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श्री सांवलिया सेठ मंदिर में दान राशि की गणना करते कार्मिक। Photograph: (The Sootr)
राजस्थान (Rajasthan) के चित्तौड़गढ़ में स्थित मेवाड़ के कृष्णधाम भगवान श्री सांवलिया सेठ जी के मंदिर में हरियाली अमावस्या के उपलक्ष्य में मासिक दान पात्र खोला गया। यह दान पात्र हर महीने खोला जाता है ताकि उसमें जमा होने वाली राशि की सही गिनती की जा सके। इस बार पहले दिन ही 7.15 करोड़ रुपये की राशि की गिनती की गई, जो भक्तों की श्रद्धा और मंदिर के प्रति आस्था को दर्शाता है। गणना का अगला दौर 25 जुलाई 2025 को होगा। बता दें, श्री सांवलिया सेठ मंदिर के दानपात्र में हर माह करोड़ों रुपए की दानराशि आती है। इस दानराशि की गणना छह-सात दौर में पूरी होती है। इसके साथ ही मंदिर में बड़ी मात्रा में सोना-चांदी की भेंट भी भक्तों की ओर से चढ़ाई जाती है।
श्री सांवलिया सेठ मंदिर का दानपात्र कब खोला गया?
दान पात्र को 23 जुलाई 2025 को चतुर्दशी की सुबह राजभोग आरती के बाद खोला गया। जैसे ही भंडार का ताला खोला गया, मंदिर के भक्तों ने "जय सांवरा सेठ" के उद्घोष के साथ वातावरण को भक्तिमय बना दिया। यह एक अत्यंत श्रद्धापूर्ण और आत्मिक पल था, जिसमें भक्तों का उत्साह और मंदिर मंडल के अधिकारियों का समर्थन दोनों ही स्पष्ट रूप से दिखाई दिया।
श्री सांवलिया सेठ मंदिर में हरियाली अमावस्या पर उमड़गी भीड
दान की गिनती मंदिर मंडल के कर्मचारियों और बैंक स्टाफ द्वारा मिलकर की गई। गिनती सुबह से लेकर शाम तक चली, जिसमें लाखों की संख्या में नोटों को सावधानीपूर्वक निकाला गया, गिना गया और फिर रिकॉर्ड किया गया। चूंकि 24 जुलाई को हरियाली अमावस्या है, इस दिन मंदिर में भीड़ अधिक रहती है, इस कारण सुरक्षा और व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए इस दिन गिनती नहीं की जाएगी। अगली गिनती 25 जुलाई को होगी।
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श्री सांवलिया सेठ मंदिर में दानराशि की गिनती के कितने दौर होंगे?
मंदिर के अधिकारियों के अनुसार, यह केवल पहले दिन की गिनती थी। आने वाले दिनों में दान पात्र के अलावा, भेंट कक्ष में मिले गहनों, चांदी, सोने और ऑनलाइन ट्रांसफर हुए दान की भी गिनती की जाएगी। इसके साथ ही, जो भक्त सीधे मंदिर में आकर नकद भेंट देते हैं, उसकी भी अलग से गिनती की जाएगी।
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सांवलिया सेठ मंदिर का इतिहासश्री सांवलिया जी प्राकट्य स्थल नाम से प्रसिद्ध इस स्थान से सांवलिया सेठ की 3 प्रतिमाओं के उद्गम का भी अपना इतिहास है। सन 1840 में तत्कालीन मेवाड़ राज्य में उदयपुर से चित्तौड़ जाने के लिए बनने वाली सड़क के निर्माण में बागुन्ड गांव में बाधा बन रहे बबूल के पेड़ को काटकर खोदने पर वहां से भगवान कृष्ण की सांवलिया स्वरूप 3 प्रतिमाएं निकली थीं। 1978 में विशाल जनसमूह की उपस्थिति में मंदिर पर ध्वजारोहण किया गया था। इस स्थल पर अब एक अत्यंत ही नयनाभिराम एवं विशाल मंदिर बन चुका है। 36 फुट ऊंचा एक विशाल शिखर बनाया गया है जिस पर फरवरी 2011 में स्वर्णजड़ित कलश व ध्वजारोहण किया गया। बता दे कि सांवलिया सेठ मंदिर चित्तौड़गढ़ सॆ उदयपुर की ओर राष्ट्रीय राजमार्ग पर 28 किमी दूरी पर भादसोड़ा ग्राम में स्थित है। यह मंदिर चित्तौड़गढ़ रेलवे स्टेशन से 41 किमी और डबोक एयरपोर्ट से 65 किमी की दूरी पर है। प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर अपनी सुन्दरता और वैशिष्ट्य के कारण हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। |
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भगवान श्री सांवलिया सेठ जी की है विशेष मान्यता
भगवान श्री सांवलिया सेठ जी को व्यापार और धन में वृद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। देशभर से लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं और दिल खोलकर दान करते हैं, जो मंदिर की समृद्धि और उनकी आस्था का प्रतीक है।
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सांवलिया सेठ को अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं व्यापारीमान्यता है कि जो भक्त खजाने में जितना देते हैं सांवलिया सेठ उससे कई गुना ज्यादा भक्तों को वापस लौटाते हैं। व्यापार जगत में उनकी ख्याति इतनी है कि लोग अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए उन्हें अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं। यह मान्यता पूरे देश के व्यापारियों में है। राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग विशेष कर व्यापारी यहां आते हैं। यह व्यापारी यहां के श्रीकृष्ण के विग्रह को अपने व्यापार में साझेदार तक बनाते हैं और भगवान लाभ का हिस्सेदार बना कर उनके हिस्से की राशि यहां चढ़ा कर जाते है। आपको बता दें कि भगवान सांवरिया सेठ की महिमा मेवाड़ और मालवा के साथ-साथ अब पूरे देश में फैल गई है। अब गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल तक से लोग अपनी कामनाओं को लेकर भगवान सांवरिया सेठ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। प्रतिदिन हजारों लोग भगवान के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। उसी का नतीजा है कि आज मंदिर मंडल की प्रतिमाह दान राशि लगभग 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस राशि को मंदिर के विस्तार विकास और मेंटेनेंस के साथ आसपास के 16 गांव के विकास कार्यों पर खर्च किया जाता है। |
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