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Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) में बीमा कंपनियों की मनमानी और सरकारी प्रक्रिया की धीमी गति ने प्रदेश के किसानों को एक गंभीर समस्या में डाल दिया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana) के तहत पिछले साल खरीफ सीजन में खराब हुई फसलों का क्लेम आज तक किसानों को नहीं मिल पाया है। जयपुर समेत 29 जिलों के सैकड़ों किसानों को अपने क्लेम का इंतजार है, और इस प्रक्रिया में कोई खास सुधार नहीं हुआ है। कई बार बीमा कंपनियों और कृषि विभाग के चक्कर काटने के बाद भी किसानों को भुगतान नहीं मिल रहा है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि क्यों राजस्थान में किसानों के क्लेम अटके हुए हैं और इसके समाधान के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और इसके उद्देश्य
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का मुख्य उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और अन्य जोखिमों से बचाना है। यह योजना किसानों को उनकी फसल के नुकसान के बदले मुआवजा प्रदान करती है। योजना के तहत, किसानों को बीमा कंपनियों के माध्यम से क्लेम का भुगतान किया जाता है, जो राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित दिशा-निर्देशों के आधार पर होता है।
लेकिन, पिछले कुछ सालों में इस योजना में कई अड़चनें आ रही हैं। विशेष रूप से राजस्थान में, जहां खरीफ 2024 के दौरान फसल के नुकसान के कारण 1123.76 करोड़ रुपये का क्लेम अटका हुआ है। यह राशि प्रदेश के किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन इसका भुगतान नहीं होने के कारण उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
जयपुर जिले में 121.84 करोड़ का क्लेम अटका हुआ
राजस्थान के जयपुर जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 121.84 करोड़ रुपये का क्लेम अभी भी बकाया है। इसके अलावा, प्रदेश के अन्य जिलों में भी फसल बीमा के क्लेम का भुगतान नहीं हुआ है। चित्तौड़गढ़ में 13.35 करोड़, अजमेर में 121.21 करोड़, और अलवर में 7 करोड़ रुपये का क्लेम अटका हुआ है। बीकानेर, जोधपुर, और नागौर जैसे बड़े जिलों में भी किसानों के करोड़ों रुपये का भुगतान लंबित है।
यह स्थिति स्पष्ट रूप से यह दर्शाती है कि सरकारी और बीमा कंपनियों के बीच समन्वय की कमी है, जो किसानों के लाभ को प्रभावित कर रही है।
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बीमा कंपनियों की मनमानी और सरकार की धीमी गति
बीमा कंपनियों और सरकारी विभागों के बीच सहमति का अभाव, विलंबित भुगतान, और दावों के निपटारे में देरी मुख्य कारण हैं, जिनकी वजह से किसानों को उनके उचित हक से वंचित किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने पहले ही माना है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत दावों का भुगतान करने में समस्याएं आ रही हैं।
सरकार ने आरोप लगाया है कि बीमा कंपनियों की ओर से देर से प्रस्ताव भेजने और बैंकों की ओर से गलत आंकड़ों के कारण दावों का भुगतान नहीं हो रहा है। इसके अलावा, उपज के आंकड़ों में विसंगति और राज्य सरकार और बीमा कंपनियों के बीच विवाद भी समस्याओं का कारण बन रहे हैं।
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फसल नुकसान का आकलन और उपज के आंकड़े
फसल नुकसान के दावों का आकलन राज्य सरकार के अधिकारियों और संबंधित बीमा कंपनी की संयुक्त समिति द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसानों का नामांकन, फसल के नुकसान का सही आकलन, और इसके परिणामस्वरूप तय किया जाने वाला क्लेम शामिल है। यह आकलन सरकार और बीमा कंपनियों के बीच सहमति से होता है, लेकिन कई बार गलत आंकड़े और प्रक्रिया में ढील के कारण भुगतान में देरी हो जाती है।
किसानों के लिए यह एक गंभीर समस्या है, क्योंकि वे अपनी फसल की तबाही के कारण पहले ही परेशान हैं, और उन्हें बीमा कंपनी से जल्द भुगतान की आवश्यकता है।
राजस्थान के जिलों में बकाया की स्थितिजिला बकाया (करोड़ रुपए में)
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1123.76 करोड़ रुपये का क्लेम अटका
राजस्थान में पिछले साल खरीफ सीजन में फसलों के नुकसान के कारण किसानों का 1123.76 करोड़ रुपये का क्लेम अटका हुआ है। जयपुर जिले में ही 121.84 करोड़ रुपये का क्लेम लंबित है, जबकि अन्य जिलों में भी यही स्थिति है। इस राशि का भुगतान न होने से किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है, और वे बीमा कंपनियों के दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
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सरकार का क्या कहना है?
केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने इस मामले में कई बार संज्ञान लिया है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। बीमा कंपनियों और सरकारी विभागों के बीच समन्वय की कमी के कारण यह समस्या बनी हुई है।
सरकार ने यह स्वीकार किया है कि दावों के भुगतान में देरी के कारण किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसके बावजूद, सरकार ने अब तक इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है।
किसानों की समस्याओं का समाधान
इस स्थिति से निपटने के लिए, सरकार को पहले बीमा कंपनियों और राज्य सरकार के अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करना होगा। साथ ही, उपज के आंकड़ों की सटीकता और समय पर आकलन की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
इसके अलावा, किसानों को बीमा कंपनियों के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए एक मजबूत प्रणाली की आवश्यकता है, ताकि वे अपने दावों के निपटारे के लिए सही दिशा में कदम उठा सकें।
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