राजस्थान हाईकोर्ट का अहम फैसला, प्लेसमेंट एजेंसी से नियुक्त कर्मचारियों को भी मिलेंगे लाभ, जानें पूरा मामला

राजस्थान हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी से नियुक्त कर्मचारियों को राहत दी। कोर्ट ने 2022 के नियमों का लाभ देने का आदेश दिया, जिसमें कर्मचारियों के प्रत्येक मामले की व्यक्तिगत जांच के आदेश दिए गए हैं।

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Nitin Kumar Bhal
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Photograph: (The Sootr)

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राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को राहत दी है। कोर्ट ने राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट्स रूल्स 2022 (Rajasthan Contractual Hiring to Civil Posts Rules 2022) का लाभ देने का आदेश दिया। कोर्ट का यह फैसला उन कर्मचारियों के लिए है जो महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत डेटा एंट्री ऑपरेटर और कंप्यूटर ऑपरेटर के पदों पर नियुक्त हुए थे।

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राजस्थान के संविदाकर्मियों को मिलेगी राहत

कोर्ट ने यह फैसला जस्टिस मुन्नुरी लक्ष्मण और जस्टिस बिपिन गुप्ता की खंडपीठ ने दिया। इस फैसले में उन्होंने निर्देश दिया कि प्रत्येक कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारी के मामले की व्यक्तिगत जांच की जाए। अदालत ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि कोई कर्मचारी 2022 के नियमों की शर्तों को पूरा करता है, तो उसे इसका लाभ दिया जाएगा, चाहे वह सीधे सरकार द्वारा नियुक्त हुआ हो या प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से।

राजस्थान हाईकोर्ट ने मंगलौर गणेश बीड़ी वर्क्स बनाम भारत संघ (Mangalore Ganesh Beedi Works vs Union of India) के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि यदि कर्मचारी की नियुक्ति ठेकेदार के माध्यम से हुई हो, तब भी मुख्य नियोक्ता पर उसके कल्याण की जिम्मेदारी डाली जा सकती है। कोर्ट ने इसे ध्यान में रखते हुए यह भी कहा कि 2022 के नियम कल्याणकारी कानून हैं, जिनका उद्देश्य कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना है।

राज्य सरकार की दलील और कोर्ट की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार का तर्क था कि केवल सीधे सरकारी विज्ञापन के जरिए नियुक्त कर्मचारियों को ही 2022 के नियमों का लाभ मिलेगा, जबकि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को इससे बाहर रखा जाएगा। हालांकि, कोर्ट ने सरकार की इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि इन दोनों प्रकार के नियुक्त कर्मचारियों में कोई अंतर नहीं किया जा सकता।

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22 जिलों से कुल 296 याचिकाकर्ता

यह मामला मुख्य रूप से मनरेगा के तहत डेटा एंट्री ऑपरेटर और कंप्यूटर ऑपरेटर के पदों पर नियुक्त कर्मचारियों से संबंधित था। इनमें से 19 याचिकाओं पर यह फैसला दिया गया, जिसमें 22 जिलों से कुल 296 याचिकाकर्ता शामिल थे। ये याचिकाकर्ता जोधपुर, नागौर, झालावाड़, बीकानेर, डूंगरपुर, भीलवाड़ा, पाली, उदयपुर, हनुमानगढ़, चित्तौड़गढ़, राजसमंद, जैसलमेर, चूरू और जालौर जैसे जिलों से थे। बता दें, राजस्थान में संविदाकर्मी काफी संख्या में सरकारी कामकाज देख रहे हैं।

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राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स 2022 क्या है?

  • 22 अक्टूबर, 2022 को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य में ‘राजस्थान कॉन्ट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स, 2022’ को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।

  • ये नए नियम राज्य के विभिन्न विभागों में काम करने वाले संविदाकर्मियों पर लागू होंगे।

  • 1 लाख 10 हजार से अधिक संविदाकर्मी इस निर्णय से लाभान्वित होंगे, जिनमें शिक्षा, ग्राम पंचायत सहायक, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल हैं।

  • इन संविदाकर्मियों ने हमेशा राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इनकी सामाजिक सुरक्षा पर पहले ध्यान नहीं दिया गया था।

  • 41423 संविदाकर्मी शिक्षा विभाग से, 18326 ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग से, 5697 मदरसा पैरा टीचर्स और 44833 चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से इस योजना का हिस्सा बनेंगे।

  • नए नियमों के तहत अब संविदाकर्मियों की भर्ती पारदर्शी तरीके से की जाएगी, जिसमें आरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा।

  • 5 साल तक काम करने वाले संविदाकर्मी को भविष्य में नियमित पदों पर स्थायी नौकरी देने का प्रावधान रखा गया है। इसके लिए स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना होगा।

  • मानदेय का निर्धारण उनके पद के आधार पर किया जाएगा और उन्हें स्पेशल पे प्रोटेक्शन भी मिलेगा। साथ ही, नियमित होने पर उन्हें ओ.पी.एस. का लाभ भी मिलेगा।

  • पहले कई कमेटियाँ बनीं थीं, लेकिन संविदाकर्मियों के समस्याओं का स्थायी समाधान नहीं मिल पाया था।

  • मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2021-22 के बजट में संविदाकर्मियों के मानदेय में 20 प्रतिशत वृद्धि करने की घोषणा की थी।

संविदाकर्मी मामले में राजस्थान सरकार ने क्या दलील दी?

राजस्थान सरकार ने अदालत में दलील दी थी कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को 2022 के नियमों के तहत लाभ नहीं मिल सकता, क्योंकि उनका चयन सरकार द्वारा जारी सार्वजनिक विज्ञापन के बजाय एजेंसी के माध्यम से हुआ था। सरकार ने यह तर्क भी दिया कि "एजेंसी के माध्यम से अथवा जॉब बेसिस पर कार्यरत कर्मचारियों को इन नियमों के अंतर्गत नहीं लिया जाएगा।"

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नियम 3 के तहत शर्तों का पालन जरूरी

कोर्ट ने अपने फैसले में साफ किया कि राजस्थान कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट्स रूल्स 2022 (Rajasthan Contractual Hiring to Civil Posts Rules 2022) के नियम 3 में चार मुख्य शर्तें निर्धारित की गई हैं:

  1. पद प्रशासनिक विभाग द्वारा बनाए गए हों।

  2. वित्त विभाग की सहमति हो।

  3. चयन सार्वजनिक विज्ञापन के माध्यम से हुआ हो।

  4. व्यक्ति कॉन्ट्रैक्ट आधार पर काम कर रहा हो।

कोर्ट ने कहा कि इन शर्तों के तहत सीधे या अप्रत्यक्ष कॉन्ट्रैक्ट के बीच कोई अंतर नहीं किया गया है।

सरकार की स्वीकारोक्ति

कोर्ट के सवालों के जवाब में राज्य सरकार ने खुद स्वीकार किया था कि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारी भी राज्य के नियमों के तहत चुने गए थे। इसके अलावा, उनके पास आवश्यक योग्यता थी और वे सीधे नियुक्त कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों के समान ही कार्य कर रहे थे। हालांकि, इसके बावजूद सरकार ने उन्हें 2022 के नियमों का लाभ देने से इनकार कर दिया।

शोषण और श्रम मानकों का उल्लंघन

कोर्ट ने इस मामले में यह भी कहा कि यदि सरकार इन कर्मचारियों को 2022 के नियमों के तहत नहीं लाती है, तो यह शोषण को बढ़ावा देगा और अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों का उल्लंघन होगा। कोर्ट का यह आदेश हजारों कर्मचारियों के लिए राहत लेकर आया है, जो विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत हैं।

हजारों कर्मचारियों को मिलेगा लाभ

संविदाकर्मियों पर राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला 5 अगस्त 2025 को सुनवाई के बाद सुरक्षित रखा गया था और 26 अगस्त 2025 को सुनाया गया। यह निर्णय राज्य के हजारों कॉन्ट्रेक्चुअल कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जो विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत काम कर रहे हैं। प्लेसमेंट एजेंसी से नियुक्त कर्मचारियों पर राजस्थान हाईकोर्ट का फैसला से कर्मचारियों को अब 2022 के नियमों के तहत मिलने वाले लाभ का फायदा मिलेगा, जो कि उनके अधिकारों की रक्षा करेगा।

FAQ

1. राजस्थान हाईकोर्ट ने किस फैसले में राहत दी है?
राजस्थान हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को 2022 के नियमों का लाभ देने का आदेश दिया है। यह फैसला मनरेगा के तहत नियुक्त कर्मचारियों से संबंधित था।
2. राजस्थान सरकार ने प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के मामले में किस तर्क का हवाला दिया था?
राज्य सरकार का तर्क था कि केवल सरकारी विज्ञापन के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को ही 2022 के नियमों का लाभ मिलेगा, जबकि प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों को इससे बाहर रखा जाएगा।
3. राजस्थान हाईकोर्ट ने किसे लाभ देने का आदेश दिया?
कोर्ट ने आदेश दिया कि यदि कोई कर्मचारी 2022 के नियमों की शर्तों को पूरा करता है, तो उसे इसका लाभ दिया जाएगा, चाहे वह सरकारी विज्ञापन से नियुक्त हुआ हो या प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से।
4. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के किस फैसले का हवाला दिया?
कोर्ट ने मंगलौर गणेश बीड़ी वर्क्स बनाम भारत संघ के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ठेकेदार के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा की जा सकती है।
5. प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से नियुक्त कर्मचारियों के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले का क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह फैसला हजारों कर्मचारियों को लाभ देगा, जो विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से काम कर रहे हैं। यह शोषण को रोकने और श्रम मानकों को बनाए रखने में मदद करेगा।

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