीक्षार्थी को सख्त पहचान प्रक्रिया से गुजरना होगा।

  • फेस स्कैनिंग (Face Scanning): परीक्षा केंद्र में उपस्थित सभी उम्मीदवारों का फेस स्कैन किया जाएगा।

  • तकनीकी निगरानी (Technical Surveillance): ब्लूटूथ और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की जांच की जाएगी।

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FAQ

1. राजस्थान हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा में नकल कैसे हुई?
दोनों आरोपी ब्लूटूथ (Bluetooth) का इस्तेमाल करके परीक्षा में उत्तर प्राप्त कर नियुक्त हुए थे।
2. राजस्थान हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा में नकल के गिरफ्तार आरोपी कौन हैं और कहां कार्यरत थे?
सुनील बिश्नोई - जिला एवं सत्र न्यायालय हनुमानगढ़, रामप्रकाश जाट - उदयपुर पोक्सो कोर्ट क्रमांक 1।
3. राजस्थान हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा में नकल गिरोह का सरगना कौन था और कैसे काम करता था?
गिरोह का सरगना पोरव कालेर (Porav Kaler) था। वह सालासर में रहकर परीक्षा केंद्रों में नकल करवाता था।
4. राजस्थान की परीक्षाओं में भविष्य में नकल रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
बायोमैट्रिक सत्यापन, फेस स्कैनिंग और तकनीकी निगरानी (Technical Surveillance) लागू की गई हैं।
5. राजस्थान हाईकोर्ट एलडीसी परीक्षा में नकल मामले में अब तक कितने आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं?
इस मामले में 11 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, जिनमें 9 कर्मचारियों और गिरोह का सरगना शामिल हैं।

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