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Photograph: (the sootr)
Jaipur. राजस्थान में करीब 1000 करोड़ रुपए का जल जीवन मिशन घोटाला (जेजेएम) फिर से चर्चा में है। चर्चा का कारण केंद्र सरकार का वह पत्र है, जिसमें राजस्थान सरकार से जेजेएम घोटाले की जांच और कार्यवाही की प्रगति रिपोर्ट मांगी है।
यह पत्र पिछले सप्ताह ही आया है। इस पत्र के बाद से जलदाय विभाग में खलबली मची हुई है। विभाग ने राजस्थान में जेजेएम घोटाले से जुड़े सभी प्रकरण में जांच करीब करीब पूरी कर ली है।
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विभाग ले सकता है एक्शन
इस घोटाले के 119 मामले हैं, जिनमें में से 109 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है। जांच रिपोर्ट सरकार को पहुंचा दी गई है। हालांकि कुछ मामलों जैसे पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी और एकाध फर्मों पर ही कानूनी कार्यवाही की गई है। शेष मामले ठंडे बस्ते में हैं। ईडी और एसीबी भी घोटाले को लेकर जांच कर रही है। अब केंद्र सरकार के पत्र से जलदाय विभाग में खलबली मची हुई है। जवाब भेजने से पहले विभाग कुछ मामलों में एक्शन ले सकता है।
न फर्मों और ना ही इंजीनियर्स पर कार्यवाही
जेजेएम घोटाले के 119 में से 109 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन जांच में दोषी इंजीनियर और फर्मों पर कार्यवाही नहीं हो रही है। इन घोटालों में मंत्री से लेकर नीचे के अधिकारी और कर्मचारी लिप्त हैं। घोटाले की राशि ऊपर से नीचे तक बंटी है। ऐसे में कुछ अधिकारी कर्मचारी और फर्मों पर कार्यवाही और दूसरों को छोड़ देने से घोटाले की परतें खुल सकती है। आला अधिकारी जांच रिपोर्ट पर सख्त कार्यवाही करने से बच रहे हैं।
फर्जी दस्तावेज से ठेके, काम भी नहीं किया
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत कई कंपनियों ने बिना अनुभव के फर्जी दस्तावेज से ठेके लिए। फिर बिना काम किए ही भुगतान भी उठा लिया। जो काम किया, वो भी टेंडर शर्तों के विपरीत किया। कांग्रेस सरकार जाने के बाद शिकायत और घोटालों की जांच की गई तो बहुत सी जगह पर पाइप डाले बिना और पेयजल टंकी बनाए बिना भुगतान उठा लिया गया।
हर जगह फर्जीवाड़ा
यहीं नहीं, श्रीश्याम व गणपति टयूबवैल कंपनी ने इरकॉन कंपनी के फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर करोड़ों के ठेके ले लिए। इन्होंने जयपुर ग्रामीण सर्कल में 600 करोड़ के करीब 80 टेंडर ले लिए, जो कि गलत तरीके से लिए। दूसरे जिलों जैसे उदयपुर, दौसा, सीकर, जोधपुर जैसे जिलों में गड़बड़ी मिली। करीब एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले की जांच की जा रही है।
एसीबी और ईडी कर रही है जांच
जेजेएम घोटाले की जांच एसीबी और ईडी दोनों कर रही है। ईडी ने सबसे पहले पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय ही दस्तक दे दी थी। तब पूर्व मंत्री महेश जोशी के करीबी ठेका फार्म श्रीश्याम व गणपति टयूबवैल कंपनी के निदेशकों और उनके साथियों पर छापे मारकर दस्तावेज हासिल किए थे। ईडी ने ठेका कंपनियों के मालिकों को अरेस्ट भी किया।
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मंत्री रहे महेश जोशी को गिरफ्तार किया
उनके बयानों के बाद मंत्री रहे महेश जोशी को गिरफ्तार किया। वह अब भी जेल में हैं। ईडी के बाद एसीबी ने भी जेजेएम घोटाले में जांच शुरू की। करीब दो महीने पहले जलदाय विभाग के एसीएस को पत्र लिखकर घोटाले से जुड़ी फाइल, टेंडर और जांच रिपोर्ट तलब की। टेंडर घोटाले से जुड़ी सत्यापित पत्रावलियां मिलने के बाद एसीबी घोटाले की परत खोलने की तैयारी कर रही है।
50 से अधिक इंजीनियर-फर्मों पर कार्यवाही
जेजेएम घोटाले में कई अभियंता और दूसरे अधिकारी जैसे फाइनेंस एडवाइजर, लेखाधिकारी आदि भी लिप्त बताए जा रहे हैं, जिसमें जयपुर संभाग के अधिकारी, कर्मचारी और अभियंता ज्यादा शामिल हैं। जांच रिपोर्ट में भी इनकी लिप्तता पाई गई है। अगर एसीबी की जांच अंजाम तक पहुंचती है, तो पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय जयपुर रीजन में तैनात रहे कनिष्ठ अभियंता से अधीक्षण अभियंता स्तर के 50 से ज्यादा इंजीनियर नप सकते हैं।
दो दर्जन से अधिक फर्म फंसेंगी
जेजेएम घोटाले में एसीबी की जांच में दो दर्जन से अधिक फर्म भी फंसेंगी। उधर, 2019 में भी जयपुर जिले में फर्जी प्रमाण-पत्रों से कई फर्मों को करोड़ों रुपए के टेंडर दिए गए, लेकिन कोई शिकायत नहीं मिलने का आधार बनाते हुए उच्च अधिकारियों ने टेंडर घोटाले को दबा दिए थे। ये घोटाले भी एसीबी जांच के दायरे में आ सकते हैं।
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