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Photograph: (the sootr)
राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महिला की शादी को शून्य घोषित कर दिया है। महिला सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक मानसिक बीमारी (Mental Illness) से पीड़ित थी और उसकी बीमारी की जानकारी विवाह से पहले उसके पति और परिवार से छुपाई गई थी। कोर्ट ने इसे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(ब) के तहत धोखाधड़ी का मामला मानते हुए यह निर्णय लिया।
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क्या है सिजोफ्रेनिया?
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है, जो अस्थायी मानसिक अवसाद से कहीं अधिक जटिल होता है। यह विकार व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने से रोक सकता है और खासकर वैवाहिक जीवन में बड़ी कठिनाइयां पैदा कर सकता है। कोर्ट ने इसे गंभीर मनोवैज्ञानिक विकार माना, जो शादी के पहले छुपाना गलत था।
विवाह से पहले बीमारी छिपाना धोखाधड़ी
इस मामले में याचिका दायर करने वाले पति ने अदालत को बताया कि उनकी शादी 2013 में हुई थी, लेकिन शादी के बाद उनकी पत्नी का व्यवहार असामान्य था। जब उन्होंने अपनी पत्नी के सामान में एक मनोचिकित्सक की पर्ची पाई, जिसमें सिजोफ्रेनिया का इलाज चलने का उल्लेख था, तो पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पत्नी की मानसिक बीमारी के कारण उनके बीच शारीरिक संबंध नहीं बन सके।
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पत्नी ने दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया
पत्नी ने अदालत में यह दावा किया कि वह सिजोफ्रेनिया से पीड़ित नहीं है, बल्कि वह शादी के कुछ दिन पहले अपनी मां और बहन की दुर्घटना से हुए मानसिक दबाव के कारण डिप्रेशन में थी। इसके बावजूद फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच हुई शादी को शून्य घोषित कर दिया।
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विवाह विच्छेद और शून्य विवाह में अंतर
विवाह विच्छेद (Divorce) और शून्य विवाह के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। विवाह विच्छेद में माना जाता है कि विवाह वैध था, लेकिन अब उसे समाप्त किया गया है। इसके बाद भी भरण-पोषण और अन्य वैवाहिक अधिकार जारी रहते हैं। वहीं शून्य विवाह में यह माना जाता है कि विवाह कभी हुआ ही नहीं था, जिससे भरण-पोषण का दायित्व समाप्त हो जाता है।
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न्यायालय का निर्णय और इसके प्रभाव
राजस्थान हाई कोर्ट का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि किसी भी विवाह में पारदर्शिता और सच्चाई बहुत महत्वपूर्ण है। जब एक पक्ष विवाह से पहले अपने मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में झूठ बोलता है, तो इसे धोखाधड़ी माना जाता है और इसे कानूनी रूप से शून्य घोषित किया जा सकता है।
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