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Photograph: (TheSootr)
राजस्थान की जेलों में 2022 के बाद बिना टेंडर के करीब 50 करोड़ रुपए की राशन सामग्री खरीदी जा रही है। यह मामला न केवल जेल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि राज्य के करदाताओं के पैसे के दुरुपयोग का भी संकेत देता है। जिन जेलों में पहले टेंडर प्रक्रिया के तहत सामग्री खरीदी जाती थी, अब वहां उपभोक्ता भंडार (Consumer Stores) से सामान खरीदा जा रहा है। इस प्रक्रिया के तहत, विभिन्न जेलों में सामान अलग-अलग दरों पर खरीदकर बाजार से अधिक कीमतों पर भुगतान किया जा रहा है।
यह घोटाला तब सामने आया जब एक प्रमुख हिन्दी अखबार ने आरटीआई (RTI) से विभिन्न जेलों में की गई खरीदारी के दस्तावेज़ जुटाए। इन दस्तावेजों में जो जानकारी सामने आई, वह चौंकाने वाली थी। अलग-अलग जेलों में सामान की कीमत में जमीन-आसमान का फर्क देखा गया।
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बिना टेंडर के राशन खरीदने की प्रक्रिया
पहले जब राशन सामग्री की खरीदारी टेंडर प्रक्रिया के तहत होती थी, तो इसकी गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाता था। इसके तहत प्रतिस्पर्धा होती थी, जिससे कम कीमत पर अच्छी गुणवत्ता का सामान मिलता था। लेकिन 2022 के बाद जेल प्रशासन ने उपभोक्ता भंडार से खरीदारी का निर्णय लिया, जिसके बाद कीमतों में अनियमितता और भ्रष्टाचार की स्थिति बन गई।
इससे न केवल कीमतों में वृद्धि हुई, बल्कि घोटालों का भी सिलसिला शुरू हो गया। उदाहरण के तौर पर, कोटा (Kota) जेल में गेहूं का बाजार मूल्य 28-30 रुपए किलो था, लेकिन वही गेहूं 38 रुपए किलो में जेल तक पहुंचाया गया। इसी तरह, धौलपुर (Dholpur) जेल में गेहूं 47 रुपए किलो में खरीदी गई। मूंग दाल (Moong Dal), उड़द दाल (Urad Dal) और अरहर दाल (Arhar Dal) जैसी सामग्रियां भी बाजार से 20-30% अधिक कीमतों पर खरीदी जा रही हैं।
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इस मामले में राजस्थान के IG जेल, IPS विक्रम सिंह ने बयान दिया कि जब टेंडर प्रक्रिया के तहत सामग्री खरीदी जाती थी, तो प्रतिस्पर्धा के कारण कीमतें बहुत कम हो जाती थीं, जिससे अक्सर घटिया सामग्री आपूर्ति की जाती थी। इसलिए सहकारी उपभोक्ता भंडार से सामग्री खरीदने का निर्णय लिया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न जेलों में ट्रांसपोर्टेशन के अनुसार कीमतों में अंतर होता है, लेकिन भविष्य में सभी जेलों में समान कीमतें सुनिश्चित की जाएंगी।
राजस्थान की जेलों में सप्लाई राशन का बाजार भाव और जेलों का भेद
गेहूं
राजस्थान की जेलों में गेहूं का बाजार भाव लगभग 28-30 रुपए किलो है, लेकिन विभिन्न जेलों में इसे 38 से 47 रुपए किलो के बीच खरीदा जा रहा है। इससे साफ है कि राशन की कीमतों में भारी फर्क है और इस प्रकार की खरीदारी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
मूंग दाल
मूंग दाल का बाजार मूल्य 80-90 रुपए किलो है, जबकि जेलों में इसे 110 से 132 रुपए किलो तक खरीदा गया है। यह भी बाजार दर से 20-30% अधिक है, जिससे यह संकेत मिलता है कि वहां की व्यवस्था में घोटाले हो रहे हैं।
उड़द दाल
उड़द दाल का बाजार भाव 90-100 रुपए किलो है, लेकिन इसे जेलों में 120 से 130 रुपए किलो के बीच खरीदा जा रहा है। यह भी एक और उदाहरण है जहां अधिक मूल्य पर सामान खरीदी जा रही है।
अरहर दाल
अरहर दाल का बाजार मूल्य 90 रुपए किलो है, लेकिन इसे जेलों में 140-185 रुपए किलो तक सप्लाई किया जा रहा है। यह अत्यधिक मूल्य वृद्धि को दर्शाता है और इसे लेकर गंभीर सवाल उठते हैं।
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राजस्थान की जेलों में विभिन्न खाद्य सामग्री के भाव और बाजार भाव
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सोयाबीन तेल और अन्य सामग्री की कीमतों में अंतर
सोयाबीन तेल
सोयाबीन तेल का बाजार मूल्य लगभग 2200 रुपए पीपा (15 किलो) है, लेकिन जेलों में इसे 2400 से 2970 रुपए के बीच खरीदा जा रहा है। इसका मतलब यह है कि जेल प्रशासन द्वारा इस तेल की खरीदारी में भी 10-15% अधिक मूल्य लिया जा रहा है।
अन्य राशन सामग्री
इसके अलावा, अन्य खाद्य सामग्रियों की कीमतों में भी भारी अंतर देखा गया है। विभिन्न जेलों में इन सामग्रियों की खरीदारी की जाती है, और इसकी दरें हमेशा बाजार से अधिक होती हैं, जिससे यह साफ होता है कि राशन सामग्री में भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी हो रही है।
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जेलों में कीमतों की समानता लाने की योजना
IG जेल, IPSविक्रम सिंह ने यह भी बताया कि विभाग इस मुद्दे पर ध्यान दे रहा है और सभी जेलों में एक समान कीमतों पर राशन सामग्री की आपूर्ति सुनिश्चित करने की योजना बनाई जा रही है।
राजस्थान जेल विभाग के वित्तीय सलाहकार, रामसुख जाटोलिया ने इस मुद्दे पर कहा कि जेलों के लिए हर साल करीब 50 करोड़ रुपए की राशन सामग्री खरीदी जाती है। वे भी मानते हैं कि विभिन्न जेलों में राशन की खरीद में भिन्नता है, और बाजार मूल्य में भी अंतर है। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान प्रक्रिया में अनियमितताएं पाई जाने पर विभाग ने टेंडर प्रक्रिया से सामग्री खरीदने की सिफारिश की है।
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राजस्थान की जेलों में राशन खरीद घोटाला के गंभीर परिणाम
राजस्थान की जेलों में हो रही इस घोटाले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसमें न सिर्फ सरकार के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि यह राज्य के कानून और व्यवस्था की भी नाकामी को दर्शाता है।
इस प्रकार के भ्रष्टाचार के कारण जेलों में कैदियों को बेहतर गुणवत्ता का भोजन नहीं मिल पा रहा है, और इस स्थिति से राज्य की सार्वजनिक व्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है।
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