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Photograph: (THESOOTR)
Jaipur. राजस्थान में भाजपा सरकार ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार के कई फैसलों को बदलने के साथ कुछ नए कानूनों को भी लागू किया है। इन में से एक महत्वपूर्ण कदम है। राजस्थान मृत शरीर सम्मान अधिनियम का लागू किया जाना। इस कानून के तहत राज्य अब देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है। जिसने मृत शरीर को सम्मान देने के लिए नियम बनाए हैं। यह कानून मृत शरीर के साथ होने वाली अव्यवस्थाओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बनाया गया है।
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शव के साथ धरना प्रदर्शन पर सजा
ऐसा देखा जाता है कि जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार वाले और समाज के लोग सरकार से अपनी मांगें पूरी करने के लिए शव को सड़क पर रखकर प्रदर्शन करते हैं। इस प्रकार की घटनाओं में कई बार शव का अंतिम संस्कार 10 से 20 दिनों तक नहीं हो पाता। इससे न सिर्फ सामाजिक असमंजस पैदा होता है, बल्कि सार्वजनिक व्यवस्था भी बिगड़ती है। राजस्थान सरकार ने इस मुद्दे पर कड़ा कदम उठाते हुए एक अधिनियम पारित किया है। जिसके तहत सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सजा का प्रावधान किया गया है।
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क्या हैं अधिनियम के प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति या परिवार सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन करता है, तो कार्यपालक मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी करना होगा। नोटिस प्राप्त होने के बाद 24 घंटे के भीतर शव का अंतिम संस्कार करना अनिवार्य होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो संबंधित परिजनों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा और प्रशासन द्वारा शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।
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अस्पतालों के लिए नई जिम्मेदारियां
अधिनियम के तहत यदि किसी व्यक्ति की मौत के बाद शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाता, तो अस्पताल प्रशासन को अब शव को रोकने का अधिकार नहीं होगा। अगर कोई अस्पताल शव को नहीं सौंपता है, तो उस अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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अधिनियम में सजा और जुर्माना
अधिनियम में सजा और जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। अगर परिजन शव को कब्जे में नहीं लेते हैं, तो उन्हें एक साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति या परिवार शव के साथ धरना प्रदर्शन करता है तो उसे दो साल तक की सजा हो सकती है। लावारिस शवों का जेनेटिक डाटा एफएसएल में सुरक्षित रखा जाएगा। यदि कोई कर्मचारी या अधिकारी डाटा लीक करता है तो उसे 3 से 10 साल तक की सजा हो सकती है।
10 साल तक की सजा का प्रावधान
इस अधिनियम में शव के साथ प्रदर्शन करने या शव के साथ धरने में शामिल होने पर 10 साल तक की सजा का प्रावधान भी किया गया है। यह सजा उन मामलों में लागू होगी। जहां शव के साथ धरना प्रदर्शन किया जाता है और उससे सार्वजनिक असमंजस और व्यवस्था की हानि होती है।
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