सिजोफ्रेनिया से पीड़ित महिला की शादी 12 साल बाद शून्य घोषित, एक बार भी नहीं बने शारीरिक संबंध
राजस्थान हाई कोर्ट ने सिजोफ्रेनिया से पीड़ित महिला की शादी को 12 साल बाद शून्य घोषित कर दिया। कोर्ट ने बीमारी छिपाने को धोखाधड़ी माना। वहीं पति ने कहा कि कभी भी शारीरिक संबंध नहीं बने।
राजस्थान हाई कोर्ट ने एक महिला की शादी को शून्य घोषित कर दिया है। महिला सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) नामक मानसिक बीमारी (Mental Illness) से पीड़ित थी और उसकी बीमारी की जानकारी विवाह से पहले उसके पति और परिवार से छुपाई गई थी। कोर्ट ने इसे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 12(1)(ब) के तहत धोखाधड़ी का मामला मानते हुए यह निर्णय लिया।
सिजोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक विकार है, जो अस्थायी मानसिक अवसाद से कहीं अधिक जटिल होता है। यह विकार व्यक्ति को सामान्य जीवन जीने से रोक सकता है और खासकर वैवाहिक जीवन में बड़ी कठिनाइयां पैदा कर सकता है। कोर्ट ने इसे गंभीर मनोवैज्ञानिक विकार माना, जो शादी के पहले छुपाना गलत था।
विवाह से पहले बीमारी छिपाना धोखाधड़ी
इस मामले में याचिका दायर करने वाले पति ने अदालत को बताया कि उनकी शादी 2013 में हुई थी, लेकिन शादी के बाद उनकी पत्नी का व्यवहार असामान्य था। जब उन्होंने अपनी पत्नी के सामान में एक मनोचिकित्सक की पर्ची पाई, जिसमें सिजोफ्रेनिया का इलाज चलने का उल्लेख था, तो पति ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि पत्नी की मानसिक बीमारी के कारण उनके बीच शारीरिक संबंध नहीं बन सके।
पत्नी ने अदालत में यह दावा किया कि वह सिजोफ्रेनिया से पीड़ित नहीं है, बल्कि वह शादी के कुछ दिन पहले अपनी मां और बहन की दुर्घटना से हुए मानसिक दबाव के कारण डिप्रेशन में थी। इसके बावजूद फैमिली कोर्ट ने पति की याचिका को खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच हुई शादी को शून्य घोषित कर दिया।
विवाह विच्छेद (Divorce) और शून्य विवाह के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर है। विवाह विच्छेद में माना जाता है कि विवाह वैध था, लेकिन अब उसे समाप्त किया गया है। इसके बाद भी भरण-पोषण और अन्य वैवाहिक अधिकार जारी रहते हैं। वहीं शून्य विवाह में यह माना जाता है कि विवाह कभी हुआ ही नहीं था, जिससे भरण-पोषण का दायित्व समाप्त हो जाता है।
राजस्थान हाई कोर्ट का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि किसी भी विवाह में पारदर्शिता और सच्चाई बहुत महत्वपूर्ण है। जब एक पक्ष विवाह से पहले अपने मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य के बारे में झूठ बोलता है, तो इसे धोखाधड़ी माना जाता है और इसे कानूनी रूप से शून्य घोषित किया जा सकता है।
FAQ
1. क्या सिजोफ्रेनिया के कारण विवाह को शून्य घोषित किया जा सकता है?
हां, यदि विवाह से पहले किसी मानसिक बीमारी की जानकारी छुपाई जाती है और यह शादी को प्रभावित करती है, तो इसे धोखाधड़ी मानते हुए शादी को शून्य घोषित किया जा सकता है।
2. शून्य विवाह और तलाक में क्या अंतर है?
शून्य विवाह में यह माना जाता है कि विवाह कभी हुआ ही नहीं था, जबकि तलाक में विवाह वैध होता है, लेकिन उसे समाप्त कर दिया जाता है।
3. इस केस का प्रभाव अन्य विवाहों पर क्या पड़ेगा?
यह निर्णय यह स्पष्ट करता है कि किसी भी मानसिक बीमारी या शारीरिक विकार को विवाह से पहले छुपाना धोखाधड़ी हो सकता है, और ऐसी स्थिति में विवाह को शून्य घोषित किया जा सकता है।