राजस्थान हाई कोर्ट सख्त : स्कूलों में रंग-रोगन ही करवाते रहोगे या ढांचागत सुधार के मूल मुद्दे पर भी काम करोगे!

राजस्थान हाई कोर्ट ने स्कूल बिल्डिंगों के सुधार के लिए प्लान पेश नहीं करने पर जताई गहरी नाराजगी। कोर्ट ने शुक्रवार को प्लान पेश करने अन्यथा शिक्षा सचिव को पेश होने के दिए निर्देश। कोर्ट ने राजस्थान सरकार को गंभीरता से काम करने को कहा।

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Mukesh Sharma
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Photograph: (the sootr)

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Jaipur. राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य के स्कूलों की बिल्डिंगों को सुरक्षित बनाने के लिए राजस्थान सरकार की ओर से प्लान पेश करने में हील-हवाला करने पर नाराजगी जताई है। सरकार की ओर से प्लान पेश करने के लिए समय मांगने पर जस्टिस महेंद्र गोयल व जस्टिस अशोक जैन की बेंच ने मौखिक रूप से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद को कहा कि सरकार ने चार महीने में भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। 

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क्या काम हुआ, वह बताओ

कोर्ट ने कहा कि प्लान और रिपोर्ट पेश करने के ​लिए सरकार के बार-बार समय लेने से गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। तल्ख अंदाज में बेंच ने कहा कि रंग-रोगन ही करवाते रहोगे, जबकि मूल मुद्दा स्कूल बिल्डिंगों को सुरक्षात्मक बनाने का है और इस पर क्या काम हो रहा है, वह बताओ। 

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यह कैसी गंभीरता है?

नाराज कोर्ट ने कहा कि पिछली सुनवाई पर भी सरकार की ओर से कोई नहीं आया था। इससे सरकारी गंभीरता का अंदाजा लगता है। चीफ जस्टिस ने स्पेशल बेंच बनाई है, तो मामले में कोई तो गंभीरता होगी। कोर्ट ने सरकार को शुक्रवार तक प्लान पेश करने अन्यथा शिक्षा सचिव को हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। 

यह है पूरा मामला

बीते जुलाई महीने झालावाड़ जिले में स्कूल बिल्डिंग गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई थी और 21 बच्चे घायल हुए थे। राजस्थान हाई कोर्ट की दो सिंगल बेंच ने मामले में स्व:प्रेरणा से प्रसंज्ञान लिया था। चीफ जस्टिस ने इन मामलों की सुनवाई के लिए ​जस्टिस महेंद्र गोयल और जस्टिस अशोक जैन की स्पेशल बेंच गठित की है। 

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बातें 2047 की, प्लानिंग कल की नहीं

पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने सरकारी स्कूलों की बिल्डिगं को ठीक करने के लिए सरकार के रोडमैप को अधूरा बताते हुए लौटा दिया था। कोर्ट ने सरकारी रवैए पर नाराजगी जताते हुए मौखिक तौर पर कहा था कि सरकार 2047 के विजन की बात करती है, लेकिन स्कूलों के लिए कल की ही प्लानिंग नहीं है। 

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बजट की जानकारी पेश करो

बजट में स्कूल और कॉलेज खोलने की घोषणाएं होती हैं, जबकि जहां वास्तव में आवश्यकता हो, वहीं स्कूल और कॉलेज खुलने चाहिए। सरकार को चुनावी वादों के हिसाब से नहीं, बल्कि धरातल पर काम करना चाहिए। कोर्ट ने सरकार को अलग-अलग जर्जर, मरम्मत किए गए और नई स्कूल बिल्डिंगों के लिए आवंटित बजट की जानकारी भी पेश करने को कहा है। 

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गाइडलाइन के अनुरूप है या नहीं?

कोर्ट ने कहा ​था कि राज्य के स्कूलों में करीब 86 हजार कमरे जर्जर हालत में हैं। सरकार को प्लान में बताना है कि इन कमरों की रिपेयरिंग कैसे होगी। सरकार को यह भी बताना है कि स्कूल बिल्डिंग्स का इंफ्रास्ट्रक्चर नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट गाइडलाइन फॉर स्कूल सेफ्टी 2016 की गाइडलाइन के अनुरूप है या नहीं। कोर्ट ने सरकार को पूरी जानकारी गंभीर होकर देने के लिए कहा है।

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